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Bilaspur: हल्दी से होता है सोलापुरी माता का खास शृंगार, चिकन पॉक्स में भी कारगर है यह लेप - बिलासपुर में विराजित सोलापुरी माता

बिलासपुर में विराजित सोलापुरी माता को लेकर जिले में रहने वाले दक्षिण भारतीयों से साथ ही शहरवासियों में भी अगाध आस्था है. माता के पूजन का खास महत्व भी है. जिले में रहने वाले साउथ इंडियन 7 दिनों तक माता की धूमधाम से पूजा करते हैं. 21 अप्रैल से शुरू उत्सव के तीसरे दिन भक्तजनों ने माता की विशेष पूजा अर्चना की.

solapuri mata
सोलापुरी माता
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Published : Apr 24, 2023, 9:20 PM IST

Updated : Apr 24, 2023, 9:54 PM IST

हल्दी से होता है सोलापुरी माता का खास शृंगार

बिलासपुर: जिले में पिछले 23 सालों से सोलापुरी माता का उत्सव मनाया जा रहा है. जिले में रहने वाले दक्षिण भारतीय लोग खास तरीके से 7 दिनों तक माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इस बार शुक्रवार 21 अप्रैल से ये उत्सव शुरू हुआ है. सात दिनों तक देवी के 7 अलग अलग रूपों को दर्शाया जाएगा और हर दिन हल्दी, चंदन और कुमकुम से मां का शृंगार किया जाएगा. रविवार को आयोजन के तीसरे दिन भक्तों ने मां चामुंडेश्वरी की विशेष पूजा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.

हल्दी लेप से चिकन पॉक्स की समस्या दूर: बिलासपुर रेलवे परिक्षेत्र में रहने वाले साउथ इंडियन कम्युनिटी के लोग पिछले 23 सालों से सोलापुरी माता का उत्सव मनाते आ रहे हैं. माता सोलापुरी की पूजा करने का विशेष महत्व है. गर्मी में बढ़ते तापमान के कारण बच्चे और युवा अक्सर चिकन पॉक्स की चपेट में आ जाते हैं. इस बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जब मां को विराजित कराया जाता है, तभी से मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है. कई लोग देवी के शरीर में लगे हल्दी का लेप अपने शरीर पर लगाते हैं. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से चिकन पॉक्स का उन पर असन नहीं होता.

उत्सव में हल्दी का है खास महत्व: सोलापुरी माता की पूजा में हल्दी का अलग की महत्व होता है. हल्दी से देवी का स्वरूप तैयार किया जाता है. माता का शृंगार भी हल्दी से होता है. पूजा में भी हल्दी का इस्तेमाल होता है. पूजा करने वाले पंडित से लेकर उनके साथ रहने वाले बटुक इसी हल्दी का लेप पूरे शरीर में लगा कर पूजा करते हैं. ये बटुक पुजारी का सहयोग करते हैं, इसलिए इन्हें भी हल्दी लगाई जाती है.

यह भी पढ़ें: रामजी के ननिहाल आकर खुश हूं: मैथिली ठाकुर

इसलिए कम हो जाती है सूरज की तपिश: सोलापुरी माता उत्सव समिति के सदस्यों के अनुसार यहां माता को विराजित कर रोजाना अलग-अलग रूपों में उनकी पूजा की जाती है. माना जाता है कि माता के विराजमान होने के बाद से ही सूरज की तपिश कम हो जाती है. इससे तापमान कम होता है और मौसम ठंडा हो जाता है. मौसम के ठंडा होने की वजह से चिकन पॉक्स जैसी बीमारी होने का अंदेशा कम हो जाता है.

तीसरे दिन हुई चामुंडेश्वरी देवी की पूजा: सोलापुरी माता के उत्सव के तीसरे दिन माता चामुंडेश्वरी की पूजा की गई. चामुंडेश्वरी माता केरल की प्रसिद्ध देवी हैं. देवी के स्वरूप की पूजा करने के लिए आए पुजारी ने हल्दी से माता का स्वरूप तैयार कर पूजा अनुष्ठान किया. पूजा के बाद चामुंडेश्वरी देवी के स्वरूप में तैयार की गई माता की जीवंत झांकी दर्शाई गई.

हल्दी से होता है सोलापुरी माता का खास शृंगार

बिलासपुर: जिले में पिछले 23 सालों से सोलापुरी माता का उत्सव मनाया जा रहा है. जिले में रहने वाले दक्षिण भारतीय लोग खास तरीके से 7 दिनों तक माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इस बार शुक्रवार 21 अप्रैल से ये उत्सव शुरू हुआ है. सात दिनों तक देवी के 7 अलग अलग रूपों को दर्शाया जाएगा और हर दिन हल्दी, चंदन और कुमकुम से मां का शृंगार किया जाएगा. रविवार को आयोजन के तीसरे दिन भक्तों ने मां चामुंडेश्वरी की विशेष पूजा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.

हल्दी लेप से चिकन पॉक्स की समस्या दूर: बिलासपुर रेलवे परिक्षेत्र में रहने वाले साउथ इंडियन कम्युनिटी के लोग पिछले 23 सालों से सोलापुरी माता का उत्सव मनाते आ रहे हैं. माता सोलापुरी की पूजा करने का विशेष महत्व है. गर्मी में बढ़ते तापमान के कारण बच्चे और युवा अक्सर चिकन पॉक्स की चपेट में आ जाते हैं. इस बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जब मां को विराजित कराया जाता है, तभी से मौसम में हल्की ठंडक आ जाती है. कई लोग देवी के शरीर में लगे हल्दी का लेप अपने शरीर पर लगाते हैं. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से चिकन पॉक्स का उन पर असन नहीं होता.

उत्सव में हल्दी का है खास महत्व: सोलापुरी माता की पूजा में हल्दी का अलग की महत्व होता है. हल्दी से देवी का स्वरूप तैयार किया जाता है. माता का शृंगार भी हल्दी से होता है. पूजा में भी हल्दी का इस्तेमाल होता है. पूजा करने वाले पंडित से लेकर उनके साथ रहने वाले बटुक इसी हल्दी का लेप पूरे शरीर में लगा कर पूजा करते हैं. ये बटुक पुजारी का सहयोग करते हैं, इसलिए इन्हें भी हल्दी लगाई जाती है.

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इसलिए कम हो जाती है सूरज की तपिश: सोलापुरी माता उत्सव समिति के सदस्यों के अनुसार यहां माता को विराजित कर रोजाना अलग-अलग रूपों में उनकी पूजा की जाती है. माना जाता है कि माता के विराजमान होने के बाद से ही सूरज की तपिश कम हो जाती है. इससे तापमान कम होता है और मौसम ठंडा हो जाता है. मौसम के ठंडा होने की वजह से चिकन पॉक्स जैसी बीमारी होने का अंदेशा कम हो जाता है.

तीसरे दिन हुई चामुंडेश्वरी देवी की पूजा: सोलापुरी माता के उत्सव के तीसरे दिन माता चामुंडेश्वरी की पूजा की गई. चामुंडेश्वरी माता केरल की प्रसिद्ध देवी हैं. देवी के स्वरूप की पूजा करने के लिए आए पुजारी ने हल्दी से माता का स्वरूप तैयार कर पूजा अनुष्ठान किया. पूजा के बाद चामुंडेश्वरी देवी के स्वरूप में तैयार की गई माता की जीवंत झांकी दर्शाई गई.

Last Updated : Apr 24, 2023, 9:54 PM IST
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