बिलासपुर: विधानसभा चुनाव 2018 (Assembly election 2018) के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस (Congress) में अंतरकलह की स्थिति (ruckus in congress) व्यापक स्तर पर देखने को मिल रही है. वहीं, मौजूदा समय में ढ़ाई-ढ़ाई साल के फॉर्मूले (two and a half year formula) की पेच में कांग्रेस उलझ चुकी है. इतना ही नहीं लगातार कई बड़े नेताओं के विरोधी बयान से लेकर आपसी खुन्नस की बात सामने आने लगी है.
विधानसभा चुनाव (Assembly elections) के बाद, पहले ही भारी भरकम बहुमत से सत्ता में काबिज हुई कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री के पद को लेकर अंतरकलह शुरू हो गई थी. इसके बाद लगातार कांग्रेस पार्टी में कई बड़े नेताओं के अलग-अलग गुट खुलकर सामने आने लगे थे. एक दूसरे को लेकर मन में दुश्मनी और खुन्नस भी बढ़ने लगी. अब यह दुश्मनी इतनी बढ़ गई है कि मारपीट से लेकर पार्टी विरोधी बयानों तक पहुंच चुका है. अब तक छोटे कार्यकर्ता आपस में ही लड़ते थे, लेकिन अब विधायक और मंत्रियों के बीच की लड़ाई बाहर दिखने लगी है.
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शैलेश पांडे (Shailesh Pandey) के निष्कासन का प्रस्ताव पास
ऐसे में गुरुवार को प्रदेश के कांग्रेस की राजनीति ने नया मोड़ ले लिया है. कांग्रेस नेता पंकज सिंह के द्वारा सिम्स अस्पताल के टेक्नीशियन के साथ किए गए मारपीट और थाना में पॉलिटिकल ड्रामा के बाद बिलासपुर शहर कांग्रेस कमेटी ने विधायक शैलेश पांडे (Shailesh Pandey) के निष्कासन का प्रस्ताव पास कर दिया गया. वहीं, प्रस्ताव पास करने के बाद बंद लिफाफे में प्रस्ताव की कॉपी प्रदेश अध्यक्ष को भी भेज दी गई. वहीं, इस मामले में बड़े नेताओं के साथ आम जनता भी कांग्रेस के पॉलिटिकल ड्रामे का मजा ले रही है. क्योंकि अपनी ही पार्टी और वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ बयान देने को लेकर जहां विधायक शैलेश पांडे (Shailesh Pandey) पर निष्कासन का खतरा मंडराने लगा है. तो वहीं, भाजपा भी अब इस मामले में कांग्रेस पार्टी की खिल्ली उड़ाती दिख रही है.
कांग्रेस में आपसी लड़ाई, पुरानी परंपरा-बीजेपी
वहीं, अगर बीते वर्षों पर गौर किया जाय तो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस में लगातार कई बार निष्कासन, निंदा और गुटबाजी जैसे मुद्दे गरमाते रहे हैं. राज्य निर्माण के बाद जहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी (First Chief Minister Late Ajit Jogi) के बीच मतभेद की चर्चा गर्म रहती थी. वही, राज्य में 3 साल राज करने के बाद मुख्यमंत्री अजीत जोगी की कुर्सी जाने और भाजपा के सत्ता में काबिज होने के बाद से ही अजीत जोगी वर्सेस कई अलग-अलग गुट तैयार हो गए. शुरुआती दौर में तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर बड़े नेताओं में रस्साकशी चलती रही. इसके बाद कई घटनाक्रम में बड़े नेताओं के शामिल होने की बात भी कही जाती रही.
विधायक शैलेश पांडे की चर्चा आम
पिछले दिनों बिलासपुर में विधायक शैलेश पांडे और शहर अध्यक्ष नरेंद्र बोलर को लेकर भी चर्चा आम थी कि शहर अध्यक्ष नरेंद्र बोलर ने एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्वागत के समय पहनाए जाने वाले माला को छूने पर शैलेश पांडे का हाथ खींच दिया था. इस घटना ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थी.
नया नहीं है कांग्रेस में निष्कासन और निंदा प्रस्ताव
राज्य में अलग-अलग गुट होने की वजह से अपने नेताओं का नाम ऊंचा करने और अपना नंबर बढ़ाने को लेकर छोटे कार्यकर्ताओं में लगातार मारपीट और गुटबाजी नजर आती रही है. इसी को लेकर कई बार छोटे कार्यकर्ताओं का निष्कासन भी किया गया. इसके अलावा स्वर्गीय अजीत जोगी के खिलाफ भी बिलासपुर शहर कांग्रेस कमेटी ने निष्कासन का प्रस्ताव पास किया था.
तैयब हुसैन और शैलेश पांडेय के बीच बहस और धक्का-मुक्की की चर्चा
इसके बाद ब्लॉक अध्यक्ष तैयब हुसैन और शहर विधायक शैलेश पांडेय के बीच हुए बहस और धक्का-मुक्की को लेकर प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने तैयब हुसैन पर डंडा चलाते हुए उनके ब्लॉक अध्यक्ष पद की कुर्सी छीन ली थी. पूर्व विधायक और कांग्रेस जिला अध्यक्ष अरुण तिवारी को पार्टी विरोधी बयानबाजी को लेकर जिला अध्यक्ष पद से हटाते हुए उनको भी 6 साल के लिए निष्कासित किया गया था. सरकंडा के कांग्रेसी नेता अमित तिवारी पर भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 6 साल के लिए उन्हें निष्कासित किया गया था और अब शहर विधायक शैलेश पांडेय को 6 साल के लिए निष्कासन का प्रस्ताव शहर कांग्रेस कमेटी ने पास किया है. अब भी कई नेताओं का निष्कासन के लिए प्रस्ताव पास हो सकता है.