बिलासपुर: कोरोना वायरस से निपटने के लिए लोग लगातार मास्क और सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर जोर डाल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ मार्केट में सैनिटाइजर के बढ़े हुए दाम और इसकी कालाबाजारी से भी लोग खासा परेशान हैं. इस बीच बिलासपुर के कुछ स्कूली बच्चों ने हर्बल सैनिटाइजर बनाने का दावा किया है, जो एल्कोहल और केमिकल रहित है.
ETV भारत की टीम नेचर बॉडी इको क्लब के बच्चों से मुलाकात और यह जानने को कोशिश कि आखिर इस हर्बल सैनिटाइजर को घर पर कैसे तैयार किया जा सकता है और ये कितना लाभकारी है.
किन औषधियों से तैयार होता सैनिटाइजर
छात्रों ने बताया कि इस सैनिटाइजर को बनाने के लिए उन्होंने 5 तरह की औषधि और पत्तों का इस्तेमाल किया है. इसमें नीम, एलोवेरा, तुलसी, नीलगिरी और गुड़हल के पत्तों का इस्तेमाल किया गया है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करेंगे. इसमें नीम और तुलसी को हमेशा से कीटनाशक और बीमारियों से बचाने वाला माना जाता है.
कैसे तैयार किया जाता है सैनिटाइजर
छात्रों ने बताया कि, 'इसे बनाने के लिए सबसे पहले नीम, एलोवेरा, तुलसी, नीलगिरी और गुड़हल के पत्तों को एक जगह एकत्र कर लें. इसके बाद इन सबको अच्छी तरह से धो लें और मिक्सी या फिर सिलबट्टा में अच्छी तरह से पीस लें. इन पत्तों को पीसने के बाद उनके अपशिष्ट पदार्थ को रस से अलग कर लें. इसके बाद उन्हें छान लें. इसके बाद तैयार रस आप सैनिटाइजर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं'. छात्रों ने बताया कि, 'इन पत्तों का मेडिशनल वैल्यू बहुत अधिक है, जो कीटाणुओं को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है'.
'मील का पत्थर साबित हो सकता'
वहीं आयुर्वेद के जानकार निर्मल अवस्थी ने छात्रों के इस आविष्कार की भरपूर तारीफ की. उन्होंने कहा कि, 'निश्चित रूप से कोरोना के भय से त्रस्त पूरे विश्व में इन दिनों कोरोना के संक्रमण पर रोकथाम के कई उपाय सुझाए जा रहे हैं. ऐसे में छात्रों का यह अनूठा प्रयोग सस्ता और प्रभावी सैनिटाइजर के रूप में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
छात्रों के इस प्रयोग और दावे पर हम आपको डॉक्टर की राय से भी रूबरू कराएंगे. आयुर्वेद के जानकार ने जरूर छात्रों की इस कोशिश की तारीफ की है. अगर डॉक्टर भी इसे अप्रूव कर दें तो ये सैनिटाइजर कम आय वाले लोगों के बजट में भी आ जाएगा.