दंतेवाड़ा: केंद्र सरकार ने जिला खनिज न्याय निधि (DMF) समिति को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले में अब डीएमएफ समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे. साथ ही स्थानीय जनतप्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे. बीजेपी ने केंद्र सरकार के इस फैसला का स्वागत किया है. भाजपा जिला अध्यक्ष चैतराम अटामी (chatram atami) ने डीएमएफ समिति (DMF Committee) के अध्यक्ष के रूप में कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों को सदस्य बनाए जाने के निर्णय को सही बताया है.
दंतेवाड़ा बीजेपी जिला अध्यक्ष अटामी ने बताया कि मंत्री कवासी लखमा के बेटे हरीश कवासी इस फैसले को तुगलकी बता रहे हैं. जिले के प्रभारी और डीएमएफ अध्यक्ष जय सिंह अग्रवाल दंतेवाड़ा कितने बार क्षेत्र का दौरा करने आए ये सभी को पता है. उन्होंने कहा कि हमारे प्रभारी मंत्री मिस्टर इंडिया की तरह अदृश्य हैं. क्षेत्र के ग्राम सरपंच जो जनता से चुने गए जनप्रतिनिधि हैं वे भी उन्हें देखने और उनसे डीएमएफ मद से ग्राम विकास की चर्चा करने के लिए दो वर्षों से उन्हें तलाश रहे हैं. पिछले दो वर्षों से कांग्रेस क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधियों, सरपंच, जनपद सदस्य को जिला खनिज न्यास निधि से वंचित कर बेदखल कर रखी है.
'डीएमएफ फंड पर कुंडली मारकर बैठे'
जिला बीजेपी अध्यक्ष चैतराम अटामी ने कहा कि कुछ कांग्रेस नेता अपने फायदे के लिए डीएमएफ फंड पर कुंडली मारकर बैठे हैं. अपने हित साधने के लिए ही डीएमएफ का उपयोग कर रहे हैं. रही बात डीएमएफ समिति की तो वे रायपुर में बैठे हैं. राज्य के मुखिया को खुश करने के उद्देश्य से जिले की डीएमएफ राशि को राजधानी के सजावट के लिए वहीं मंगा लेते हैं. ऐसे समिति अध्यक्ष के होने न होने से क्या फर्क पड़ता है.
'कांग्रेस नेताओं को आपत्ति क्यों'
अटामी ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस नेताओं को आपत्ति है. कहीं इन्हें मान-सम्मान से ज्यादा जेब खाली होने का डर तो नहीं सता रहा है. नई समिति में कलेक्टर के अध्यक्ष होने से कांग्रेसी नेताओं को कमीशन खोरी बंद हो जाने की चिंता ज्यादा सता रही है. मान अपमान तो एक बहाना है. अटामी ने कहा हरीश कवासी पिछली सरकार और वर्तमान सरकार ने डीएमएफ राशि से जिले में किए गए कार्यों की जानकारी निकाल कर देख लें. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
देश में कोरोना फैलाने के लिए बीजेपी जिम्मेदार: सुरेंद्र शर्मा
'कांग्रेस नेता केवल बंदरबांट की राजनीति में लगे'
बीजेपी जिला अध्यक्ष चैतराम अटामी ने कहा कि क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं को यहां के विकास से कोई लेना देना नहीं है. वे केवल बंदरबांट की राजनीति में लगे हैं. डीएमएफ फंड के अध्यक्ष कलेक्टर के होने से आखिर नुकसान क्या है. गलत काम के लिए जब समिति के सदस्य सहमति नहीं देंगे तो स्वीकृति नहीं होगी. पिछली सरकार के समय जिला कलेक्टरों को डीएमएफ समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. तब किसी भाजपाई विधायक, सांसद, मंत्री को कोई आपत्ति नही थी. जिला कलेक्टरों ने समिति अध्यक्ष होने का दायित्व भी बखूबी निभाया था. जिले में जिला खनिज न्यास निधि से किये गए दर्जनों विकास कार्य देश मे मॉडल साबित हुए हैं. कांग्रेस उन्ही कलेक्टरों को नौकरशाही को बढ़ावा देने की बात कहे उनके काबिलियत पर शक कर रही है.