दंतेवाड़ाः फरसपाल में पारंपरिक मड़ई मेला का आयोजन किया गया. परसुम करसाड़ में सिर पर गौर सिंग और ढोल बजाते हुए लोगों ने मड़ई मेले का जमकर लुत्फ उठाया. मेले में पहुंचे कलेक्टर दीपक सोनी भी आम लोगों के साथ बस्तर के पारंपरिक ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते नजर आए. कलेक्टर दीपक सोनी आदिवासी संस्कृति को संरक्षण देने और पर्यटन क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने की बात कही.
आदिवासी संस्कृति की झलक
परसुम करसाड़ में मुख्य मेले का आयोजन किया गया. मड़ई मेला में आस-पास के गांव के लोग देवी-देवताओं के साथ शामिल हुए. बस्तर अंचल में लोक मड़ई मेले का बहुत महत्व है. यहां के मेले में वास्तविक आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. आस्था और संस्कृति के प्रतीक इस मेले में लोग मिलकर ढोल, मांदर और घुंघरू की थाप पर नृत्य और गीत गाकर देवी-देवताओं की आराधना करते हैं.
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देश-विदेश तक मेले पहचान दिलाना लक्ष्य
मौके पर पहुंचे कलेक्टर दीपक सोनी दंतेवाड़ा की आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलाने का बात कही. उन्होंने कहा कि यहां के स्थलों को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे यहां के युवाओं को रोजगार मिल सके. जिले के सभी ग्राम पंचायतों में देवगुड़ी का कायाकल्प करने की शुरुआत की गई है.
देवगुड़ी स्थल निर्माण पर दिया जा रहा जोर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने 2021-22 के बजट में देवगुड़ी स्थल निर्माण और संरक्षण के लिए 5 लाख रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है. जिससे अब देवगुड़ी को और बेहतर बनाया जा सकेगा. जिले के पर्यटन क्षेत्र में पहुंचने और वहां पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने की भी योजना बनाई गई है.