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दंतेवाड़ा: पलायन कर रहे ग्रामीणों को रोका, समझाइश देकर घर वापस भेजा

दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण रोजगार की तलाश में आए दिन पलायन कर रहे हैं. शासन-प्रशासन पंचायत स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार देने का दावा करते हैं. लेकिन हर साल बड़ी तादाद में ग्रामीण काम की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख करते हैं.

Migrating villagers stopped
पलायन कर रहे ग्रामीणों को रोका गया
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Published : Dec 18, 2020, 9:49 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 11:23 PM IST

दंतेवाड़ा: नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण बस स्टैंड में बड़ी तादाद में जुटे. वे मिर्ची तोड़ने के लिए आंध्रप्रदेश जाने की तैयारी में थे. इसकी सूचना मिलने ही प्रशासनिक अमला हरकत में आया. बस स्टैंड पहुंचकर ग्रामीणों को पलायन करने से रोका गया.

पलायन कर रहे ग्रामीणों को रोका गया

क्यों पलायन को मजबूर हैं ग्रामीण?

ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा की मजदूरी का अबतक भुगतान नहीं हुआ है. अबतक खाते में पैसे नहीं आए हैं. उन्हें कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही है. इसलिए रोजगार की तलाश में आंध्रप्रदेश जा रहे हैं, ताकी मिर्ची तोड़ने का काम मिल जाए और रोजी-रोटी का जुगाड़ हो सके.

शासन-प्रशासन की अपनी दलीलें

पंचायत सीईओ अश्वनी देवांगन ने बताया कि बड़ी तादाद में ग्रामीणों के जुटने की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई. उनका यह भी कहना है कि गांव में जिला पंचायत के जरिए रोजगार दिया जा रहा है. 140 पंचायत में 500 से ज्यादा काम चल रहे हैं. करीब 15 हजार श्रमिकों को रोजगार मिला है.

पढ़ें- SPECIAL: बस्तर झेल रहा बेरोजगारी का दंश, अपनी जमीन और घर छोड़ने को मजबूर युवा

भुगतान की समस्या!

पंचायत सीईओ अश्वनी देवांगन के मुताबिक उन्हें यहां पहुंचने पर पता चला कि चिकपाल पंचायत में मनरेगा का भुगतान नहीं हुआ है. लेकिन 5 लाख 30 हजार से ज्यादा का भुगतान हो चुका है. अगर भुगतान की कोई समस्या है तो इसकी जांच कराई जाएगी.

अधिकारी ने कहा कि हमारे यहां रोजगार के उचित अवसर हैं. सभी को रोजगार दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी भरोसा दिया है कि पलायन के लिए जिम्मेदार दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें-हम मजबूर: गोद में बच्चा और पैरों में घाव लिए फिर से घर छोड़कर निकले मजदूर

सभी को रोजगार का दावा

जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने बताया कि ग्रामीणों के पलायन की वजह और पलायन करा रहे ठेकेदार का पता नहीं चला है. पंचायत में भरपूर काम है. सभी को रोजगार दिया जा रहा है. अगर ऐसी कोई समस्या है तो सरपंच सचिव के जरिए जानकारी ली जाएगी. हर पंचायतों में जिला प्रशासन, जिला कलेक्टर, सीईओ बैठक कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनेंगे. जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने सभी गांव वालों से गोंडी, हल्बी भाषा में बात की और उन्हें समझाया. ग्रामीणों को गाड़ी में बैठकर घर वापस भेजा गया.

दंतेवाड़ा: नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण बस स्टैंड में बड़ी तादाद में जुटे. वे मिर्ची तोड़ने के लिए आंध्रप्रदेश जाने की तैयारी में थे. इसकी सूचना मिलने ही प्रशासनिक अमला हरकत में आया. बस स्टैंड पहुंचकर ग्रामीणों को पलायन करने से रोका गया.

पलायन कर रहे ग्रामीणों को रोका गया

क्यों पलायन को मजबूर हैं ग्रामीण?

ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा की मजदूरी का अबतक भुगतान नहीं हुआ है. अबतक खाते में पैसे नहीं आए हैं. उन्हें कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही है. इसलिए रोजगार की तलाश में आंध्रप्रदेश जा रहे हैं, ताकी मिर्ची तोड़ने का काम मिल जाए और रोजी-रोटी का जुगाड़ हो सके.

शासन-प्रशासन की अपनी दलीलें

पंचायत सीईओ अश्वनी देवांगन ने बताया कि बड़ी तादाद में ग्रामीणों के जुटने की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई. उनका यह भी कहना है कि गांव में जिला पंचायत के जरिए रोजगार दिया जा रहा है. 140 पंचायत में 500 से ज्यादा काम चल रहे हैं. करीब 15 हजार श्रमिकों को रोजगार मिला है.

पढ़ें- SPECIAL: बस्तर झेल रहा बेरोजगारी का दंश, अपनी जमीन और घर छोड़ने को मजबूर युवा

भुगतान की समस्या!

पंचायत सीईओ अश्वनी देवांगन के मुताबिक उन्हें यहां पहुंचने पर पता चला कि चिकपाल पंचायत में मनरेगा का भुगतान नहीं हुआ है. लेकिन 5 लाख 30 हजार से ज्यादा का भुगतान हो चुका है. अगर भुगतान की कोई समस्या है तो इसकी जांच कराई जाएगी.

अधिकारी ने कहा कि हमारे यहां रोजगार के उचित अवसर हैं. सभी को रोजगार दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी भरोसा दिया है कि पलायन के लिए जिम्मेदार दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें-हम मजबूर: गोद में बच्चा और पैरों में घाव लिए फिर से घर छोड़कर निकले मजदूर

सभी को रोजगार का दावा

जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने बताया कि ग्रामीणों के पलायन की वजह और पलायन करा रहे ठेकेदार का पता नहीं चला है. पंचायत में भरपूर काम है. सभी को रोजगार दिया जा रहा है. अगर ऐसी कोई समस्या है तो सरपंच सचिव के जरिए जानकारी ली जाएगी. हर पंचायतों में जिला प्रशासन, जिला कलेक्टर, सीईओ बैठक कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनेंगे. जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने सभी गांव वालों से गोंडी, हल्बी भाषा में बात की और उन्हें समझाया. ग्रामीणों को गाड़ी में बैठकर घर वापस भेजा गया.

Last Updated : Dec 18, 2020, 11:23 PM IST
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