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नक्सल प्रभावित ग्रामीणों के लिए वरदान बनी '108', पहुंच विहीन गांव में पहुंचकर मरीज की बचाई जान

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 108 एंबुलेंस ने सेवा भावना की बड़ी मिसाल पेश की है. नक्सल प्रभावित कुंआकोंडा ब्लॉक (Naxal affected Kuakonda block)के ग्राम तमेली उबड़-खाबड़ रास्तों से पहुंचकर मरीज की जान बचाई.

108 ambulances saved the life of an oldman
संजीवनी एक्सप्रेस पहुंच विहीन गांव में पहुंचकर मरीज की बचाई जान
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Published : Jun 18, 2021, 9:40 PM IST

दंतेवाड़ा: जिले अंदरूनी क्षेत्रों के बहुत से गांव अभी भी पहुंच विहीन है. जिसके कारण जिसके चलते ग्रामीणों को आवागमन की समस्या आए दिन जूझना पड़ता है. बारिश के दिनों में इन ग्रामीणों की स्थिति नर्क से भी बदतर हो जाती है. बारिश होने के कारण गांव चारों तरफ से लॉक हो जाता है. ऐसे में अगर किसी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो फिर भगवान ही सहारा रहता है. इन ग्रामीणों के लिए 108 एंबुलेंस किसी वरदान की तरह साबित हुई है. 108 पहुंच विहीन गांवों में भी उबड़-खाबड़ रास्तों से जाकर मरीज की जान बचा रहे हैं.

संजीवनी एक्सप्रेस पहुंच विहीन गांव में पहुंचकर मरीज की बचाई जान

ऐसा ही मामला शुक्रवार को नक्सल प्रभावित कुंआकोंडा ब्लॉक (Naxal affected Kuakonda block) अंतर्गत आने वाले ग्राम तमेली में देखने को मिला. जहां मरीज की तबीयत खराब होने पर परिजनों ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस (sanjeevani express) को कॉल किया. जिसके बाद संजीवनी एक्सप्रेस चालक अपने कर्तव्य का बखूबी से पालन करते हुए पहुंच विहीन ग्राम तमेली में उबड़-खाबड़ रास्तों को पार करते हुए गांव पहुंची. इसके बाद मरीज का इलाज कर उसकी जान बचाई.

दंतेवाड़ा में 108 कर्मी बने देवदूत, नदी को पार कर बुजुर्ग महिला को पहुंचाया अस्पताल


कांवड़ के सहारे 2 किलोमीटर पैदल चल कर एम्बुलेंस तक पहुंचाया

मरीज को कांवड़ के सहारे 2 किलोमीटर पैदल चल कर एम्बुलेंस तक लाया गया. इसके बाद बुद्रा राम को प्री हॉस्पिटल केयर देते हुए जिला अस्पताल में भर्ती कराकर ग्रामीण की जान बचाई. 108 के पायलट अशोक सिंह ने बताया कि कुंआकोंडा ब्लॉक से 108 केयर सेंटर में फोन आया सूचना मिलते ही मैं और ईएमटी पुरोहित सिंह पहुंच विहीन मार्ग पर मरीज की जान बचाने को निकल पड़े. दंतेवाड़ा जिले में अब भी ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां सड़क नहीं होने के कारण ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

नक्सल प्रभावित इलाकों में देवदूत बने एंबुलेंस कर्मचारी, मुश्किल हालात में बचाई कई जिंदगियां

मरीजों को होती है काफी दिक्कतें

अतिसंवेदनशील क्षेत्र में मार्ग नहीं होने के कारण 108 संजीवनी कर्मियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन 108 की टीम स्टाफ के हौसले बुलंद है और इन चुनौतियों का वे सामना कर रहे हैं. गांव वालों ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सड़कें नहीं बनी हैं. यहां आवागमन को लेकर आम दिनों खासकर बारिश के समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में किसी की तबीयत खराब होने पर खाट पर लाद कर रोड तक लाना पड़ता है. शासन-प्रशासन की पहल से गांव तक पुलिया और रोड बन जाए तो गांव के लिए अच्छा होगा. किसी भी व्यक्ति की तबीयत खराब होने पर आसानी से 108 को बुलाया जा सकता है.

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देवदूत बने एंबुलेंस कर्मचारी

दंतेवाड़ा: जिले अंदरूनी क्षेत्रों के बहुत से गांव अभी भी पहुंच विहीन है. जिसके कारण जिसके चलते ग्रामीणों को आवागमन की समस्या आए दिन जूझना पड़ता है. बारिश के दिनों में इन ग्रामीणों की स्थिति नर्क से भी बदतर हो जाती है. बारिश होने के कारण गांव चारों तरफ से लॉक हो जाता है. ऐसे में अगर किसी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो फिर भगवान ही सहारा रहता है. इन ग्रामीणों के लिए 108 एंबुलेंस किसी वरदान की तरह साबित हुई है. 108 पहुंच विहीन गांवों में भी उबड़-खाबड़ रास्तों से जाकर मरीज की जान बचा रहे हैं.

संजीवनी एक्सप्रेस पहुंच विहीन गांव में पहुंचकर मरीज की बचाई जान

ऐसा ही मामला शुक्रवार को नक्सल प्रभावित कुंआकोंडा ब्लॉक (Naxal affected Kuakonda block) अंतर्गत आने वाले ग्राम तमेली में देखने को मिला. जहां मरीज की तबीयत खराब होने पर परिजनों ने 108 संजीवनी एक्सप्रेस (sanjeevani express) को कॉल किया. जिसके बाद संजीवनी एक्सप्रेस चालक अपने कर्तव्य का बखूबी से पालन करते हुए पहुंच विहीन ग्राम तमेली में उबड़-खाबड़ रास्तों को पार करते हुए गांव पहुंची. इसके बाद मरीज का इलाज कर उसकी जान बचाई.

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कांवड़ के सहारे 2 किलोमीटर पैदल चल कर एम्बुलेंस तक पहुंचाया

मरीज को कांवड़ के सहारे 2 किलोमीटर पैदल चल कर एम्बुलेंस तक लाया गया. इसके बाद बुद्रा राम को प्री हॉस्पिटल केयर देते हुए जिला अस्पताल में भर्ती कराकर ग्रामीण की जान बचाई. 108 के पायलट अशोक सिंह ने बताया कि कुंआकोंडा ब्लॉक से 108 केयर सेंटर में फोन आया सूचना मिलते ही मैं और ईएमटी पुरोहित सिंह पहुंच विहीन मार्ग पर मरीज की जान बचाने को निकल पड़े. दंतेवाड़ा जिले में अब भी ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां सड़क नहीं होने के कारण ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

नक्सल प्रभावित इलाकों में देवदूत बने एंबुलेंस कर्मचारी, मुश्किल हालात में बचाई कई जिंदगियां

मरीजों को होती है काफी दिक्कतें

अतिसंवेदनशील क्षेत्र में मार्ग नहीं होने के कारण 108 संजीवनी कर्मियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन 108 की टीम स्टाफ के हौसले बुलंद है और इन चुनौतियों का वे सामना कर रहे हैं. गांव वालों ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सड़कें नहीं बनी हैं. यहां आवागमन को लेकर आम दिनों खासकर बारिश के समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में किसी की तबीयत खराब होने पर खाट पर लाद कर रोड तक लाना पड़ता है. शासन-प्रशासन की पहल से गांव तक पुलिया और रोड बन जाए तो गांव के लिए अच्छा होगा. किसी भी व्यक्ति की तबीयत खराब होने पर आसानी से 108 को बुलाया जा सकता है.

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देवदूत बने एंबुलेंस कर्मचारी

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