बिलासपुर: मिनी जू कानन पेंडारी में एक के बाद एक लगातार वन्यप्राणियों की मौत हो रही है, जिससे वन्यप्राणी प्रेमियों में आक्रोष है. लगातार हो रही मौत से जू प्रशासन पर कई सवाल खड़े हे रहे हैं. रविवार रात एक मादा चिंकारा की मौत हो गई है. बताया जा रहा है आपसी लड़ाई में चिंकारा को गंभीर चोटें आई थी, जिसका इलाज किया जा रहा था, लेकिन पशुचिकित्सक उसकी जान बचाने में नाकाम रहे.
बता दें बीते 4 महीने में 10 वन्यप्राणियों की जान जा चुकी है. हाल ही में 9 साल के मादा चिंकारा की मौत हुई थी. वहीं 23 जून को एक तेंदुए की भी मौत हो चुकी है. मिली जानकारी के अनुसार सालों से यह नर तेंदुआ जू में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण केंद्र था, लेकिन उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.
लापरवाही का आरोप
कानन पेंडारी जू प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का लगातार आरोप लग रहा है. हालांकि कानन प्रशासन के जिम्मेदारों पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बीते 4 महीनों में आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो अधिकांश वन्यजीवों की चोट लगने से मौत हुई है, जिसे स्थानीय डॉक्टर बचाने में नाकाम रहे हैं. कानन जू में 600 से अधिक वन्यजीव हैं, लेकिन इनकी संख्या हर दिन कम होती जा रही है. कई वन्य जीवों को अन्य जू में भी शिफ्ट किया गया है, लेकिन फिर भी बचे हुए वन्यजीवों की देखरेख में कानन प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है.
4 महीनों में वन्यप्राणियों के मौत के आंकड़े
- 12 जुलाई को मादा चिंकारा
- 23 जून को नर तेंदुआ
- 22 जून को लकड़बग्घा
- 22 जून को चीतल
- 18 जून मादा बारहसिंघा
- 13 जून चीतल
- 27 मई मादा चीतल
- 30 अप्रैल नर तेंदुआ
- 6 अप्रैल हिरण
- 12 मार्च बारहसिंघा
कानन में हो रहे वन्यजीवों की मौत के सिलसिल को रोक लगाने के लिए जू प्रशासन को ठोस कदम उठाना जरुरी है, जिससे वे सुरक्षित रह सकें और उन्हें दूसरे जगहों पर शिफ्ट किए जाने पर रोक लगाया जा सके.