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Mothers day 2023: बिलासपुर की मदर टेरेसा शहजादी कुरैशी, 40 साल से निरंतर जारी है सेवा

आज के जमाने में जहां पड़ोसी एक दूसरे से मतलब नहीं रखते वहीं दूसरी ओर शहजादी कुरैशी अनजानों के लिए अपना जीवन सेवा भाव में समर्पित कर रही है.इसलिए शहजादी कुरैशी को शहरवासी मदर टेरेसा की उपाधि देने से पीछे नहीं हटते. किसी भी जरुरतमंद को मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध कराने के लिए शहजादी दिन हो या रात बिना समय देखे दौड़ पड़ती हैं. सरकारी और निजी अस्पतालों में जाकर मरीज को उसका हक दिलाने में शहजादी आगे हैं.Mothers day

Mothers day 2023
बिलासपुर की मदर टेरेसा शहजादी कुरैशी
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Published : May 11, 2023, 8:27 PM IST

Updated : May 14, 2023, 7:10 AM IST

बिलासपुर की मदर टेरेसा शहजादी कुरैशी

बिलासपुर : मदर टेरेसा ने असहाय, गरीब और बीमारों की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया था. उनकी इस कार्य की वजह से आज उन्हें पूरी दुनिया याद करती है. कुछ इसी तरह की विचार और आचरण रखने वाली बिलासपुर की शहजादी कुरैशी भी हैं. जो पिछले 40 सालों से मरीजों की सेवा करने और उन्हें सही इलाज दिलाने के लिए दिन रात उपलब्ध रहती हैं. वे सरकारी अस्पताल हो या निजी अस्पताल, मरीजों को सही इलाज नहीं मिलने और उनसे ज्यादा पैसा लेने जैसे कई समस्याओं का समाधान कर चुकी हैं.मरीजों को सही उपचार मिल सके और इलाज में कोई लापरवाही न हो इसके लिए शहजादी अस्पताल में पहुंचकर निस्वार्थ सेवा में लगी रहती है.

नहीं बसाया अपना घर : शहजादी कुरैशी अविवाहित हैं और परिवार के सदस्यों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए पूरी जिंदगी मेहनत करती रही हैं. यही कारण है कि वह परिवार सहित दूसरों को भी अपना परिवार मानती हैं और उनकी सेवा के लिए तत्पर रहती हैं. समाजसेवी शहजादी कुरैशी बताती है कि उनके अंदर यह सेवा भाव लगभग 40 सालों से हैं. शहजादी ना दिन देखती हैं ना रात. आम जनता और मरीजों की समस्या को लेकर हमेशा हर जगह खड़ी रहती हैं. कभी रात देर रात अनजान नंबर से फोन आ जाए या सुबह 6 बजे वो उस नंबर से बात कर मरीज की हाल-चाल जानने और उसके इलाज की व्यवस्था के लिए अस्पताल पहुंच जाती है.

कहां से मिली प्रेरणा : शहजादी कुरैशी ने बताया कि '' उनकी मां को अस्थमा की समस्या थी. जिन्हें वो जिला अस्पताल लेकर आती थीं. तब लोग उनसे अस्पताल के विभागों की जानकारी लेते थे. जैसे पैथोलैब कहां हैं. एक्सरे रूम और अन्य स्थानों की जानकारी लेते थे. तब उन्हें लगा कि अस्पताल आने वालों को यह नहीं मालूम होता है कि उनका इलाज कहां और कैसे होगा.'' तब से शहजादी कुरैशी रोजाना अस्पताल आकर लोगों की मदद करती रहीं.अभी स्थिति ये है कि पिछले 40 सालों से वह रोज सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक अस्पताल में रहकर मरीजों की सेवा कर उनकी समस्या दूर करती हैं.

ये भी पढ़ें- कौमी एकता की मिसाल बाबा मदार शाह की मजार

मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध रहती हैं शहजादी : सिम्स मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट नीरज शिंदे ने बताया कि "वो यहां पर पिछले 16 साल से कार्यरत हैं. लगातार वे शहजादी कुरैशी को मरीजों की सेवा और उनके स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए कार्य करते देख रहे हैं. शहजादी कुरैशी ऐसी पहली महिला है जो समाज सेवा करने पूरे समय अस्पताल में रहती हैं. वह मरीजों की सेवा के साथ ही डॉक्टर और नर्स के साथ भी अच्छा व्यवहार रखती हैं.''

आपको बता दें कि जब भी कभी मरीजों को बेहतर व्यवस्था नहीं मिलती है तो वह शहजादी कुरैशी से संपर्क करते हैं.उनके आने के बाद कर्मचारियों में भी एक अलग ही उत्साह दिखने लगता है. शहजादी कुरैशी ऐसी समाजसेवी है. जो दूसरों के दुख दर्द को अपना मानती हैं और उनकी सेवा के लिए हमेशा खड़ी रहती हैं.

बिलासपुर की मदर टेरेसा शहजादी कुरैशी

बिलासपुर : मदर टेरेसा ने असहाय, गरीब और बीमारों की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया था. उनकी इस कार्य की वजह से आज उन्हें पूरी दुनिया याद करती है. कुछ इसी तरह की विचार और आचरण रखने वाली बिलासपुर की शहजादी कुरैशी भी हैं. जो पिछले 40 सालों से मरीजों की सेवा करने और उन्हें सही इलाज दिलाने के लिए दिन रात उपलब्ध रहती हैं. वे सरकारी अस्पताल हो या निजी अस्पताल, मरीजों को सही इलाज नहीं मिलने और उनसे ज्यादा पैसा लेने जैसे कई समस्याओं का समाधान कर चुकी हैं.मरीजों को सही उपचार मिल सके और इलाज में कोई लापरवाही न हो इसके लिए शहजादी अस्पताल में पहुंचकर निस्वार्थ सेवा में लगी रहती है.

नहीं बसाया अपना घर : शहजादी कुरैशी अविवाहित हैं और परिवार के सदस्यों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए पूरी जिंदगी मेहनत करती रही हैं. यही कारण है कि वह परिवार सहित दूसरों को भी अपना परिवार मानती हैं और उनकी सेवा के लिए तत्पर रहती हैं. समाजसेवी शहजादी कुरैशी बताती है कि उनके अंदर यह सेवा भाव लगभग 40 सालों से हैं. शहजादी ना दिन देखती हैं ना रात. आम जनता और मरीजों की समस्या को लेकर हमेशा हर जगह खड़ी रहती हैं. कभी रात देर रात अनजान नंबर से फोन आ जाए या सुबह 6 बजे वो उस नंबर से बात कर मरीज की हाल-चाल जानने और उसके इलाज की व्यवस्था के लिए अस्पताल पहुंच जाती है.

कहां से मिली प्रेरणा : शहजादी कुरैशी ने बताया कि '' उनकी मां को अस्थमा की समस्या थी. जिन्हें वो जिला अस्पताल लेकर आती थीं. तब लोग उनसे अस्पताल के विभागों की जानकारी लेते थे. जैसे पैथोलैब कहां हैं. एक्सरे रूम और अन्य स्थानों की जानकारी लेते थे. तब उन्हें लगा कि अस्पताल आने वालों को यह नहीं मालूम होता है कि उनका इलाज कहां और कैसे होगा.'' तब से शहजादी कुरैशी रोजाना अस्पताल आकर लोगों की मदद करती रहीं.अभी स्थिति ये है कि पिछले 40 सालों से वह रोज सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक अस्पताल में रहकर मरीजों की सेवा कर उनकी समस्या दूर करती हैं.

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मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध रहती हैं शहजादी : सिम्स मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट नीरज शिंदे ने बताया कि "वो यहां पर पिछले 16 साल से कार्यरत हैं. लगातार वे शहजादी कुरैशी को मरीजों की सेवा और उनके स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए कार्य करते देख रहे हैं. शहजादी कुरैशी ऐसी पहली महिला है जो समाज सेवा करने पूरे समय अस्पताल में रहती हैं. वह मरीजों की सेवा के साथ ही डॉक्टर और नर्स के साथ भी अच्छा व्यवहार रखती हैं.''

आपको बता दें कि जब भी कभी मरीजों को बेहतर व्यवस्था नहीं मिलती है तो वह शहजादी कुरैशी से संपर्क करते हैं.उनके आने के बाद कर्मचारियों में भी एक अलग ही उत्साह दिखने लगता है. शहजादी कुरैशी ऐसी समाजसेवी है. जो दूसरों के दुख दर्द को अपना मानती हैं और उनकी सेवा के लिए हमेशा खड़ी रहती हैं.

Last Updated : May 14, 2023, 7:10 AM IST
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