दंतेवाड़ा: सुकमा के ताड़मेटला एनकाउंटर पर विवाद दिन प्रतिदिन दिन बढ़ता ही जा रहा है. 5 सितंबर को सुकमा जिले के ताड़मेटला में हुए एनकाउंटर को नक्सलियों ने फर्जी एनकाउंटर करार दिया था. इस पर बस्तर आईजी ने नक्सलियों को सही तथ्य पेश करने की चेतावनी दी थी. हालांकि ये मामला एक अलग ही मोड़ लेता नजर आ रहा है. मामले में अब समाजसेविका बेला भाटिया की एंट्री हुई है. बेला भाटिया मृतकों के परिवार से मिलने पहुंची. हालांकि पुलिस ने उन्हें मिलने नहीं दिया. जिसके बाद बेला भाटिया धरने पर बैठ गई. ताड़मेटल एनकाउंटर मामले में उस वक्त विवाद हो रहा है. जब दो दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दंतेवाड़ा के राजनीतिक दौरे पर आने वाले हैं.
मृतक के परिजनों का आरोप: इधर, इस मामले को लेकर मृतक के परिजनों ने जवानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. परिजनों ने पुलिस पर डरा-धमका कर शवों का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि "आदिवासी परंपरा के अनुसार दोनों ग्रमाीणों का अंतिम संस्कार तक फोर्स ने नहीं होने दिया. परिजनों की मानें तो मारे गए दोनों ग्रामीण थे. एक व्यक्ति मछली का बीज खरीदने गया था. दूसरा किराना दुकान के लिए सामान लेने गया था. मृतकों के पास पैसे थे और मोबाइल भी था. जो कि गायब है. दोनों की बाइक भी नहीं मिल रही है."
बेला भाटिया की एंट्री से गरमाया मामला: इधर, मामले में समाजसेविका और मूलवासी बचाओ मंच के पदाधिाकारी बेला भटिया की एंट्री हुई. वो मृतक के परिजनो से मिलने जा रही थी. हालांकि उनको पुलिस ने परिजनों से मिलने नहीं दिया. वो धरने पर बैठ गईं. इस बीच मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, "हमें जानकारी मिली थी फर्जी मुठभेड़ की. दोनों ग्रामीणों का जबरन शव जला दिया गया. सारे सबूत पुलिस की ओर से मिटा दिए गए. जब हम परिजनों से मिलने के लिए गांव की ओर जा रहे थे. तब पुलिस ने हमें जाने नहीं दिया. पुलिस का कहना था कि वो हमारी सुरक्षा के लिए हमें उस इलाके में जाने से रोक रहे हैं. मैंने धरना भी दिया, लेकिन फिर भी मुझे मृतक के परिजनों से मिलने नहीं दिया गया. आखिरकार मुझे लौटना पड़ा."
जवानों ने जब निर्दोष आदिवासियों को नहीं मारा है तो हमें जाने क्यों नहीं दे रहे हैं. वरिष्ठ अधिकारियों को भी फोन लगया, लेकिन उनसे भी कोई संतोषपूर्ण जबाब नहीं मिला है. -बेला भाटिया, अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता
बता दें कि इस मुठभेड़ मामले में आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने भी सावाल खड़े किए हैं. वे भी इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं. दूसरी ओर पुलिस प्रशासन अंदरूनी क्षेत्र में ग्रामीणों की सुरक्षा का दावा कर रही है.
ये है पूरा मामला: ये पूरा मामला सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना का है. पुलिस के मुताबित ताड़मेटला और दुलेड़ के जंगलों में जगरगुंडा एरिया कमेटी के नक्सलियों की मौजूदगी की खबर मिली थी. सूचना के अधार पर डीआरजी और सीआरपीएफ 223 बटालियन की संयुक्त फोर्स रवाना हुई थी. 5 सितंबर को ऑपरेशन के दौरान ताड़मेटला और दुलेड़ के जंगलों के बीच नक्सलियों ने फोर्स पर हमला किया. इस बारे में एसपी ने बताया कि पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए गोलीबारी की. इस गोलीबारी के बाद सर्चिंग के दौरान दो नक्सलियों का शव मिला.दोनों मिलीशिया कैडर सोढ़ी देवा और रावा देवा जगरगुंडा एरिया केमटी में सक्रिय थे. उन पर शासन की ओर से एक लाख रुपए का इनाम घोषित था. शवों की पहचान की गई. दोनों पर शिक्षक कवासी सुक्का और ताडमेटला पंचायत के उप सरपंच मदावी गंगा की हत्या से सबंधित आरोप थे. इसके अलावा कोरसा कोसा के हत्या का भी आरोप इन पर था.
नक्सलियों ने जारी किया थी विज्ञप्ति: इस मामले में नक्सलियों ने भी विज्ञप्ति जारी कर दोनों मृतकों को ग्रामीण बताया था. इस पर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने ग्रामीणों के सामने सही तथ्य पेश करने की बात नक्सलियों से कही थी. इतना ही नहीं इस मामले में 48 घंटे के भीतर बस्तर आईजी ने नक्सलियों को जवाब देने की बात कही थी. वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा था. इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता की एंट्री के बाद मामला और भी तूल पकड़ चुका है. इधर, मृतकों के परिजन भी जवानों पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
दो दिन बाद बीजेपी की परिवर्तन यात्रा: दंतेवाड़ा में दो दिन बाद बीजेपी की परिवर्तन यात्रा होनी है. उस यात्रा से पहले दंतेवाड़ा में ताड़मेटला मुठभेड़ का मामला गर्माता जा रहा है. ऐसे में देखना होगा कि छत्तीसगढ़ पुलिस, सुरक्षाबलों की टीम और राज्य शासन इस मुद्दे को कैसे हैंडल करती है.