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बिलासपुर: क्यों अटका है अंडरग्राउंड सीवरेज और ओवर ब्रिज का काम, कौन है जिम्मेदार?

अंडरग्राउंड सीवरेज परियोजना को 280 करोड़ रुपए में कोलकाता की सिम्प्लेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को ठेका दिया गया था. कंपनी ने धीरे-धीरे करते हुए लगभग एक ही काम को करने में 13 साल बिता दिय, लेकिन अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है.

Open sewerage work stuck in balance
अधर में अटका ओपन सीवरेज का काम
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Published : Sep 6, 2021, 7:44 PM IST

बिलासपुर: प्रशासन की ओर से कराए जा रहे विकास कार्यों से आम जनता परेशान हो रही है. निगम की लेटलतीफी की वजह से जनता को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां एक ओर तिफरा और ब्रिज के निर्माण को शुरू हुए 4 साल बीच चुके हैं तो वहीं अंडरग्राउंड सीवरेज परियोजना (underground sewerage project) को 13 साल हो चुके हैं. लेकिन दोनों ही काम अधर में अटकें हुए हैं.

अभी स्थिति यह है कि सीवरेज परियोजना (sewerage project) ठंडे बस्ते में है. बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाइवे (Bilaspur-Raipur National Highway) पर तिफरा के पास रेलवे क्रोसिंग पर लगभग 15 साल पहले रेलवे और राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी के ज्वाइंट वेंचर से ओवरब्रिज पुल का कार्य शुरू किया गया था, यह मार्ग नेशनल हाइवे पर है. यहां हजारों वाहन की आवाजाही होती है, इस वजह से घंटों जाम लगा रहता है.

स्थानीय लोगों की मांग और जरूरत को देखते हुए नगरी प्रशासन विभाग ने पहले से मौजूद ओवर ब्रिज के बगल से एक नए और ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी थी. इसमें राज्य सरकार ने ब्रिज की लंबाई को पहले की ओवरब्रिज से बढ़ाकर उसे बनाने की मंजूरी दी. हालांकि ब्रिज की लंबाई बढ़ने से, आम जनता को इससे काफी हद तक लाभ मिलेगा.

तिफरा रेलवे फाटक में पहले से ही एक ब्रिज है. जिसमें रोजाना सुबह से लेकर देर शाम तक जाम लगता है. शहर से रायपुर जाने वाली वाहनों की लंबी कतारें रहती है. इसके अलावा हाई कोर्ट के जज भी इसी मार्ग से आना-जाना करते हैं और संभाग का सबसे बड़ा ठोक बाजार भी है जहां पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों से माल लेकर भारी वाहन आते जाते हैं.

इसे देखते हुए दूसरे ब्रिज के निर्माण को मंजूरी मिली थी. नए बन रहे ओवरब्रिज की लागत लगभग 65 करोड़ से ज्यादा है. इसे 18 महीने में पूरा कर चाहिए थे. लेकिन नगरी प्रशासन विभाग (Urban Administration Department) की लेटलतीफी की वजह से यह अब तक पूरा नहीं हो पाया है.

ठंडे बस्ते में अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना

छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती सरकार ने बिलासपुर शहर को ओपन सीवरेज से मुक्त कराने का सकंल्प लिया था. इसके साथ मच्छरों से हो रही परेशानी को दूर करने अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना (underground sewerage project) शुरू की थी. 2008 में अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना की शुरुआत हुई. जिसे 4 साल में पूरा कर लिया जाना था. इस परियोजना के तहत शहर की सड़कों में खुदाई कर पाइप लाइन का विस्तार करना था. इसके बाद घरों से निकलने वाले सेप्टिक टैंक (septic tank) के पाइप को चेंबर में जोड़ना था और चेंबर सिपाई मेनहोल तक पहुंचाना था.

इस परियोजना को 280 करोड़ रुपए में कोलकाता की सिम्प्लेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को ठेका दिया गया था. कंपनी धीरे-धीरे करते हुए लगभग 13 साल बिता दिय हैं लेकिन अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया. भाजपा सरकार इस परियोजना को लाई थी. इसमें काम शुरू भी करवाया लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ इस परियोजना की लागत 280 करोड़ से बढ़कर लगभग 4 सौ करोड़ से भी ज्यादा पहुंच गई लेकिन परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. इस मामले में कोई भी अधिकारी बोलना के लिए तैयार नहीं है.

बिलासपुर: प्रशासन की ओर से कराए जा रहे विकास कार्यों से आम जनता परेशान हो रही है. निगम की लेटलतीफी की वजह से जनता को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां एक ओर तिफरा और ब्रिज के निर्माण को शुरू हुए 4 साल बीच चुके हैं तो वहीं अंडरग्राउंड सीवरेज परियोजना (underground sewerage project) को 13 साल हो चुके हैं. लेकिन दोनों ही काम अधर में अटकें हुए हैं.

अभी स्थिति यह है कि सीवरेज परियोजना (sewerage project) ठंडे बस्ते में है. बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाइवे (Bilaspur-Raipur National Highway) पर तिफरा के पास रेलवे क्रोसिंग पर लगभग 15 साल पहले रेलवे और राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी के ज्वाइंट वेंचर से ओवरब्रिज पुल का कार्य शुरू किया गया था, यह मार्ग नेशनल हाइवे पर है. यहां हजारों वाहन की आवाजाही होती है, इस वजह से घंटों जाम लगा रहता है.

स्थानीय लोगों की मांग और जरूरत को देखते हुए नगरी प्रशासन विभाग ने पहले से मौजूद ओवर ब्रिज के बगल से एक नए और ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी थी. इसमें राज्य सरकार ने ब्रिज की लंबाई को पहले की ओवरब्रिज से बढ़ाकर उसे बनाने की मंजूरी दी. हालांकि ब्रिज की लंबाई बढ़ने से, आम जनता को इससे काफी हद तक लाभ मिलेगा.

तिफरा रेलवे फाटक में पहले से ही एक ब्रिज है. जिसमें रोजाना सुबह से लेकर देर शाम तक जाम लगता है. शहर से रायपुर जाने वाली वाहनों की लंबी कतारें रहती है. इसके अलावा हाई कोर्ट के जज भी इसी मार्ग से आना-जाना करते हैं और संभाग का सबसे बड़ा ठोक बाजार भी है जहां पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों से माल लेकर भारी वाहन आते जाते हैं.

इसे देखते हुए दूसरे ब्रिज के निर्माण को मंजूरी मिली थी. नए बन रहे ओवरब्रिज की लागत लगभग 65 करोड़ से ज्यादा है. इसे 18 महीने में पूरा कर चाहिए थे. लेकिन नगरी प्रशासन विभाग (Urban Administration Department) की लेटलतीफी की वजह से यह अब तक पूरा नहीं हो पाया है.

ठंडे बस्ते में अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना

छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती सरकार ने बिलासपुर शहर को ओपन सीवरेज से मुक्त कराने का सकंल्प लिया था. इसके साथ मच्छरों से हो रही परेशानी को दूर करने अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना (underground sewerage project) शुरू की थी. 2008 में अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना की शुरुआत हुई. जिसे 4 साल में पूरा कर लिया जाना था. इस परियोजना के तहत शहर की सड़कों में खुदाई कर पाइप लाइन का विस्तार करना था. इसके बाद घरों से निकलने वाले सेप्टिक टैंक (septic tank) के पाइप को चेंबर में जोड़ना था और चेंबर सिपाई मेनहोल तक पहुंचाना था.

इस परियोजना को 280 करोड़ रुपए में कोलकाता की सिम्प्लेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को ठेका दिया गया था. कंपनी धीरे-धीरे करते हुए लगभग 13 साल बिता दिय हैं लेकिन अंडर ग्राउंड सीवरेज परियोजना का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया. भाजपा सरकार इस परियोजना को लाई थी. इसमें काम शुरू भी करवाया लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ इस परियोजना की लागत 280 करोड़ से बढ़कर लगभग 4 सौ करोड़ से भी ज्यादा पहुंच गई लेकिन परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. इस मामले में कोई भी अधिकारी बोलना के लिए तैयार नहीं है.

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