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दंतेश्वरी शक्तिपीठ में सैलानियों का आकर्षण, देवगुड़ी हो रहा पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित

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Published : Aug 25, 2021, 9:59 AM IST

दंतेवाड़ा विभिन्न आदिवासी संस्कृतियों को अपने में संजोये हुए है. जहां प्रत्येक गांवो में परंपरानुसार एक आस्था का स्थल बना हुआ है. उस स्थान को देवगुड़ी के नाम से जाना जाता है. देवगुड़ी में गांव वालों की आस्था बसती है. गांव में कोई भी त्यौहार बिना देवगुड़ी में पूजा आराधना के सम्पन्न नहीं होती.

Danteshwari Shaktipeeth
दंतेश्वरी शक्तिपीठ

दंतेवाड़ा: आस्था का केंद्र मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ भक्तों के लिए हमेशा वरदान साबित हुआ है. यहां आस-पास के जिलों समेत अन्य राज्यों से भी भक्त आकर मां के दर्शन करते हैं. साथ ही दंतेवाड़ा आने वाले सैलानी भी दंतेश्वरी शक्तिपीठ आते हैं और इलाके के अलौकिक दृश्यों का लुफ्त उठाते हैं.

जिला प्रशासन सैलानियों की संख्या और अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से 143 ग्राम पंचायतों में देवगुड़ी स्थल का कायाकल्प कर उसे पर्यटन केंद्र के रूप स्थापित करने और यहां की अमूल्य संस्कृति, धरोहर को संजोने का काम कर रहा है. जिससे दंतेवाड़ा जिले के विभिन्न संस्कृति, सभ्यता, खान-पान, रहन-सहन, आभूषण और बोली-भाषा से यहां आने वाले सैलानी परिचित हो सकेंगे. साथ ही उन्हें पहली बार एक ऐसा स्थान मिलेगा, जहां वह आदिवासी अंचल की सभ्यता-संस्कृति को जानने-पहचानने के साथ-साथ उसे करीब से महसूस कर सकेंगे. सैलानियों के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार खुद होगा और इसे विश्व पटल पर अलग पहचान मिलेगी. जिससे आदिवासी संस्कृति और समृद्ध होगी.

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जिला दंतेवाड़ा विभिन्न आदिवासी संस्कृतियों को अपने में संजोये हुए है. जहां प्रत्येक गांवो में परंपरानुसार एक आस्था का स्थल बना हुआ है. उस स्थान को देवगुड़ी के नाम से जाना जाता है. देवगुड़ी में गांव वालों की आस्था बसती है. गांव में कोई भी त्यौहार बिना देवगुड़ी में पूजा आराधना के सम्पन्न नहीं होती. गांवों में आस्था के प्रतीक स्वरूप देवगुड़ी का संरक्षण और कायाकल्प करने का बीड़ा जिला प्रशासन ने उठाया है. जिसमें मुख्य रूप से देवगुड़ी स्थल का जीणोद्धार, देवगुड़ी परिसर में फलदार-छायादार पेड़ों को लगाना, ग्रामीणों हेतु पेयजल व्यवस्था, देवगुड़ी हेतु शेड निर्माण कार्य शामिल है.

यह स्थान पर्यटन स्थल बनने के बाद इससे यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. जिससे इलाके में बेरोजगारी को कम किया जा सकेगा. साथ ही आस्था का केंद्र मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ एक बार फिर अपने भक्तों के लिए वरदान साबित होगी.

दंतेवाड़ा: आस्था का केंद्र मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ भक्तों के लिए हमेशा वरदान साबित हुआ है. यहां आस-पास के जिलों समेत अन्य राज्यों से भी भक्त आकर मां के दर्शन करते हैं. साथ ही दंतेवाड़ा आने वाले सैलानी भी दंतेश्वरी शक्तिपीठ आते हैं और इलाके के अलौकिक दृश्यों का लुफ्त उठाते हैं.

जिला प्रशासन सैलानियों की संख्या और अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से 143 ग्राम पंचायतों में देवगुड़ी स्थल का कायाकल्प कर उसे पर्यटन केंद्र के रूप स्थापित करने और यहां की अमूल्य संस्कृति, धरोहर को संजोने का काम कर रहा है. जिससे दंतेवाड़ा जिले के विभिन्न संस्कृति, सभ्यता, खान-पान, रहन-सहन, आभूषण और बोली-भाषा से यहां आने वाले सैलानी परिचित हो सकेंगे. साथ ही उन्हें पहली बार एक ऐसा स्थान मिलेगा, जहां वह आदिवासी अंचल की सभ्यता-संस्कृति को जानने-पहचानने के साथ-साथ उसे करीब से महसूस कर सकेंगे. सैलानियों के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार खुद होगा और इसे विश्व पटल पर अलग पहचान मिलेगी. जिससे आदिवासी संस्कृति और समृद्ध होगी.

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जिला दंतेवाड़ा विभिन्न आदिवासी संस्कृतियों को अपने में संजोये हुए है. जहां प्रत्येक गांवो में परंपरानुसार एक आस्था का स्थल बना हुआ है. उस स्थान को देवगुड़ी के नाम से जाना जाता है. देवगुड़ी में गांव वालों की आस्था बसती है. गांव में कोई भी त्यौहार बिना देवगुड़ी में पूजा आराधना के सम्पन्न नहीं होती. गांवों में आस्था के प्रतीक स्वरूप देवगुड़ी का संरक्षण और कायाकल्प करने का बीड़ा जिला प्रशासन ने उठाया है. जिसमें मुख्य रूप से देवगुड़ी स्थल का जीणोद्धार, देवगुड़ी परिसर में फलदार-छायादार पेड़ों को लगाना, ग्रामीणों हेतु पेयजल व्यवस्था, देवगुड़ी हेतु शेड निर्माण कार्य शामिल है.

यह स्थान पर्यटन स्थल बनने के बाद इससे यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. जिससे इलाके में बेरोजगारी को कम किया जा सकेगा. साथ ही आस्था का केंद्र मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ एक बार फिर अपने भक्तों के लिए वरदान साबित होगी.

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