बिलासपुर: बिलासपुर में अमृत मिशन योजना 301 करोड़ रुपए की योजना है. इस योजना को जून माह में पूरा करने का दावा नगर निगम ने पिछले साल ही किया था. हालांकि अब तक निगम ने इस वादे को पूरा नहीं किया है. भीषण गर्मी में निगमवासियों को पेयजल और निस्तारी जल के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है. बिलासपुर नगर निगम स्मार्ट सिटी के दर्जे वाला शहर है. हालांकि निगम में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.
अमृत मिशन से जुड़ी लोगों की उम्मीद: बिलासपुर वासियों को लंबे समय से पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है. अमृत मिशन योजना से लोगों को काफी उम्मीद है. निगम की ओर से ट्रीटमेंट प्लांट की टेस्टिंग शुरू की जा चुकी है. बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर रतनपुर के खूंटाघाट बांध से ट्रीटमेंट प्लांट के लिए पानी छोड़ा जा रहा है. बढ़ते गर्मी और पेयजल संकट के बीच निगम अमृत मिशन से पानी सप्लाई करने जा रहा है. योजना के शुरू होते ही ट्यूबवेल आधारित जलप्रदाय योजना वाले शहरों की सूची से बिलासपुर बाहर हो जाएगा. बढ़ते शहर के साथ शुद्ध पेयजल आपूर्ति और ग्राउंड वाटर बचाने के लिए साल 2017 में बिलासपुर में अमृत मिशन योजना की शुरुआत 301 करोड़ की लागत में की गई थी.
जल आपूर्ति के लिए टैंकरों का सहारा: अमृत मिशन योजना की शुरुआत के साथ ये माना जा रहा था कि तय समय में प्रोजेक्ट पूरा कर लिया जाएगा. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद लोगों को योजना का लाभ भी मिलने लगेगा. लेकिन काम में लेटलतीफी से 2 साल में पूरा होने वाला काम 5 साल में भी पूरा नहीं हुआ. इसे लेकर सवाल भी खड़े होते रहे हैं. योजना की डेडलाइन के साथ प्रोजेक्ट को पूरा करने का दावा भी किया गया. जब गर्मी का कहर शुरू हो गया तो पेयजल संकट बढ़ने लगा. निगम के सामने पानी आपूर्ति की चुनौती खड़ी हो गई. अभी तक निगम ट्यूबवेल आधारित जलप्रदाय योजना से शहर में पानी की आपूर्ति कर रहा है. इसके लिए टैंकरों का भी सहारा लिया जा रहा है. हालंकि अब तक अमृत मिशन का काम पूरा नहीं हुआ है.
30 जून से वाटर सप्लाई शुरू कर दिया जाएगा. आम जनता को उनके घरों तक पानी पहुंचाया जाएगा. इससे लोगों को पर्याप्त रूप से शुद्ध पेयजल 24 घंटे मिलने लगेंगे.-रामशरण यादव, महापौर
5 साल से अटका काम: बता दें कि अमृत मिशन योजना को शुरू करने के लिए नगर निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि हर 6 महीने में एक तारीख का ऐलान करते हैं. हालांकि तय समय में काम पूरा न होने पर एक बार फिर बिलासपुरवासियों को नई तारीख मिल जाती है. लगभग आधा दर्जन से भी अधिक बार इसकी डेडलाइन बढ़ाई गई है. हालांकि अब तक काम पूरा नहीं हो पाया है. दो साल में पूरा होने वाला काम 5 साल से लटका पड़ा है. शहरवासी उम्मीद लिए बैठे है कि उनकी जल संबंधी समस्या जल्द खत्म हो.