बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के दो सबसे बड़े नेताओं के बीच चल रहे घमासान का नतीजा जमीनी स्तर पर भी दिखने लगा है. बिलासपुर में कांग्रेस के दो नेताओं के बीच नहीं बन रही है.दोनों नेता पार्टी के दिग्गज नेताओं के खास है.लिहाजा दोनों अपने-अपने गुट को एक्टिव करके एक दूसरे की टांग खींचने का मौका नहीं छोड़ते. हालात ये हैं कि पिछले चार सालों में दोनों गुट के समर्थक आमने सामने हो लिए हैं. एक दूसरे पर कई बार हमला करके जेल यात्रा का आनंद भी ले चुके हैं.लेकिन अब भी यह गुटबाजी खत्म नहीं हुई है. इस गुटबाजी के कारण आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
कई प्रोजेक्ट में आमने सामने नेता : बिलासपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत काम चल रहा है.जिसके तहत अरपा नदी में बैराज और उसके दोनों ओर सड़क निर्माण का काम चल रहा है.साथ ही साथ शहर में कई सौंदर्यीकरण के काम हुए हैं.जिसे लेकर दो नेताओं के बीच श्रेय लेने की होड़ है. जहां एक ओर इन विकास कार्यों को सीएम भूपेश की उपलब्धि बताया जा रहा है.वहीं दूसरी ओर दूसरे नेता इसे खुद की उपलब्धि बता रहे हैं.
कब कब भिड़े दोनों नेता : बिलासपुर के दोनों नेताओं के गुट के कार्यकर्ता ज्यादातर रियल स्टेट का काम करते हैं. जमीन खाली कराना, जमीन में कब्जा करना जैसे काम में इन दोनों नेताओं का नाम सामने आता है. पिछले दिनों पुराना बस स्टैंड की एक दुकान को लेकर दोनों गुट के कार्यकर्ता आपस में भिड़े थे. जिस पर एक गुट के कुछ लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी थी. वहीं उसलापुर रेलवे स्टेशन में बड़े नेता के स्वागत के दौरान दोनों गुट के कार्यकर्ता आपस में जूतम पैजार करने से भी पीछे नहीं हटे थे.
ये भी पढ़ें- जानिए बिलासपुर विधानसभा क्यों बनीं है हॉट सीट
बीजेपी के लिए प्लस प्वाइंट : छत्तीसगढ़ में इस साल चुनाव है.ऐसे में बीजेपी अपने शासनकाल में हुए विकास कार्यों को जनता के बीच में लेकर जा रही है.वहीं कांग्रेस के चार सालों में रुके हुए विकास की तस्वीर लोगों को दिखा रही है. बीजेपी के नेता लगातार विकास के मुद्दे को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं. लगातार धरना प्रदर्शन के साथ ही शहर का भ्रमण कर आम जनता को बीजेपी शासनकाल की याद दिलाते हुए कांग्रेस की कमी गिना रहे हैं.