दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा में चुनाव की ड्यूटी पर तैनात बीएसएफ के जवान के हाथ में ग्रेनेड फटने से मौत हो गई. जिले के कटेकल्याण में रविवार को बीएसएफ की 70 बटालियन की एक टीम सर्चिंग के लिए निकल रही थी. तभी कटेकल्याण थाने के बाहर जवान के हाथ में ग्रेनेड फट गया. घटना के बाद जवान को अस्पताल पहुंचाया गया. अस्पताल में डॉक्टरों ने जवान को मृत घोषित कर दिया.
सर्चिंग के दौरान फटा हैंडग्रेनेड: इस बारे में एक अधिकारी ने बताया कि, "रविवार को दंतेवाड़ा में ग्रेनेड विस्फोट के कारण चुनावी ड्यूटी पर तैनात बीएसएफ के जवान की मौत हो गई. रविवार को कटेकल्याण पुलिस थाने में तैनात बीएसएफ की 70वीं बटालियन की एक टीम चुनाव की ड्यूटी पर थी. जैसे ही ये टीम थाने से बाहर निकली, तभी हेड कांस्टेबल बलबीर चंद के हाथ में रखा हैंडग्रेनेड फट गया. इसके बाद सीआरपीएफ जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तुरंत दंतेवाड़ा जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बताया जा रहा है कि जिस जवान की मौत हुई है, वो हिमाचल प्रदेश का रहने वाले था. उनके परिवार के सदस्यों को घटना के बारे में सूचित कर दिया गया है. दुर्घटना से हुई मौत की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. आगे की जांच जारी है."
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पहले से तैनात सुरक्षाबल: दरअसल, छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान 7 नवंबर को होना है. इससे पहले लगातार नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. नक्सलगढ़ में सुरक्षा के मौजूदा इंतजाम को लेकर दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने बताया कि, "दंतेवाड़ा में कुल 273 मतदान केन्द्र है, जिसमें लगभग 51 सामान्य और 222 संवेदनशील पोलिंग बूथ है. यहां निष्पक्ष और सुरक्षित मतदान के लिए पहले से 20 सीआरपीएफ की कंपनी के जवान तैनात हैं. 47 अतिरिक्त पैरा मिलिट्री फोर्स की कंपनी को भी लगाया गया है.बस्तर फाइटर के लगभग पांच सौ फोर्स मौजूद हैं. क्षेत्र में पुलिस बल के साथ ही एसएसटी और एफएसटी टीम सक्रिय हैं. लगातार संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त की जा रही है. सर्चिंग अभियान तेज कर दिया गया है. वाहन चेकिंग भी लगातार किए जा रहे हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दंतेवाड़ा जिले में 21 मतदान केन्द्रों को नक्सली समस्या के कारण शिफ्ट करना पड़ा था. इस बार वो संख्या 21 से घटकर 7 हो गई है. इस बार नक्सली समस्या के कारण 7 मतदान केन्द्रों को शिफ्ट करना पड़ा है."
बता दें कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांतिपूर्ण और सुरक्षित मतदान संपन्न कराना बड़ी चुनौती है. इसके लिए पहले से ही ऐसे क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात है. इस बीच लगातार नक्सलियों के आतंक से संवेदनशील क्षेत्र के मतदाता खौफ में हैं.