बिलासपुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) में सड़कों के किनारे ठेला-खोमचे (wheelbarrow) चलाने वाले वेंडरों (vendors) को स्मार्ट सिटी (Smart City) के तहत सड़क किनारे गुमटी (Gumti) लगाकर देने की योजना है. बताया जा रहा है कि स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर बिलासपुर में चल रहे कार्यो के तहत शहर के 4 इलाकों में गुमटी लगाने वालों के लिए इसे तैयार किया गया था. हालांकि अभी निगम को ये गुमटी हैंडओवर नही हुआ. वहीं, देरी होने की वजह से अब यह नशाखोरी के साथ ही गुमटी के दरवाजे चोरी होने लगे है.
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महज 100 गुमटी की गई थी तैयार
बता दें कि शहर में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में सड़क किनारे ठेला खोमचा में व्यवसाय करने वाले व्यापारियों को स्मार्ट सिटी के तहत गुमटी तैयार कर उसे चिन्हांकित स्थानों पर रखा गया था. इस योजना के तहत नगर निगम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अभी केवल सौ गुमटी तैयार करवाई थी. बताया जा रहा है कि एक गुमटी की लागत लगभग 94 हजार है. अब इसे एलॉट किया जाएगा और इसके बाद वेंडरों से थोड़ी-थोड़ी रकम ली जाएगी.
नगर निगम के लिए सिरदर्द बनी योजना
बता दें कि इस योजना को लागू करने के बाद अब नगर निगम के लिए यह भी सरदर्द बन गया है. क्योंकि सौ स्मार्ट कियोस्क के लिए हजारों लोगों ने आवेदन कर दिया है. इतना ही नहीं, अपनों को आबंटन दिलाने के लिए निगम पर दबाव भी बनाया जा रहा है. इधर इस खींचतान के बीच लेटलतिफी से आबंटन के बिना ही स्मार्ट कियोस्क रखे- रखे कबाड़ हो रहे हैं. नगर निगम ने सड़कों पर इधर-उधर लगने वाले ठेले गुमटियों को व्यवस्थित करने के लिए योजना बनाई है. जिसके लिए स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट कियोस्क बनाकर वेंडर्स को आवंटित किया जाना है.
पहले चरण में 100 स्मार्ट कियोस्क का होगा आवंटन
इसके लिए शहर के अलग-अलग चार स्थानों का चयन वेंडिंग जोन के लिए किया गया है. यहां निगम वेंडर्स को स्मार्ट कियोस्क के साथ जगह भी उपलब्ध कराया जाएगा. पहले चरण में 100 स्मार्ट कियोस्क का आवंटन होना है. जिसके लिए निगम ने प्रति कियोस्क 94 हजार खर्च किया है. लेकिन निगम की अब यह योजना उसके लिए शुरू होने से पहले ही सरदर्द साबित हो रही है. बताया जा रहा है कि 100 गुमटियों के लिए हजारों लोगों ने आवेदन किया है. अपने लोगों को कियोस्क दिलाने के लिए निगम पर दबाव बनाया जा रहा है. ऐसे में इसके आवंटन की प्रक्रिया खटाई में जाती दिख रही है. इधर आवंटन की लेटलतीफी के कारण रखे-रखे स्मार्ट कियोस्क बर्बाद हो रहे हैं. स्थिति यह है कि आधे से अधिक स्मार्ट कियोस्क टूट फूट गए हैं. यहां तक कि खिड़की दरवाजे तक लोग उखाड़ कर ले गए हैं.
अपने लोंगो को फायदा पहुचाने आबंटन में हो रही देरी
वहीं, इस मामले में पूर्व महापौर किशोर राय ने कहा है कि निगम सरकार और अधिकारी अब भी योजना को प्रक्रियाधीन बता रहे हैं. लेकिन इस योजना की इस स्थिति के लिए निगम सरकार ही जिम्मेदार है. इधर, विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष के नेता कियोस्क के आबंटन में अपने लोगों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं. जिसके कारण आबंटन में लेट लतीफी की जा रही है. इधर निगम सरकार का कहना है कि विपक्ष को 15 साल भ्रष्टाचार करने के बाद हर योजना में भ्रष्टाचार ही नजर आता है जबकि नियमतः जो पात्र होगा, उसे ही कियोस्क का आवंटन किया जाएगा. इसके लिए सत्यापन की प्रक्रिया जारी है.