दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा जिले में मेडिकल टीम ने 8 पहाड़, 4 नदियां और करीब 12 किमी का पैदल सफर तय कर ग्रामीणों का इलाज किया. हेल्थ विभाग की टीम नक्सल प्रभावित लोहा गांव पहुंची. जंगल-पहाड़ के बीच सिर्फ 125 ग्रामीणों की जनसंख्या बसी है. इस गांव में चार एमबीबीएस डॉक्टरों समेत 25 सदस्यीय टीम पहुंची. इस टीम ने पेड़ के नीचे मेडिकल कैंप लगाया. 105 ग्रामीणों का इलाज किया गया. देश की आजादी के बाद यह पहला ऐसा मौका था, जब इस गांव में किसी बाहरी ने या फिर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दस्तक दी.
यह भी पढ़ें: नहीं रहे मशहूर कोरियोग्राफर और एक्टर निशांत उपाध्याय
मेडिकल टीम कैसे पहुंची लोहागांव: करीब 7 बजे तक 25 लोगों की टीम मेडिकल किट के साथ बैलाडीला माइनिंग एरिया तक बाइक से पहुंची. लेकिन लोहा गांव जाने के लिए पहाड़ और नदी को पार करना पड़ा. इस टीम के हर सदस्य की पीठ पर मेडिकल किट, पानी समेत करीब 8 से 10 किलो का बोझ था. करीब 5 से 7 घंटे का सफर तय कर यह टीम गांव पहुंची.
लोहा गांव में मेडिकल कैंप: लोहा गांव में मेडिकल टीम ने पेड़ के नीचे कैंप लगाया. 105 ग्रामीणों का इलाज किया गया. 103 लोगों का मलेरिया टेस्ट किया गया. इनमें 11 पॉजिटिव मिले. 13 ग्रामीणों की मोतियाबिंद जांच हुई. 3 बच्चे कुपोषित भी मिले. सभी को दवाइयां बांटी गईं. इस टीम में डॉ. संदीप ताम्रकार, डॉ. ऋषभ कोचर, डॉ. दिलीप वर्मा, डॉ. गीतू हरित और अन्य सदस्य शामिल थे.
जड़ी-बूटी पर डिपेंड थे ग्रामीण: मेडिकल सुविधाओं से वंचित इस गांव के ग्रामीण स्थानीय वैद्य से जड़ी-बूटी का इलाज कराते हैं. पहली बार मेडिकल टीम इस गांव में पहुंची और ग्रामीणों का इलाज कर दवाई बांटी गई. खास बात यह रही की मेडिकल टीम ने ग्रामीणों को वायरल फीवर की दवाई दी है ताकि आगे जरूरत पड़ने पर वे दवाई के लिए न भटकें.