ETV Bharat / state

कोसा उत्पादन से बदलेगी नक्सलगढ़ की तस्वीर, दंतेवाड़ा से शुरू हुई पहल - तिल और रागी की खेती

प्रशासन खाली पड़े जमीन पर कोसा उत्पादन के लिए किसानों की मदद कर रहा है. जिससे किसान भी इस ओर प्रेरित हो रहें हैं. खुद कलेक्टर ने यह पहल की है

कोसा उत्पादन से बदलेगी नक्सलगढ़ की तस्वीर, दंतेवाड़ा से शुरू हुई पहल
author img

By

Published : Oct 16, 2019, 11:52 PM IST

दंतेवाड़ा: प्रशासन की पहल के साथ कोसा उत्पादन के क्षेत्र में लोगों ने कदम रखा है. जो धीरे-धीरे दंतेवाड़ा के साथ ही यहां के किसानों की जिंदगी बदल सकता है. प्रशासन यहां खाली पड़े जमीन पर कोसा उत्पादन के लिए किसानों की मदद कर रहा है. जिससे किसान भी इस ओर प्रेरित हो रहें हैं. खुद कलेक्टर ने यह पहल की है.

कोसा उत्पादन से बदलेगी नक्सलगढ़ की तस्वीर

कोसा उत्पादन के साथ-साथ कोसरा, तिल और रागी की खेती करवाई जा रही है. खास बात यह है कि सब कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के देख रेख में हो रहा है. शुरूआत में 1 हजार डी एफ एल खाली पड़े पेड़ों में छोड़े गए थे जिससे अब करीब 2 लाख अंडे निकलने की किसान को उम्मीद है.

प्रक्रिया को समझ रहे किसान
125 एकड़ में कोसा, कोसरा, तिल और रागी की खेती में रागी ही एक ऐसी फसल रही जो देरी के कारण विफल रही मगर किसान दोबारा उसकी खेती करके सफल होने की बात कह रहे हैं. इस नई पहल से किसान भी जुड़ रहे हैं और कोसा उत्पादन की प्रक्रिया को समझ रहे हैं और कोसा के इल्लियों को पक्षियों से बचाने के लिए किसान जंगल में हमेशा मुस्तैद रहते हैं.

सफलता के बाद अन्य गांव भी जुड़ेंगे
फिलहाल यह परीक्षण गंजेनार पंचायत के 125 एकड़ जमीन में 140 किसानो को साथ लेकर किया गया है. सफल होने के बाद इसमें अन्य गांवों के किसानों को जोड़ने की योजना भी है.

दंतेवाड़ा: प्रशासन की पहल के साथ कोसा उत्पादन के क्षेत्र में लोगों ने कदम रखा है. जो धीरे-धीरे दंतेवाड़ा के साथ ही यहां के किसानों की जिंदगी बदल सकता है. प्रशासन यहां खाली पड़े जमीन पर कोसा उत्पादन के लिए किसानों की मदद कर रहा है. जिससे किसान भी इस ओर प्रेरित हो रहें हैं. खुद कलेक्टर ने यह पहल की है.

कोसा उत्पादन से बदलेगी नक्सलगढ़ की तस्वीर

कोसा उत्पादन के साथ-साथ कोसरा, तिल और रागी की खेती करवाई जा रही है. खास बात यह है कि सब कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के देख रेख में हो रहा है. शुरूआत में 1 हजार डी एफ एल खाली पड़े पेड़ों में छोड़े गए थे जिससे अब करीब 2 लाख अंडे निकलने की किसान को उम्मीद है.

प्रक्रिया को समझ रहे किसान
125 एकड़ में कोसा, कोसरा, तिल और रागी की खेती में रागी ही एक ऐसी फसल रही जो देरी के कारण विफल रही मगर किसान दोबारा उसकी खेती करके सफल होने की बात कह रहे हैं. इस नई पहल से किसान भी जुड़ रहे हैं और कोसा उत्पादन की प्रक्रिया को समझ रहे हैं और कोसा के इल्लियों को पक्षियों से बचाने के लिए किसान जंगल में हमेशा मुस्तैद रहते हैं.

सफलता के बाद अन्य गांव भी जुड़ेंगे
फिलहाल यह परीक्षण गंजेनार पंचायत के 125 एकड़ जमीन में 140 किसानो को साथ लेकर किया गया है. सफल होने के बाद इसमें अन्य गांवों के किसानों को जोड़ने की योजना भी है.

Intro:कोसा,कोसरा,तिल और रागी से सभलेगी आदिवासी किसानों की जिंदगी - एक पंचायत से शुरू की गई है ये अनूठी पहल,प्रशासन कर रहा हर संभव प्रयास - कोसा उत्पादन के लिए अर्जुन,सेना और आदिन के पेड़ों पर छोड़े गए 1 हजार डी एफ एल - कोसा का उत्पादन भी हुआ शुरू, इधर 10 एकड़ में तिल भी तैयार - 125 मारहान जमीन का हो रहा इस्तेमाल, 50 किसानों का समूह कर रहा काम - किसान को बाजार में खुद बेचने का अधिकार, दर सही नही तो रेशम विभाग करेगा खरीद दंतेवाड़ा। बस्तर की पहचान सिर्फ लाल आतंक से ही है। लोंगो के जहन से ये धारणा निकलती नही है। खूबसूरत वादियों से घिरा बस्तर वन संपदा से परिपूर्ण है। यहां की दशा बदलने के लिए सिर्फ आदिवासियों को दिशा दिखाने की जरूरत है। इस बार प्रशासन ने कुछ ऐसा ही किया है। कहने के लिए आदिवासियों के पास कई एकड़ जमीन है,लेकिन पौदावार कुछ नही। जिस जमीन में कुछ नही होता था,किसानों की ऐसी ही जमीन को लिया गया। ऐसा जंगल जहां सेना,आदिन और अर्जुन के पेड़ बहुतायत है। उन किसानों का समूह तैयार किया गया है। करीब 50 किसानों से कोसा का उत्पादन करवाया जा रहा। इन किसानों कोसा अब बाजार के लिए तैयार हो चुका है। करीब 2 लाख अंडे निकलने की किसान बात कह रहे है। यह पहल प्रशासन ने दंतेवाड़ा ब्लॉक के गंजेनार पंचायत से की है। किसान इस पहल से बेहद खुश है। इसी के साथ रागी,कोसरा और तिल का भी उत्पादन कर रहे है। किसानों का कहना पहला साल है। इस लिए अनुभव की कमी से रागी का उत्पादन नही हुआ है। समय बार बुआई नही हुई। अगली बार रागी का उत्पादन भी रिकार्ड तोड़ होगा।


Body:8 किसानों की टीम सिर्फ इल्ली को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी किसानों का समूह कोसा उत्पादन को लेकर उत्साहित है। कोसा बनाने वाली इल्ली को चिड़िया अपना शिकार बनाती है। इन इल्लियों को बचाने के लिए 8 किसानों को तैनात किया गया है। किसान के हांथ में गुलेल है,जिससे वे परम्परागत तरीके से चिड़ियों को भगाते है। साथ ही जोर से तरह की आवाजें करते है,जिससे इल्ली को बचाया जा सके।


Conclusion:vis byt कलक्टर byt किसानों की byt कृषि विभाग के nehru markaam
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.