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बिलासपुर: अधिकारियों की मनमानी से केंद्रीय योजनाओं का हाल बेहाल

जिम्मेदार और ठोकेदार निर्माण कार्यों को एक बार पूरा कर देने के बाद इसकी देख-रेख के मामले में महज खानापूर्ती करते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में बने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बने सड़क को लेकर सामने आया है.

सूचना बोर्ड मजह खानापूर्ती
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Published : Sep 3, 2019, 10:57 PM IST

बिलासपुर: तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में केन्द्रीय योजनाओं का हाल-बेहाल है. बताते हैं, यहां के अधिकारी एक बार किसी प्रोजेक्ट्स को बनाने के बाद झांकने तक नहीं आते हैं. अधिकारियों की इसी लापरवाही के कारण जिले में ठेकेदारों और जिम्मेदारों की मनमानी चरम पर है. जिसका खामियाजा यहां के आम लोगों को भुगतना पड़ता है.

केंद्रीय योजनाओं का हाल बेहाल

जिम्मेदार और ठोकेदार निर्माण कार्यों को एक बार पूरा कर देने के बाद इसकी देख-रेख के मामले में महज खानापूर्ती करते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में बने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बने सड़क को लेकर सामने आया है. जिसकी गुणवत्ता और संधारण कार्य में महज खानापूर्ती दिखाई देता है.

समय से पहले जर्जर हुई सड़क
सफरीभाठा से सकेरी तक का प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का लाभ अधिकारी और ठेकेदार उठा रहे हैं. यहां केन्द्र की योजना ग्रामीण विकास के नाम पर महज खानापूर्ती का जरिया बना है. यहां ठेकेदार और कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम ताक पर रखे दिए गए हैं. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में बनी सड़कें गुणवत्ताविहीन और संधारण मरम्मत के आभाव में समय से पहले ही जर्जर हो चुकी है.

पढ़े:नारायणपुर: अबूझमाड़ के बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली में खेलेंगे फुटबॉल

सूचना बोर्ड मजह खानापूर्ती
सरकार और जनता के बीच पारदर्शिता के लिए सूचना बोर्ड लगाया जाता है, लेकिन यह भी यहां महज खानापूर्ती बनकर रह गया है. जिसमें संधारण मरम्मत कार्य के आभाव में संधारण मरम्मत कार्य की अवधी में ही सड़क जर्जर हो चुकी है. वहीं सूचना बोर्ड भी अधूरे हैं.

बिलासपुर: तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में केन्द्रीय योजनाओं का हाल-बेहाल है. बताते हैं, यहां के अधिकारी एक बार किसी प्रोजेक्ट्स को बनाने के बाद झांकने तक नहीं आते हैं. अधिकारियों की इसी लापरवाही के कारण जिले में ठेकेदारों और जिम्मेदारों की मनमानी चरम पर है. जिसका खामियाजा यहां के आम लोगों को भुगतना पड़ता है.

केंद्रीय योजनाओं का हाल बेहाल

जिम्मेदार और ठोकेदार निर्माण कार्यों को एक बार पूरा कर देने के बाद इसकी देख-रेख के मामले में महज खानापूर्ती करते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में बने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बने सड़क को लेकर सामने आया है. जिसकी गुणवत्ता और संधारण कार्य में महज खानापूर्ती दिखाई देता है.

समय से पहले जर्जर हुई सड़क
सफरीभाठा से सकेरी तक का प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का लाभ अधिकारी और ठेकेदार उठा रहे हैं. यहां केन्द्र की योजना ग्रामीण विकास के नाम पर महज खानापूर्ती का जरिया बना है. यहां ठेकेदार और कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम ताक पर रखे दिए गए हैं. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में बनी सड़कें गुणवत्ताविहीन और संधारण मरम्मत के आभाव में समय से पहले ही जर्जर हो चुकी है.

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सूचना बोर्ड मजह खानापूर्ती
सरकार और जनता के बीच पारदर्शिता के लिए सूचना बोर्ड लगाया जाता है, लेकिन यह भी यहां महज खानापूर्ती बनकर रह गया है. जिसमें संधारण मरम्मत कार्य के आभाव में संधारण मरम्मत कार्य की अवधी में ही सड़क जर्जर हो चुकी है. वहीं सूचना बोर्ड भी अधूरे हैं.

Intro:
तखतपुर विधान सभा क्षेत्र में केन्द्रीय योजना का बुरा हाल, एक बार बनाके दोबारा झांकने तक नहीं आते अधिकारी, संधारण कार्य की खानापूर्ती से चल रहा ठेकेदारों की दुनिया, ग्रामीण किसानों को नहीं पता विकास पैमाना। Body:हम बात कर रहे हैं तखतपुर विधान सभा क्षेत्र में बने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनें सड़कों की, जिसकी गुणवत्ता और संधारण कार्य महज एक खानापूर्ती दिखाई देता है। सफरीभाठा से सकेरी तक का प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना केन्द्रीय योजना का लाभ सरकारी अधिकारी और ठेकेदार उठा रहे हैं। केन्द्र की योजना ग्रामीण विकास के नाम पर महज खानापूर्ती का जरीया बना है। एक ठेकेदार व कम्पनी को लाभ पहुंचाने गई है, अपूर्ण सड़क - अरईबंद पहुँच सड़क, गुणवत्ताविहीन सड़क सावाडबरा से पूरा, साल्हेकापा क्षेत्र जैसे दर्जन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें जर्जर है।
तखतपुर विधान सभा क्षेत्र में दर्जनों केन्द्रीय योजना तहत सड़क तैयार किया गया है जो गुणवत्ताविहीन और संधारण मरम्मत कार्य के आभाव में जर्जर हो गया है।
ग्रामीणों को नहीं पता नियम - जब क्षेत्र के दर्जन प्रधानमंत्री सड़क पर उस क्षेत्र के लोगों से बात करने पर बताया उन्हें पता नहीं कब क्या होता है। पुख्ता जानकारी के आभाव में ग्रामीण अपनी समस्याएं बताने से कतराते भी दिखे। Conclusion:सूचना बोर्ड मजह खानापूर्ती - सरकार और जनता के बीच पारदर्शिता के लिए सूचना बोर्ड लगाया जाता है परन्तु यह भी मात्र एक खानापूर्ती रह गया है जिसमें संधारण मरम्मत कार्य के आभाव में संधारण मरम्मत कार्य के अवधी में ही जर्जर हाल में हैं। वहीं सूचना बोर्ड भी अधूरे और पूर्ण जानकारी नहीं दी गई है जिससे सूचना का महत्व जमीनी स्तर तक पहुँच सकता और गांव लाभांवित होते।
ग्रामीणों का बाइट -
रिपोर्ट नरेन्द्र ध्रुव तखतपुर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
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