दंतेवाड़ा: अपने में असीम संभावनाओं को समेटे हुए, भरपूर वनोपज संसाधनों, प्राकृतिक सौंदर्य, आदिवासी संस्कृतियों को समाहित किए दंतेवाड़ा आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. आज दंतेवाड़ा जिले का जिक्र करते ही सबसे पहले 'डेनेक्स' का नाम आता है. महज सात से आठ महीने में डेनेक्स ब्रांड ने बड़ा मुकाम हासिल किया है. साथ ही अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर की है. डेनेक्स (Denex ) का अर्थ 'दंतेवाड़ा नेक्स्ट' है. जिसकी शुरूआत गरीबी उन्मूलन के तहत यहां के निवासियों आजीविका से जोड़ने के उदेश्य से किया गया. पूना माड़ाकाल दंतेवाड़ा जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सपना है, जिसे साकार करने के लिए कलेक्टर दीपक सोनी एवं जिला प्रशासन सिद्दत से जुटा हुआ है.
कलेक्टर सोनी ने गरीब उन्मूलन के लिए बकायदा कार्य योजना तैयार की है. जिस पर आलाकमान के स्वीकृति की मुहर भी लग गई है. सर्वे के साथ योजना की शुरुआत की गई. सबसे गरीब और वंचित को सबसे पहले योजना का लाभ दिया जा रहा है. जिले के सभी विकासखंडों में उनकी भौगोलिक स्थिति और संसाधनों के अनुरुप जैविक खेती तथा उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिससे सभी क्षेत्रों को पहचान मिल सके.
दंतेवाड़ा के चारों विकासखंड की महिलाओं एवं पुरुषों को प्रशिक्षित कर आजीविका से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना ही हमारा लक्ष्य है. सबसे पहले कार्य योजनानुसार लोगों के आजीविका वर्धन के लिए उत्पादों को बाजार दिलाना है. साथ ही लोगों को प्रशिक्षित कर उनका कौशल उन्नयन करना प्रशासन की प्राथमिकता है.
डेनेक्स ब्रांड की उत्पति भी लोगों को आर्थिक आजादी दिलाने की लिए की गई है. डेनेक्स ब्रांड के उत्पादन एवं उनके विक्रय से यहां के निवासियों के आर्थिक स्तर में सुधार हुआ है. दंतेवाड़ा जिले को अब गारमेंट हब के नाम से जाना जा रहा है. डेनेक्स के नाम से कपड़े की फैक्ट्री हारम और बारसूर में स्थापित की जा चुकी है. जबकि कटेकल्याण और बचेली में फैक्ट्री जल्द शुरू होने वाली है.
दंतेवाड़ा जिले में बेरोजगार महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से नवा दंतेवाड़ा गारमेंट फैक्ट्री यूनिट हारम का शुभारंभ 31 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री बघेल द्वारा किया गया. जिसमें जिले का गारमेन्ट के क्षेत्र में स्वयं का डेनेक्स ब्रांड के नाम से कपड़ा उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया है. अब तक 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है. चारों डेनेक्स में 1,200 परिवारों को रोजगार देने का लक्ष्य है.
भूपेश सरकार ने बस्तर की सभी देवी देवताओं की भूमि को संरक्षित करने के लिए और देव गुड़ी के लिए एक विशेष बजट बस्तर के लिए दिया गया. जिससे देवगुड़ी का कायाकल्प किया जा रहा है. जिसकी शुरुआत दंतेवाड़ा जिले से की गई. मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जिला कलेक्टर दीपक सोनी ने ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मदद से देवगुड़ी को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है.