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Story of Movement for Bilaspur Rail Zone :रेलवे जोन के लिए जल पड़ा था बिलासपुर, हक की लड़ाई के लिए 20 साल तक लोगों ने लड़ा केस - Bilaspur Rail Zone

Story Of Formation Of Bilaspur Rail Zone बिलासपुर रेल जोन को स्थापित करने के लिए प्रेस क्लब के बैनर तले बड़ा आंदोलन हुआ था. जिसके बाद कई महीने रेल यातायात बाधित था.आखिरकार आंदोलनकारियों के आगे सरकार झुकी.जिसके बाद बिलासपुर को रेल जोन बनाया गया.अब एक बार फिर प्रदेश में रेल रोको आंदोलन कांग्रेस करने जा रही है. जो कहीं ना कहीं पुराने आंदोलन की याद ताजा करेगी.

Story of Movement for Bilaspur Rail Zone
बिलासपुर रेल जोन
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 12, 2023, 10:50 PM IST

बिलासपुर रेल जोन आंदोलन का इतिहास समझिए

बिलासपुर : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन को बिलासपुर में स्थापित करने के लिए साल 1996 में एक बड़ा जन आंदोलन हुआ था. उस समय रेलवे जोन का जोनल कार्यालय रायपुर में स्थापित करने का फैसला हुआ था.लेकिन इस फैसले के विरोध में बिलासपुरवासियों ने एकजुट होकर बड़ा आंदोलन किया. आंदोलनकारियों ने 15 जनवरी 1996 को बिलासपुर स्टेशन पहुंचकर मांगें रखीं थी. लेकिन आरपीएफ ने आंदोलनकारियों को खदेड़ दिया.

गुस्साए आंदोलनकारियों ने की थी तोड़फोड़ : जैसे ही आंदोलनकारियों को रेलवे स्टेशन से भगाया गया,वैसे ही भीड़ भड़क गई.इसके बाद बिलासपुर स्टेशन पर तोड़फोड़ के साथ ही कई रेल के डिब्बे और 2 से 3 रेल इंजन जला दिए गए थे. जिसके बाद बिलासपुर शहर में तीसरी बार कर्फ्यू लगाया गया था.शहर में पहली बार इमरजेंसी और दूसरी बार इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद कर्फ्यू लगाया गया था.

आंदोलनकारियों पर हुई थी बड़ी कार्रवाई : रेलवे जोन आंदोलन में शामिल निर्मल मानिक ने बताया कि आंदोलन बड़े पैमाने पर शुरू किया गया था. जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल थे. मांगें नहीं माने जाने पर बिलासपुर के राघवेंद्र सभा भवन से रैली निकालकर रेलवे स्टेशन जाकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों ने आक्रोशित होकर पूरे स्टेशन में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी. देखते ही देखते भीड़ ने उग्र रूप ले लिया और स्टेशन के साथ ही प्लेटफॉर्म में तोड़फोड़ शुरू कर दी. कई रेल इंजन जला दिए गए.इस पूरे मामले में आंदोलनकारियों पर रेलवे एक्ट के तहत जुर्म दर्ज किया गया, जिसमें लगभग 20 साल तक आंदोलनकारी केस लड़ते रहे और बाद में वे बरी हुए. आंदोलन के दौरान रेलवे को कई अरब रुपए का नुकसान हुआ था.

''इंजन में तोड़फोड़ के बाद आग के हवाले कर दिया गया. रूट रिले केंद्र को निशाना बनाया गया. रूट रिले केंद्र कटनी रायगढ़ और रायपुर की तरफ जाने वाले ट्रेनों को डायरेक्शन देता था, जिसे पूरी तरह से जला दिया गाया. तीन महीने तक बिलासपुर प्लेटफार्म को फिर से बनाने का काम चलता रहा.'' निर्मल मानिक, जोन आंदोलनकारी

करोड़ों का हुआ था नुकसान : आंदोलन में कॉलेज के छात्रों का नेतृत्व करने वाले वर्तमान में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने बताया कि उस दौरान लोगों ने हक की लड़ाई के लिए आवाज उठाई थी.जोन कार्यालय की मांग पूरी करने के लिए लोगों में तोड़फोड़ और तबाही मचाने एक अलग ही तरह का जुनून और गुस्सा देखा गया था. पूरा मामला 17 साल तक कोर्ट में चलता रहा.20 साल बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी किया.इस आंदोलन में 600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान रेलवे को हुआ था.


आंदोलन के बाद बना रेल जोन : रेलवे जोन आंदोलन में शामिल छात्र नेता राकेश तिवारी ने बताया कि बिलासपुर जोन के जन आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने बिलासपुर में जोनल कार्यालय बनाने का निर्णय लिया. लेकिन रायपुर के कुछ नेताओं की वजह से उनका आधा हक छीना गया. बिलासपुर रेल मंडल का आधा हिस्सा अलग कर उसे रायपुर रेल मंडल बना दिया गया.जहां बिलासपुर और रायपुर दो रेल मंडल बन गए तो इनके अधिकार भी बंट गए.

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जोन बटा लेकिन आय नहीं : आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ को जोन कार्यालय तो जरूर मिला, लेकिन बिलासपुर रेल मंडल का आधा हिस्सा चले जाने की वजह से रेलवे के माल लदान के आय में कुछ कमी आई. बावजूद इसके आज तक बिलासपुर रेल मंडल अत्यधिक मात्रा में लदान देने वाला मंडल है.रेलवे की आय में बिलासपुर से मिलने वाली आय सबसे ज्यादा आंकी गई है.

बिलासपुर रेल जोन आंदोलन का इतिहास समझिए

बिलासपुर : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन को बिलासपुर में स्थापित करने के लिए साल 1996 में एक बड़ा जन आंदोलन हुआ था. उस समय रेलवे जोन का जोनल कार्यालय रायपुर में स्थापित करने का फैसला हुआ था.लेकिन इस फैसले के विरोध में बिलासपुरवासियों ने एकजुट होकर बड़ा आंदोलन किया. आंदोलनकारियों ने 15 जनवरी 1996 को बिलासपुर स्टेशन पहुंचकर मांगें रखीं थी. लेकिन आरपीएफ ने आंदोलनकारियों को खदेड़ दिया.

गुस्साए आंदोलनकारियों ने की थी तोड़फोड़ : जैसे ही आंदोलनकारियों को रेलवे स्टेशन से भगाया गया,वैसे ही भीड़ भड़क गई.इसके बाद बिलासपुर स्टेशन पर तोड़फोड़ के साथ ही कई रेल के डिब्बे और 2 से 3 रेल इंजन जला दिए गए थे. जिसके बाद बिलासपुर शहर में तीसरी बार कर्फ्यू लगाया गया था.शहर में पहली बार इमरजेंसी और दूसरी बार इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद कर्फ्यू लगाया गया था.

आंदोलनकारियों पर हुई थी बड़ी कार्रवाई : रेलवे जोन आंदोलन में शामिल निर्मल मानिक ने बताया कि आंदोलन बड़े पैमाने पर शुरू किया गया था. जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल थे. मांगें नहीं माने जाने पर बिलासपुर के राघवेंद्र सभा भवन से रैली निकालकर रेलवे स्टेशन जाकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों ने आक्रोशित होकर पूरे स्टेशन में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी. देखते ही देखते भीड़ ने उग्र रूप ले लिया और स्टेशन के साथ ही प्लेटफॉर्म में तोड़फोड़ शुरू कर दी. कई रेल इंजन जला दिए गए.इस पूरे मामले में आंदोलनकारियों पर रेलवे एक्ट के तहत जुर्म दर्ज किया गया, जिसमें लगभग 20 साल तक आंदोलनकारी केस लड़ते रहे और बाद में वे बरी हुए. आंदोलन के दौरान रेलवे को कई अरब रुपए का नुकसान हुआ था.

''इंजन में तोड़फोड़ के बाद आग के हवाले कर दिया गया. रूट रिले केंद्र को निशाना बनाया गया. रूट रिले केंद्र कटनी रायगढ़ और रायपुर की तरफ जाने वाले ट्रेनों को डायरेक्शन देता था, जिसे पूरी तरह से जला दिया गाया. तीन महीने तक बिलासपुर प्लेटफार्म को फिर से बनाने का काम चलता रहा.'' निर्मल मानिक, जोन आंदोलनकारी

करोड़ों का हुआ था नुकसान : आंदोलन में कॉलेज के छात्रों का नेतृत्व करने वाले वर्तमान में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने बताया कि उस दौरान लोगों ने हक की लड़ाई के लिए आवाज उठाई थी.जोन कार्यालय की मांग पूरी करने के लिए लोगों में तोड़फोड़ और तबाही मचाने एक अलग ही तरह का जुनून और गुस्सा देखा गया था. पूरा मामला 17 साल तक कोर्ट में चलता रहा.20 साल बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी किया.इस आंदोलन में 600 करोड़ से ज्यादा का नुकसान रेलवे को हुआ था.


आंदोलन के बाद बना रेल जोन : रेलवे जोन आंदोलन में शामिल छात्र नेता राकेश तिवारी ने बताया कि बिलासपुर जोन के जन आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने बिलासपुर में जोनल कार्यालय बनाने का निर्णय लिया. लेकिन रायपुर के कुछ नेताओं की वजह से उनका आधा हक छीना गया. बिलासपुर रेल मंडल का आधा हिस्सा अलग कर उसे रायपुर रेल मंडल बना दिया गया.जहां बिलासपुर और रायपुर दो रेल मंडल बन गए तो इनके अधिकार भी बंट गए.

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