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पढ़ाई का जुनून: बस या साइकिल से नहीं रोज घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाता है ये बच्चा

बिलासपुर (Bilaspur) में एक बच्चा स्कूल जाने के लिए साइकिल या वाहन नहीं बल्कि घोड़ा का इस्तेमाल (use of horse) करता है और उसका यही जुनून उसे बाकियों से अलग करता है.

Student Goes for School Riding
5वीं क्लास के छात्र का जुनून
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Published : Oct 3, 2021, 5:25 PM IST

Updated : Oct 3, 2021, 10:39 PM IST

बिलासपुर: बेलगहना में स्कूल और पढ़ाई का एक अनोखा जुनून बच्चे में देखने को मिला. बच्चे के इस जुनून ने जहां उसे ट्रोल कर दिया है तो वहीं उसकी पढ़ाई को लेकर अब लोग उसकी तारीफ भी कर रहे हैं. छात्र स्कूल जाने के लिए साइकिल या वाहन नहीं बल्कि घोड़े का इस्तेमाल करता है और यही जुनून उसे बाकी लोगों से अलग करता है.

पढ़ाई का जुनून

स्कूल जाने के लिए घोड़े का सहारा

बिलासपुर से 70 किलोमीटर दूर बेलगहना के जरगा गांव में वह रहता है और घर से 5 किलोमीटर दूर स्कूल जाने के लिए घोड़े का इस्तेमाल करता है. 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले मनीष का शौक उसे दूसरों से अलग करता है. ये जब अपने घोड़े से स्कूल जाता है तो लोग इसे बड़े गौर से देखते हैं और तारीफ करते हैं. साथ ही अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए छात्र मनीष के जुनून की तारीफ भी करते हैं और अपने बच्चों को इसके जैसा बनने की बात कहते हैं

खंडवा में घोड़े पर बैठकर रोजाना स्कूल जाता है नन्हा 'शिवराज'

मनीष की हो रही है तारीफ

मनीष की लंबाई काम है और वह सीधे घोड़े पर नहीं बैठ पाता है. इसलिए वह कूदकर बैठता है. मनीष की उम्र 12 साल है और वह जरगा गांव का रहने वाला है. मनीष पिछले एक महीने से इसी तरह से रोज स्कूल जाता है. मनीष के शिक्षक भी बताते हैं कि मनीष स्कूल आता है. तब उन्हें गर्व होता है कि वह उसे पढ़ाते हैं

छात्र घोड़े से तय करता है पांच किलोमीटर का सफर

शिक्षकों का कहना है अगर मनीष का ये जुनून बरकरार रहा तो वह जरूर कामयाब इंसान बनेगा और एक मिसाल कायम करेगा. मनीष रोजाना घर से सुबह 9 बजे निकलता है और बेलगहना के प्राथमिक स्कूल जाता है. मनीष के लौटने का समय 4 बजे का रहता है. इस दौरान वो अपने घर से स्कूल तक 5 किलोमीटर का सफर घोड़े पर ही तय करता है. मनीष के पिता का नाम अशोक है, अशोक खेती किसानी का काम करते हैं. उनके घर में एक गाय भी है, जिससे वो आस-पास के इलाकों में दूध बेचने का काम करते हैं. लेकिन जरगा से बेलगहना तक सड़क ही नहीं है.

स्कूल जाने के लिए नहीं है सड़क

ग्रामीणों ने बताया कि जरगा गांव से बेलगहना तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. इसलिए वह पगडंडी का सहारा लेते हैं. कई बार इसके लिए अधिकारियों को जानकारी दी है. लेकिन सड़क नहीं बनी. कई बच्चे ऐसे हैं जो किसी तरह से रोज स्कूल जाते हैं. यहां रोड नहीं होने की वजह से बारिश के दिनों में बहुत दिक्कत होती है. इस पगडंडी भरे रास्ते में कीचड़ रहता है जिससे आने जाने में काफी दिक्कतें होती हैं. बरसात के दिनों में तो कई बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि मनीष के रोज घोड़े से स्कूल जाने की एक यह भी वजह है.

जिला प्रशासन ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया है. जिले में कई ऐसे गांव हैं जो अब भी सड़क नहीं होने की वजह से पिछड़े हैं. जरूरी है कि प्रशासन को मनीष जैसे होनहार बच्चों की पढ़ाई लिखाई को ध्यान में रखते हुए कुछ इस तरह का कार्य करना चाहिए. ताकि बच्चों को कोई दिक्कत न हो.

बिलासपुर: बेलगहना में स्कूल और पढ़ाई का एक अनोखा जुनून बच्चे में देखने को मिला. बच्चे के इस जुनून ने जहां उसे ट्रोल कर दिया है तो वहीं उसकी पढ़ाई को लेकर अब लोग उसकी तारीफ भी कर रहे हैं. छात्र स्कूल जाने के लिए साइकिल या वाहन नहीं बल्कि घोड़े का इस्तेमाल करता है और यही जुनून उसे बाकी लोगों से अलग करता है.

पढ़ाई का जुनून

स्कूल जाने के लिए घोड़े का सहारा

बिलासपुर से 70 किलोमीटर दूर बेलगहना के जरगा गांव में वह रहता है और घर से 5 किलोमीटर दूर स्कूल जाने के लिए घोड़े का इस्तेमाल करता है. 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले मनीष का शौक उसे दूसरों से अलग करता है. ये जब अपने घोड़े से स्कूल जाता है तो लोग इसे बड़े गौर से देखते हैं और तारीफ करते हैं. साथ ही अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए छात्र मनीष के जुनून की तारीफ भी करते हैं और अपने बच्चों को इसके जैसा बनने की बात कहते हैं

खंडवा में घोड़े पर बैठकर रोजाना स्कूल जाता है नन्हा 'शिवराज'

मनीष की हो रही है तारीफ

मनीष की लंबाई काम है और वह सीधे घोड़े पर नहीं बैठ पाता है. इसलिए वह कूदकर बैठता है. मनीष की उम्र 12 साल है और वह जरगा गांव का रहने वाला है. मनीष पिछले एक महीने से इसी तरह से रोज स्कूल जाता है. मनीष के शिक्षक भी बताते हैं कि मनीष स्कूल आता है. तब उन्हें गर्व होता है कि वह उसे पढ़ाते हैं

छात्र घोड़े से तय करता है पांच किलोमीटर का सफर

शिक्षकों का कहना है अगर मनीष का ये जुनून बरकरार रहा तो वह जरूर कामयाब इंसान बनेगा और एक मिसाल कायम करेगा. मनीष रोजाना घर से सुबह 9 बजे निकलता है और बेलगहना के प्राथमिक स्कूल जाता है. मनीष के लौटने का समय 4 बजे का रहता है. इस दौरान वो अपने घर से स्कूल तक 5 किलोमीटर का सफर घोड़े पर ही तय करता है. मनीष के पिता का नाम अशोक है, अशोक खेती किसानी का काम करते हैं. उनके घर में एक गाय भी है, जिससे वो आस-पास के इलाकों में दूध बेचने का काम करते हैं. लेकिन जरगा से बेलगहना तक सड़क ही नहीं है.

स्कूल जाने के लिए नहीं है सड़क

ग्रामीणों ने बताया कि जरगा गांव से बेलगहना तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. इसलिए वह पगडंडी का सहारा लेते हैं. कई बार इसके लिए अधिकारियों को जानकारी दी है. लेकिन सड़क नहीं बनी. कई बच्चे ऐसे हैं जो किसी तरह से रोज स्कूल जाते हैं. यहां रोड नहीं होने की वजह से बारिश के दिनों में बहुत दिक्कत होती है. इस पगडंडी भरे रास्ते में कीचड़ रहता है जिससे आने जाने में काफी दिक्कतें होती हैं. बरसात के दिनों में तो कई बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि मनीष के रोज घोड़े से स्कूल जाने की एक यह भी वजह है.

जिला प्रशासन ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया है. जिले में कई ऐसे गांव हैं जो अब भी सड़क नहीं होने की वजह से पिछड़े हैं. जरूरी है कि प्रशासन को मनीष जैसे होनहार बच्चों की पढ़ाई लिखाई को ध्यान में रखते हुए कुछ इस तरह का कार्य करना चाहिए. ताकि बच्चों को कोई दिक्कत न हो.

Last Updated : Oct 3, 2021, 10:39 PM IST
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