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SPECIAL: आम नहीं, कुछ खास है ये 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला', तूफान में भी नहीं छोड़ेगा साथ

जिले के छात्रों ने ऐसा अनोखा छाता बनाया है, जिसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी. इस आविष्कार का नाम 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला' रखा गया है.

जिले के बच्चों ने 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला' का किया आविष्कार
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Published : Aug 11, 2019, 2:46 PM IST

बिलासपुर: आज के दौर में विज्ञान और तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि, आए दिन छोटी से छोटी जगहों में भी बड़ी-बड़ी चीजों का आविष्कार किया जा रहा. कभी आपने सोचा है कि, कितनी भी तेज बारिश और तूफान आए आपके हाथों में जो छाता है वो न उड़े और न पलटे ? आपकी इसी सोच को पूरा करने ऐसा आधुनिक आविष्कार किया है जिले के स्थानीय स्कूल के बच्चों ने, जिसका नाम है 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला'.

खास है ये छाता

होनहार छात्रों ने मिलकर किया कमाल
साधारण छातों की तरह ही दिखनेवाला यह छाता अपने बनावट और उपयोग के दृष्टिकोण से बेहद ही खास है और शहर के स्थानीय स्कूल के कुछ होनहार छात्रों ने मिलकर इसे बनाया है. यह ऐसा छाता है जो तेज बारिश और तूफान के दिनों में भी आपके हाथों से नहीं पलटेगा.

फिजिक्स सबजैक्ट के बरनौली थ्योरम पर बना छाता
छात्रों की मानें तो यह छाता फिजिक्स सबजैक्ट के बरनौली थ्योरम पर आधारित है. छात्रों ने बताया कि, जो साधारण छाता होता है, उसके ऊपरी और अंदर के हिस्से में हवा का असमान दवाब बनता है, इसलिए कई बार यह छाता लोगों के हाथों से छूट जाता है. इस अनोखे छाते में अदंर और बाहर के हिस्से में हवा का समान दवाब बना रहे, इसलिए छात्रों ने गहरा अनुसंधान कर छाते के एक हिस्से को फिक्स्ड एंगल पर मोड़कर, छाते के मूल आकार में बदलाव कर दिया.

चुनौती थी छाते को नया एंगल देने की
छाते के इस नए आकार को पाने के लिए कोई कड़ी मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी. छातों में इस्तेमाल होने वाले कुछ स्पोक के साइज में बदलाव किया गया और इस तरह से एंटी स्ट्रोम छाता तैयार कर दिया गया. इसे बनाने में सबसे बड़ी चुनौती नए आकार में छाते को सही एंगल देने की थी.

दो दर्जन से ज्यादा छातों में किया एक्सपेरिमेंट
करीब दो दर्जन से ज्यादा छातों को लगातार बनाकर आखिरकर छात्रों ने उस सोचे हुए आकार दे दिया, फिजिक्स सबजेक्ट के बरनौली थ्योरम के बेस पर फंक्शन कर सकता है, मतलब ऐसा छाता जिसके ऊपर हवा का ऊपरी और भीतरी दवाब एक जैसा हो.

इन्सपायर्ड फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन में चयनित
इस 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला' इनोवेशन को इस बार इन्सपायर्ड फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन के लिए भी चयनित किया गया था. अब जरूरत है तो बस इन छात्रों का हौसला अफजाई करने की, ताकि ये इनोवेटिव छात्र आगे भी अपना परचम यूं ही लहराते रहें और खोजी वैज्ञानिक बनते चलें.

बिलासपुर: आज के दौर में विज्ञान और तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि, आए दिन छोटी से छोटी जगहों में भी बड़ी-बड़ी चीजों का आविष्कार किया जा रहा. कभी आपने सोचा है कि, कितनी भी तेज बारिश और तूफान आए आपके हाथों में जो छाता है वो न उड़े और न पलटे ? आपकी इसी सोच को पूरा करने ऐसा आधुनिक आविष्कार किया है जिले के स्थानीय स्कूल के बच्चों ने, जिसका नाम है 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला'.

खास है ये छाता

होनहार छात्रों ने मिलकर किया कमाल
साधारण छातों की तरह ही दिखनेवाला यह छाता अपने बनावट और उपयोग के दृष्टिकोण से बेहद ही खास है और शहर के स्थानीय स्कूल के कुछ होनहार छात्रों ने मिलकर इसे बनाया है. यह ऐसा छाता है जो तेज बारिश और तूफान के दिनों में भी आपके हाथों से नहीं पलटेगा.

फिजिक्स सबजैक्ट के बरनौली थ्योरम पर बना छाता
छात्रों की मानें तो यह छाता फिजिक्स सबजैक्ट के बरनौली थ्योरम पर आधारित है. छात्रों ने बताया कि, जो साधारण छाता होता है, उसके ऊपरी और अंदर के हिस्से में हवा का असमान दवाब बनता है, इसलिए कई बार यह छाता लोगों के हाथों से छूट जाता है. इस अनोखे छाते में अदंर और बाहर के हिस्से में हवा का समान दवाब बना रहे, इसलिए छात्रों ने गहरा अनुसंधान कर छाते के एक हिस्से को फिक्स्ड एंगल पर मोड़कर, छाते के मूल आकार में बदलाव कर दिया.

चुनौती थी छाते को नया एंगल देने की
छाते के इस नए आकार को पाने के लिए कोई कड़ी मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी. छातों में इस्तेमाल होने वाले कुछ स्पोक के साइज में बदलाव किया गया और इस तरह से एंटी स्ट्रोम छाता तैयार कर दिया गया. इसे बनाने में सबसे बड़ी चुनौती नए आकार में छाते को सही एंगल देने की थी.

दो दर्जन से ज्यादा छातों में किया एक्सपेरिमेंट
करीब दो दर्जन से ज्यादा छातों को लगातार बनाकर आखिरकर छात्रों ने उस सोचे हुए आकार दे दिया, फिजिक्स सबजेक्ट के बरनौली थ्योरम के बेस पर फंक्शन कर सकता है, मतलब ऐसा छाता जिसके ऊपर हवा का ऊपरी और भीतरी दवाब एक जैसा हो.

इन्सपायर्ड फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन में चयनित
इस 'एंटी स्टॉर्म अम्ब्रेला' इनोवेशन को इस बार इन्सपायर्ड फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन के लिए भी चयनित किया गया था. अब जरूरत है तो बस इन छात्रों का हौसला अफजाई करने की, ताकि ये इनोवेटिव छात्र आगे भी अपना परचम यूं ही लहराते रहें और खोजी वैज्ञानिक बनते चलें.

Intro:अक्सर आपने देखा होगा कि बारिश के दिनों में कई बार छाता तेज हवा के प्रभाव से टूट जाता है या फिर हमारे हाथों से उड़ जाता है । कितना अच्छा हो कि यह छाता चाहे कितना भी बारिश और तूफान क्यों ना आये लेकिन हमारे हाथों से छूटे ना । जी हाँ एक ऐसा ही छाता विकसित किया है बिलासपुर भारत माता स्कूल के कुछ इनोवेटिव छात्रों ने और जिसका नाम दिया है एंटी स्ट्रोम अम्ब्रेला । तो आइए आप भी जानिए इस नए इनोवेशन के बारे में ।


Body:साधारण छातों की तरह ही दिखनेवाला यह छाता अपने बनावट और उपयोग के दृष्टिकोण से बेहद ही खास है और इसे बनाया है शहर के भारत माता स्कूल के कुछ होनहार छात्रों ने मिलकर । छात्रों की मानें तो यह छाता भौतिकी के बरनॉलिज थ्योरी पर आधारित है । छात्रों ने बताया कि जो साधारण छाता होता है उसके ऊपरी और भीतरी हिस्से में हवा का आसमान दवाब बनता है इसलिए कई बार यह छाता यूजर के हाथों से छूट जाता है । इस छाते में छाते के भीतरी व बाहरी हिस्से में हवा का समान दवाब बने रहे इसलिए छात्रों ने गहरे अनुसन्धान कर छाते के एक हिस्से को फिक्स्ड एंगल पर मोड़कर छाते की मूल बनावट में थोड़ी सी तब्दीली कर दी ।


Conclusion:इस नए बनावट को पाने के लिए कोई कड़ी मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी । महज छातों में इस्तेमाल होनेवाले कुछ स्पोक की साइज में बदलाव किया गया और इस तरह से एंटी स्ट्रोम छाता तैयार हो जाता है । इस तरह के छाते को बनाने में जो सबसे बड़ी चुनौती थी वो थी कि नए बनाबट के छाते को बनाने में जिस एंगिल की जरूरत है वो क्या हो सकता है । तकरीबन 2 दर्जन से अधिक छातों को लगातार बनाकर आख़िरकर छात्रों ने छाते के उस आदर्श बनावट को प्राप्त कर लिया जो भौतिकी के बरनॉलिज थ्योरी के बेस पर फंक्शन कर सकता है । मतलब ऐसा छाता जिसके ऊपर हवा का ऊपरी और भीतरी दवाब एक जैसा हो । आपको जानकारी दें कि इस इनोवेशन को इस बार इन्सपायर्ड फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन के लिए भी चयनित किया था । अब जरूरत है तो बस इन छात्रों की हौसलाअफजाई की ताकि ये इनोवेटिव छात्र आगे भी अपना परचम यूँही लहराये ।
बाईट.... छात्र
बाईट.... पी हलधर...गाइड
विशाल झा..... बिलासपुर
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