बिलासपुर : आज के इस महंगाई के दौर में अपने ही अपनों को पालने और उनका पेट भरने में मुश्किल हो रही है. परिवार के लोग महंगाई को देखते हुए बुजुर्गों को अपने से दूर कर रहे हैं. ऐसे समय में बिलासपुर के एक ऐसे समाजसेवी जो श्रीराम रसोई (Shri Ram Rasoi of Bilaspur ) के माध्यम से भूखों को भोजन कराते हैं. जो दो चार दस नहीं बल्कि 3 सौ लोगों को रोज एक समय का भरपेट भोजन कराते हैं. आज जहां 10 रुपए में खाने की कोई भी चीज आपका पेट नहीं भर सकती. वहीं समाज सेवी ने पूरी की पूरी भरपेट थाली का इंतजाम गरीबों के लिए किया है.
10 की थाली में क्या है खास : आपको आश्चर्य होगा लेकिन इस 10 रुपए की थाली में सबकुछ है. चावल, दाल, सब्जी और मीठे में सफेद रसगुल्ला. थोड़ा अजीब लगता है. इतने कम पैसे में कोई कैसे किसी को भरपेट खाना खिला सकता है. लेकिन ये सही हैं. बिलासपुर के पुराने बस स्टैंड के पास हनुमान मंदिर के सामने एक समाज सेवी संस्था श्री राम रसोई हैं. जो लोगों को खाना खिला रहा है. श्री राम रसोई की कोई दुकान या स्थाई जगह नही बल्कि अस्थाई टेंट लगाकर मंदिर के सामने खाना खिलाते हैं . खाना खिलाने के बाद ये अपना सारा सामान समेटकर चले जाते हैं. एक दिन में एक टाइम का खाना खाने के लिए लोग यहां भीड़ लगाकर खड़े रहते हैं.जगह मिलने के बाद भोजन का सिलसिला शुरु हो जाता (Shri Ram Rasoi feeds poor people in ten rupees ) है.
10 रुपए में भरपेट भोजन : रसोई का संचालन करने वाले समाजसेवी ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि '' एक दिन में एक बार यानी दोपहर का खाना खिलाया जाता है, जिसमें लगभग 300 से 350 लोग खाना खाते हैं. एक थाली के लिए उन्हें 30 रुपए खर्च आते हैं. लेकिन वह मात्र 10 रुपए में इन्हें खिलाते हैं. समाजसेवी को खाना का खर्च एक दिन में 9-10 हजार रुपए आता है. उन्हें यहां से 3 हजार रुपए मिलते हैं. बाकी के पैसे दानदाताओं के तरफ से मिल जाता है.पैसा नहीं मिलने से वो अपनी तरफ से खर्च पूरा करते (feeds poor people in ten rupees) हैं.
गरीबों की कर रहे हैं मदद : यहां कई ऐसे लोग भी अपनी सेवा देने पहुंचते हैं जो अपने जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी, श्राद्ध, या किसी भी धार्मिक कार्यों या अपनी खुशी के लिए गरीबों को खाना खिलाना चाहते हैं. वो यहां आकर अपनी सेवा देते हैं और अपनी स्वेच्छा से जितना हो सके आर्थिक सहायता करते हैं. इस कार्य में महीने में लगभग 90 हजार से 1 लाख खर्च होता है. कभी लोगों का सहयोग मिलता है और कभी नही. लेकिन इसके बाद भी समाजसेवी ओमप्रकाश अग्रवाल रोजाना ही श्रीराम रसोई चलाते हैं और भूखों को खाना खिलाते हैं.
आत्मीय संतुष्टि होती है गरीबो को खाना खिलाकर : शहर की समाजसेवी बिन्दुकरण सिंह कछवाहा ने बताया कि '' वह 12 सालों से समाजसेवा का कार्य करती हैं. उन्हें गरीबो की मदद करना अच्छा लगता है. गरीबों को खाना खिलाने में आत्मीय संतुष्टि मिलती है और इसके ही अहसास के लिए वो अपना जन्मदिन इनके बीच आकर मना रही हैं. परिवार और दोस्तों के साथ पार्टी तो हमेशा करते हैं, लेकिन इनके बीच जन्मदिन मनाने से बड़ी खुशी कुछ नही.
शहर के एक व्यवसायी ने बताया कि '' केक काटकर लोग धूमधड़ाका करते हैं और उन्हें खुशी मिलती है. लेकिन वह थोड़ी देर के लिए होता है. लेकिन सबसे बड़ी खुशी गरीबों को खाना खिलाकर मिलती है. गरीबों को खाना खिलाने से दो फायदे होते हैं. पहला फायदा ये कि अपना जन्मदिन आप लोगों को खाना खिलाकर मना रहे हैं उसकी खुशी मिलती है और दूसरा फायदा ये कि इससे पुण्य मिलता हैं. जो भविष्य में आपके अपने जीवन में आपके ही काम आता हैं. यहा दोहरी खुशी और फायदे दोनों हैं. सभी को ऐसे कार्य करना चाहिए जिससे गरीबों को एक समय का खाना खिलाया जाए ताकि कोई भूखा न रहे.
बिलासपुर की यह रसोई जहां एक तरफ गरीबों को खाना खिला रहा है वहीं दूसरी तरफ यह संदेश भी दे रहा है कि लोगों को अपने जन्मदिन और दूसरी खुशियों में हजारों लाखो खर्च करते हैं. वही थोड़े से पैसे इन गरीबों के लिए भी निकाल सकते हैं. जिससे कई लोगों का एक समय के लिए पेट भरा जा सकता है.Bilaspur latest news