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देवगुड़ी के कायाकल्प से बदलेगा बस्तर - दंतेवाड़ा में देवगुड़ियों का किया जा रहा कायाकल्प

दंतेवाड़ा में देवगुड़ियों का कायाकल्प किया जा रहा हैं. 143 पंचायतों में से अब तक 30 देवगुड़ी स्थलों का काम पूरा हो चुका है. देवगुड़ी स्थल को संवारने से ग्रामीणों में काफी खुशी देखने को मिल रही हैं.

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दंतेवाड़ा में देवगुड़ियों का किया जा रहा कायाकल्प
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Published : Jan 6, 2021, 6:07 PM IST

दंतेवाड़ा: बदलता बस्तर की तर्ज पर शासन प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांव में देवगुड़ी के कायाकल्प में लगा हुआ है. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा सैलानी बस्तर में आकर देवगुड़ी व बस्तर की संस्कृति को जान सके और उसका आनंद उठा सकें. इसके लिए शासन-प्रशासन 143 पंचायतों में गांव के देवताओं की पूजा स्थली को चित्रकला के माध्यम से कायाकल्प कर उसे संवारने में लगा है. अभी तक 30 देवगुड़ी स्थलों का काम पूरा हो चुका है.

देवगुड़ी के कायाकल्प से बदलेगा बस्तर

पढ़ें: मां दंतेश्वरी की दानपेटी से निकले 15 लाख रुपये

12 करोड़ की लागत से देवगुड़ियों को संवारने का काम

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देवगुड़ी

कलेक्टर दीपक सोनी व सीईओ अश्वनी देवांगन ने बताया कि ग्रामीणों की पूजा स्थली आस्था व पर्यटन को ध्यान में रखते हुए 143 पंचायतों में देव गुड़ियों का कायाकल्प करने का काम चल रहा है. जिसकी लागत 12 करोड़ है. अब तक 30 देवगुड़ियों का काम पूरा हो चुका है. जनवरी के आखिर तक सभी देवगुड़ियों का काम पूरा हो जाएगा.

दूर-दूर लोग देवगुड़ी देखने पहुंच रहे

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देवगुड़ी

गमावाडा स्थित देवगुड़ी के पुजारी हडमा ने बताया कि हिगराज देवता हैं. जिनकी पूजा-अर्चना पूरे गांव वाले करते हैं. हिगराज देवता की पूजा अर्चना करने से गांव में बीमारी लाचारी नहीं आती है. यहां जो भी अपनी मनोकामना मांगते हैं वह पूरी होती है. पुजारी ने बताया कि देवगुड़ी बन जाने से गांव वालों के लिए अच्छा हो गया है. अब देवगुड़ी को देखने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं.

पढ़ें: दंतेवाड़ा: शीतला माता के मंदिर में जात्रा के आयोजन में जुटे 84 गांव के श्रद्धालु

चितालका देवगुडी उपसरपंच ने बताया कि पहले देवगुड़ी पूजा स्थल जर्जर अवस्था में था. शासन-प्रशासन की तरफ से देवगुड़ी का पुनः निर्माण कार्य कराने से अब इसका कायाकल्प हो गया है. गांव वालों के रुकने के लिए जगह बनाए गए हैं. पूजा स्थली में चित्रकला की जा रही है. जिससे यह और भी सुंदर दिख रहा है. आने वाले समय में यहां भव्य मेला का आयोजन किया जाएगा.

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देवगुड़ी

दंतेवाड़ा जिले में हर गांवों की आस्था का केंद्र वहां के ईष्ट देव और देवगुड़ियां होते हैं. जिले के हर गांवों में देवगुड़ियां हैं. जिन्हें संवारा जा रहा हैं. गार्डन, फल, फूल के पौधे, यहां आने वालों के लिए बैठने और रहने की व्यवस्था, पानी, शौचालय जैसी तमाम सुविधाएं देवगुड़ियों के आसपास तैयार की जा रही हैं. देवगुड़ी कायाकल्प कार्यक्रम को प्रशासन विस्तार दे रहा है.

दंतेवाड़ा: बदलता बस्तर की तर्ज पर शासन प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांव में देवगुड़ी के कायाकल्प में लगा हुआ है. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा सैलानी बस्तर में आकर देवगुड़ी व बस्तर की संस्कृति को जान सके और उसका आनंद उठा सकें. इसके लिए शासन-प्रशासन 143 पंचायतों में गांव के देवताओं की पूजा स्थली को चित्रकला के माध्यम से कायाकल्प कर उसे संवारने में लगा है. अभी तक 30 देवगुड़ी स्थलों का काम पूरा हो चुका है.

देवगुड़ी के कायाकल्प से बदलेगा बस्तर

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12 करोड़ की लागत से देवगुड़ियों को संवारने का काम

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देवगुड़ी

कलेक्टर दीपक सोनी व सीईओ अश्वनी देवांगन ने बताया कि ग्रामीणों की पूजा स्थली आस्था व पर्यटन को ध्यान में रखते हुए 143 पंचायतों में देव गुड़ियों का कायाकल्प करने का काम चल रहा है. जिसकी लागत 12 करोड़ है. अब तक 30 देवगुड़ियों का काम पूरा हो चुका है. जनवरी के आखिर तक सभी देवगुड़ियों का काम पूरा हो जाएगा.

दूर-दूर लोग देवगुड़ी देखने पहुंच रहे

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देवगुड़ी

गमावाडा स्थित देवगुड़ी के पुजारी हडमा ने बताया कि हिगराज देवता हैं. जिनकी पूजा-अर्चना पूरे गांव वाले करते हैं. हिगराज देवता की पूजा अर्चना करने से गांव में बीमारी लाचारी नहीं आती है. यहां जो भी अपनी मनोकामना मांगते हैं वह पूरी होती है. पुजारी ने बताया कि देवगुड़ी बन जाने से गांव वालों के लिए अच्छा हो गया है. अब देवगुड़ी को देखने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं.

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चितालका देवगुडी उपसरपंच ने बताया कि पहले देवगुड़ी पूजा स्थल जर्जर अवस्था में था. शासन-प्रशासन की तरफ से देवगुड़ी का पुनः निर्माण कार्य कराने से अब इसका कायाकल्प हो गया है. गांव वालों के रुकने के लिए जगह बनाए गए हैं. पूजा स्थली में चित्रकला की जा रही है. जिससे यह और भी सुंदर दिख रहा है. आने वाले समय में यहां भव्य मेला का आयोजन किया जाएगा.

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देवगुड़ी

दंतेवाड़ा जिले में हर गांवों की आस्था का केंद्र वहां के ईष्ट देव और देवगुड़ियां होते हैं. जिले के हर गांवों में देवगुड़ियां हैं. जिन्हें संवारा जा रहा हैं. गार्डन, फल, फूल के पौधे, यहां आने वालों के लिए बैठने और रहने की व्यवस्था, पानी, शौचालय जैसी तमाम सुविधाएं देवगुड़ियों के आसपास तैयार की जा रही हैं. देवगुड़ी कायाकल्प कार्यक्रम को प्रशासन विस्तार दे रहा है.

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