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भूमि अधिग्रहण मामला: राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को ब्याज सहित मुआवजा देने के निर्देश

नया रायपुर निर्माण के लिए याचिकाकर्ता गोविंद चंद बर्मन की जमीन अधिग्रहण की याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को ब्याज सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया है.

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Published : Oct 20, 2020, 6:22 PM IST

बिलासपुर: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नया रायपुर के लिए अधिग्रहित भूमि का ब्याज सहित मुआवजा भुगतान करने का निर्देश जारी किया है. मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई है.

नया रायपुर निर्माण के लिए याचिकाकर्ता गोविंद चंद बर्मन की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद 31 मई 2013 को आरंग के एसडीएम ने अवार्ड पारित किया था. अवार्ड पारित करते समय भू-धारकों को कोई सूचना नहीं दी गई थी. दूसरी ओर मुआवजा नहीं मिलने पर याचिकाकर्ता ने 31 अगस्त 2019 को एसडीएम के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया. आवेदन पर भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर बर्मन ने अधिवक्ता संजय कुमार अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

पढ़ें : ऋचा जोगी जाति मामला, संतकुमार नेताम ने हाईकोर्ट में फाइल किया कैवियट

मुआवजा भुगतान ब्याज के साथ

याचिका में कहा गया था कि भू-अर्जन अधिनियम के तहत यह प्रावधान है कि अवार्ड पारित करने के तुरंत बाद मुआवजा भुगतान किया जाए. यदि भू-धारक मुआवजा नहीं लेता है तो मुआवजा राशि डिस्ट्रिक जज के समक्ष जमा कराए. बावजूद इसके पारित अवार्ड की राशि एसडीएम ने न तो याचिकाकर्ता को भुगतान की और न डिस्ट्रिक जज के समक्ष जमा कराया. सिंगल बेंच ने प्रकरण की सुनवाई के बाद 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को मुआवज़ा भुगतान करने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही मुआवज़ा भुगतान में हुए विलंब के लिए नियमानुसार ब्याज देने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं.

बिलासपुर: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नया रायपुर के लिए अधिग्रहित भूमि का ब्याज सहित मुआवजा भुगतान करने का निर्देश जारी किया है. मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई है.

नया रायपुर निर्माण के लिए याचिकाकर्ता गोविंद चंद बर्मन की जमीन का अधिग्रहण करने के बाद 31 मई 2013 को आरंग के एसडीएम ने अवार्ड पारित किया था. अवार्ड पारित करते समय भू-धारकों को कोई सूचना नहीं दी गई थी. दूसरी ओर मुआवजा नहीं मिलने पर याचिकाकर्ता ने 31 अगस्त 2019 को एसडीएम के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया. आवेदन पर भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर बर्मन ने अधिवक्ता संजय कुमार अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

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मुआवजा भुगतान ब्याज के साथ

याचिका में कहा गया था कि भू-अर्जन अधिनियम के तहत यह प्रावधान है कि अवार्ड पारित करने के तुरंत बाद मुआवजा भुगतान किया जाए. यदि भू-धारक मुआवजा नहीं लेता है तो मुआवजा राशि डिस्ट्रिक जज के समक्ष जमा कराए. बावजूद इसके पारित अवार्ड की राशि एसडीएम ने न तो याचिकाकर्ता को भुगतान की और न डिस्ट्रिक जज के समक्ष जमा कराया. सिंगल बेंच ने प्रकरण की सुनवाई के बाद 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को मुआवज़ा भुगतान करने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही मुआवज़ा भुगतान में हुए विलंब के लिए नियमानुसार ब्याज देने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं.

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