दंतेवाड़ा : जिला लौह अयस्क और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. दंतेवाड़ा जिले में एकमात्र विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 88 के लिए आरक्षित है. दंतेवाड़ा जिले में कुल 6 तहसील है. दंतेवाड़ा, गीदम, बचेली, कुआकोंडा, कटेकल्याण और बारसूर तहसील दंतेवाड़ा जिले में शामिल हैं. जिले में तीन अनुभाग हैं. दंतेवाड़ा, बड़े बचेली और गीदम.
2023 चुनाव में कांग्रेस बीजेपी के उम्मीदवार: कांग्रेस पार्टी ने वर्तमान कांग्रेस विधायक देवती कर्मा का टिकट काटकर उनके बेटे छविंद्र कर्मा को दंतेवाड़ा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने दंतेवाड़ा सीट से चैतराम अटामी को टिकट दिया है. वहीं इस तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला सदेखने को मिलेगा.
क्या है सीट का इतिहास : दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह कांग्रेस के कब्जे में थीं. 2003 में बस्तर टाइगर के नाम से जाने जाने वाले महेंद्र कर्मा ने जीत हासिल की. 2008 विधानसभा चुनाव बीजेपी के भीमा मंडावी ने जीत हासिल की.2013 विधानसभा में फिर कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाए रखा और देवती महेंद्र कर्मा ने भाजपा के भीमा मंडावी को मात देते हुए विजय हासिल की. कांग्रेस की प्रत्याशी देवती महेंद्र कर्मा को 41 हजार 188 वोट मिले. वहीं बीजेपी के भीमा मंडावी को 35 हजार 307 वोट मिले.विधानसभा 2018 में कांग्रेसी प्रत्याशी देवती महेंद्र कर्मा को हराकर भाजपा प्रत्याशी भीमा मंडावी ने जीत हासिल की. लेकिन साल के भीतर ही नक्सली हमले में भीमा मंडावी शहीद हो गए. इस घटना के बाद उपचुनाव हुए. जिसमें एक बार फिर देवती कर्मा ने जीत हासिल की थी.
नक्सलवाद अब भी जिंदा : दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पहाड़ी और जंगली क्षेत्र होने के कारण पहुंच विहीन है.भौगौलिक परिस्थितियों के कारण विकास कार्य समुचित क्षेत्र में नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से नक्सलवाद की जड़ें अब भी मजबूत है. बावजूद इसके राजनीतिक पार्टियां अपनी क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के दम पर मतदाताओं तक पहुंच रही हैं. प्रशासन भी 4 सालों में अंदरूनी क्षेत्रों में विकास कार्य होने का दावा कर रहा है.
जानिए मतदाताओं की संख्या: दंतेवाड़ा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 192440 है. यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 90127 हैं. इस सीट पर 102312 महिला मतदाता हैं. साथ ही यहां 1 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
मुद्दे और समस्या : दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मुख्य समस्या नक्सलवाद और बेरोजगारी है. दंतेवाड़ा क्षेत्र में एनएमडीसी के अलावा कोई बड़ा उद्योग नहीं है. स्थानीय आदिवासी वनोपज मानसून आधारित कृषि पर आश्रित है. मानसून के बाद रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन करते हैं. इन्हीं मुद्दों को लेकर दोनों पार्टियां चुनावी मैदान में उतरेंगी. सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी भूपेश बघेल के नेतृत्व में 4 साल में किए गए योजना और विकास को लेकर जन जन तक पहुंच रही है. सरकार का दावा है कि जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में सड़क बिजली पानी रोड की समस्या जन जन तक पहुंच रही है. जिसका फायदा आने वाले चुनाव में हमारी पार्टी को मिलेगा. वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी सत्ताधारी पार्टी के 4 सालों में किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाने की बात कह रही है.इसको लेकर जनता तक डोर टू डोर कैंपेन कर रही है.