दंतेवाड़ा : नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रशासन कई तरह की पहल कर रहा है. इनमें से एक लोन वर्राटू अभियान भी है. जिसका मतलब होता है 'आओ घर लौट चलें' ये अभियान काफी हद तक सफल भी हुआ है. लगातार नक्सली लोन वर्राटू के तहत आत्मसमर्पण कर रहे हैं. अब तक 382 नक्सलियों ने सरेंडर किया है जिनमें 102 इनामी नक्सली थे. इस अभियान की वजह से अब नक्सलगढ़ की तस्वीर बदलने लगी है. अब सरकार एक कदम और बढ़ाते हुए सरेंडर नक्सलियों के लिए दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू हब की शुरुआत करने जा रही है. इस हब के जरिए आत्मसमर्पित नक्सली अपने परिवार के साथ आम लोगों की तरह जीवनयापन कर सकेंगे.
सरकार अब सरेंडर नक्लियों के लिए देश का पहला हब बनाने जा रही है. यहां सभी तरह की सुविधा उपलब्ध होगी. इस हम में 100 आवास बनाए जाएंगे. गौठान और बच्चों के लिए आंगनबाड़ी बनाया जाएगा. 20 दुकानें और एक शासकीय बैंक भी खोला जाएगा. कल्चरल प्रोग्राम के लिए मंच भी बनाया जाएगा. नक्सलियों के डर से जिन ग्रामीणों को घर छोड़ना पड़ता है उनके लिए हॉल बनाया जाएगा. एक ट्रांडिट हॉस्टल बनाया जाएगा. वहां रहने वाले बच्चों को रोजगार के संसाधनों के बारे में सिखाया जाएगा. आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए अपने आप में ये पहल देश में रोल मॉडल साबित होगा.
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सरेंडर नक्सली गंगाराम बघेल ने बताया कि नक्सली संगठन बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. परिवार से दूर रहकर बड़े लीडरों का आदेश का पालन करते हुए रोड काटना, ब्लास्ट करना, बैनर-पोस्टर लगाना जैसे कार्यों को अंजाम दिया. कई स्कूल भवनों को भी तोड़ा. जब सरेंडर नक्सलियों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मुख्यधारा जुड़कर बेहतर जीवन बीताया जा सकता है. संपर्क में आने के बाद हम लोगों ने भी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया, जिसका फायदा यहां मिल रहा है. हमें रहने के लिए घर दिया गया है. हमारे आधार कार्ड बनाए गए हैं. राशन कार्ड बनाए गए हैं. मनचाहा रोजगार दिया जा रहा है. हम जिन स्कूलों को तोड़ते थे अब उन्हें स्कूलों का निर्माण कर रहे हैं. अब परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
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दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि जिले में छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 वर्ष पूर्व लोन वर्राटु अभियान की शुरूआत की थी. जिसमें हमने साल भर में अच्छी सफलता प्राप्त की है. छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपये दिया जाता है. इसके साथ आवास, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पेन कार्ड बनाकर खाता खुलवाया जाता है. लोन वर्राटु पार्ट-टू सभी आत्मा समर्पित नक्सलियों का मूल्यांकन किया है जिसमें पाया गया कि 250 आत्मा समर्पित नक्सलियों के पास ना तो आधार कार्ड थे ना राशन कार्ड. प्रशासन की मदद से उनका राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवाया गया, जिससे उन्हें एक नई पहचान मिली है. वह अब शासन की चलाई जा रही योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं.