दंतेवाड़ा: माता दंतेश्वरी (maa Danteshwari) का ये जिला ना सिर्फ धार्मिक बल्कि पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी अलग पहचान रखता है. जिले में कई ऐसी प्राचीन स्मारक और विरासते हैं जो बहुमूल्य हैं. दंतेश्वरी मंदिर (Danteshwari Temple) के साथ ही समलूर का शिव मंदिर, बारसूर का बत्तीसा मंदिर या मामा-भाचा मंदिर और ढोलकल पहाड़ी पर प्राचीन गणेश प्रतिमा सभी अपने आप में एक अलग पहचान रखते हैं. इतनी समृद्ध विरासत के बाद भी इन प्राचीन स्मारकों की देखरेख नहीं हो रही है या ये कहना गलत नहीं होगा कि इनकी अनदेखी हो रही है. जिससे कई प्राचीन मूर्तियां और पुरातात्विक स्मारक देखरेख के अभाव में खंडित होते जा रहे हैं.
दंतेश्वरी मंदिर परिसर से कई मूर्तियां हुई चोरी
दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण (Danteshwari Temple Complex) में कई ऐसी मूर्तिया और पुरातात्विक स्मारक हैं, जिन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. दंतेश्वरी मंदिर प्रबंधन ने शासन-प्रशासन के साथ कई बार बैठक कर इन मुद्दों पर चर्चा भी की. पुरानी मूर्तियों को संरक्षित करने पर जोर दिया गया, लेकिन बात नहीं बनी. इस बीच दंतेवाड़ा मंदिर परिसर से दो प्राचीन मूर्तियां भी चोरी (Antique sculptures theft) हो गईं. जिनका अभी तक पता नहीं लग पाया है. मंदिर समिति का कहना है कि जिले की सभी प्राचीन विरासत खासकर दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण के आसपास फैली मूर्तियां को संरक्षित करने की तरफ शासन-प्रशासन को विशेष ध्यान देना चाहिए.
'शासन-प्रशासन सिर्फ चर्चा कर रहा'
मंदिर पुजारी विजेंद्र ठाकुर ने ETV भारत से बात की. उन्होंने कहा कि कई सालों से शासन-प्रशासन और मंदिर समितियों के बीच पुरानी मूर्तियों को सुरक्षित रखने को लेकर चर्चा हुई. लेकिन ये सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रही. जिला प्रशासन इस ओर कोई काम नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि तीन साल पहले भैरव जी के मंदिर से कुछ मूर्तियां चोरी हो गई थी, इसके साथ ही जंगल में मौजूद कई मूर्तियों की भी चोरी हो गई. जिनका अभी तक नहीं पता चला.
'पुरातन मूर्तियों की हो रही तस्करी'
श्रद्धालु विनोद सिंह ने बताया कि मां दंतेश्वरी मंदिर में पुरातत्व विभाग (archeology department) की तरफ से संग्रहालय बनाने की जरूरत है. ताकि मंदिर प्रांगण में बची मूर्तियों को संरक्षित किया जा सके. उन्होंने बताया कि दंतेश्वरी मंदिर के पीछे बने भैरवनाथ मंदिर से दो-तीन साल पहले एक दुर्लभ प्रतिमा की चोरी भी हो चुकी है. इसके साथ ही कई मूर्तियों को तस्कर ले गए. ऐसे में इन पुरातत्व स्मारकों को संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले समय में और कई मूर्तियां चोरी होने की आशंका है. विनोद ने कहा कि ना सिर्फ दंतेवाड़ा बल्कि बीजापुर, भैरमगढ़ में बेशकीमती मूर्तियां (Priceless Sculptures in Bhairamgarh) हैं. जिनके लिए म्यूजियम बनाया जाना चाहिए. शासन-प्रशासन और पुरातत्व विभाग को इसके लिए ध्यान देने की जरूरत है. मंदिर के सेवादार ने बताया कि यहां कई मूर्तियां है जिसकी कोई सुरक्षा नहीं की जा रही है.
एक तरफ नए विकासकार्य किए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पुरानी धरोहरों की अनदेखी हो रही है. सरकार ने समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो वो दिन दूर नहीं जब समृद्ध विरासत वाला दंतेवाड़ा अपनी पहचान को तरसने लगेगा.