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छोटी उम्र में श्रेयांशी ने किया ऐसा काम, हर कोई कर रहा जज्बे को सलाम

बिलासपुर की 8 साल की एक बच्ची ने वो कर दिखाया है, जिसके लिए दूसरों को सालों साल मेहनत करनी पड़ती है. बिलासपुर की रहने वाली श्रेयांशी अपनी छोटी उम्र में ही मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हासिल किया और नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में पदकों की छड़ी लगा दी.preparing for Olympics

Shreyanshi of Bilaspur
शोतोकाॅन कराटे ओपन नेशनल चैंपियनशिप
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Published : May 3, 2023, 9:33 PM IST

Updated : May 4, 2023, 6:39 PM IST

शोतोकाॅन कराटे ओपन नेशनल चैंपियनशिप

बिलासपुर: मार्शल आर्ट एक ऐसा खेल है, जिसमें कई अलग अलग विधाएं होती हैं. इन विधाओं को सीखने के लिए सालों तक मेहनत करनी पड़ती है. मार्शल आर्ट के लिए शरीर को लचीला बनाना पड़ता है और इससे शरीर में मजबूती आती है. दुनियाभर के देशों में इसे लोकप्रयिता हासिल है. मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट होने के लिए लगातार कई साल की प्रैक्टिस और कुशल गुरु का साथ निहायत जरूरी है. बिलासपुर के श्रेयांशी ने महज 7 साल की उम्र में ही ब्लैक बेल्ट हासिल कर जिले का मान बढ़ाया. आठ साल की उम्र में श्रेयाशी मार्शल आर्ट में इतनी निपुण हो चुकी हैं कि अब उसकी नजरें ओलंपिक गेम्स पर है. श्रेयांशी इसके लिए हर रोज जिला खेल परिसर में घंटों प्रैक्टिस करती हैं.


2 साल की कड़ी मेहनत, फिर मिला ब्लैक बेल्ट: श्रेयांशी ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग 5 साल की उम्र से शुरू की थी. जिला खेल परिसर में कोच किरण साहू ने उसे शुरुआती ट्रेनिंग दी. साल 2019 में अपने ट्रेनिंग के शुरुआती दिनों में श्रेयांशी प्रैक्टिस करने में थोड़ी डरी रहती थी. लेकिन उसके अंदर की लगन और एक्साइटमेंट ने धीरे-धीरे उसके डर को दूर कर दिया. श्रेयांशी की कोच किरण ने महज दो महीने की ट्रेनिंग के बाद श्रेयांशी का शोतोकाॅन कराटे ओपन नेशनल चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करने के लिए नाम आगे किया. इसमें नन्ही खिलाड़ी ने अपने पहले ही अटेम्पट काता केटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल किया. छोटी हाइट के कारण पहले वह अपने से बड़े खिलाड़ियों को देख कर डरती थी लेकिन अब आत्मविश्वाश के साथ वह उनसे भिड़ जाती है.



छोटे उम्र में मिली बड़ी सफलता: नन्ही खिलाड़ी श्रेयांशी ने 7 साल के उम्र में अपने कॅरियर की शुरुवात की. दो साल में ही उसने 2 इंटरनेशनल टूर्नामेंट, 6 नेशनल, 2 ओपन नेशनल चैंपियनशिप खेला. हर हर बार उसने मेडल हासिल किया. श्रेयांशी अब तक 9 गोल्ड मेडल, 4 सिल्वर मेडल और 3 ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर चुकी हैं. इसके अलावा श्रेयांशी को बिलासपुर नगर निगम की ओर से मेजर ध्यान चंद अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है. कांग्रेस स्पोर्ट्स टैलेंट अवार्ड और तिरंगा अवार्ड के लिए भी नॉमिनेट किया गया.

मार्शल आर्ट ने खींचा ध्यान: श्रेयांशी की कोच किरण साहू ने बताया कि "श्रेयांशी बैडमिंटन खेलने जिला खेल परिसर आती थी. मगर मार्शल आर्ट में उसका इंटरेस्ट था और वह मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करने लगी. ट्रेनिंग के दौरान उसे अपने से बडे़ बडे़ बच्चों के साथ फाइट करने में काफी डर महसूस हुआ करता था. इसलिए उसे पहले कराते के लिए ट्रेनिंग दिया गया, जिसके बाद उसे फाइट इवेंट के लिए तैयार किया गया. श्रेयांशी अपनी आर्ट में इतनी माहिर हो गई है कि वह अपने वजन के किसी भी प्लेयर को टक्कर दे सकती है."

यह भी पढ़ें: Railway Jobs : रेलवे में निकली बंपर वैकेंसी, जानिए कैसे करना है अप्लाई

ओलंपिक में जाना चाहती हैं श्रेयांशी: श्रेयांशी अब अपने खेल को लेकर काफी आगे बढ़ती जा रही हैं. उनके अंदर के जुनून और कड़ी मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि श्रेयांशी आने वाले दिनों में बिलासपुर, छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन करेंगी. श्रेयांशी ओलंपिक में जाने की इच्छा रखती हैं और उनका का मानना है कि वह अपने खेल को और बेहतर बना सकती हैं. ओलंपिक में जाकर देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आएंगी.

शोतोकाॅन कराटे ओपन नेशनल चैंपियनशिप

बिलासपुर: मार्शल आर्ट एक ऐसा खेल है, जिसमें कई अलग अलग विधाएं होती हैं. इन विधाओं को सीखने के लिए सालों तक मेहनत करनी पड़ती है. मार्शल आर्ट के लिए शरीर को लचीला बनाना पड़ता है और इससे शरीर में मजबूती आती है. दुनियाभर के देशों में इसे लोकप्रयिता हासिल है. मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट होने के लिए लगातार कई साल की प्रैक्टिस और कुशल गुरु का साथ निहायत जरूरी है. बिलासपुर के श्रेयांशी ने महज 7 साल की उम्र में ही ब्लैक बेल्ट हासिल कर जिले का मान बढ़ाया. आठ साल की उम्र में श्रेयाशी मार्शल आर्ट में इतनी निपुण हो चुकी हैं कि अब उसकी नजरें ओलंपिक गेम्स पर है. श्रेयांशी इसके लिए हर रोज जिला खेल परिसर में घंटों प्रैक्टिस करती हैं.


2 साल की कड़ी मेहनत, फिर मिला ब्लैक बेल्ट: श्रेयांशी ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग 5 साल की उम्र से शुरू की थी. जिला खेल परिसर में कोच किरण साहू ने उसे शुरुआती ट्रेनिंग दी. साल 2019 में अपने ट्रेनिंग के शुरुआती दिनों में श्रेयांशी प्रैक्टिस करने में थोड़ी डरी रहती थी. लेकिन उसके अंदर की लगन और एक्साइटमेंट ने धीरे-धीरे उसके डर को दूर कर दिया. श्रेयांशी की कोच किरण ने महज दो महीने की ट्रेनिंग के बाद श्रेयांशी का शोतोकाॅन कराटे ओपन नेशनल चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करने के लिए नाम आगे किया. इसमें नन्ही खिलाड़ी ने अपने पहले ही अटेम्पट काता केटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल किया. छोटी हाइट के कारण पहले वह अपने से बड़े खिलाड़ियों को देख कर डरती थी लेकिन अब आत्मविश्वाश के साथ वह उनसे भिड़ जाती है.



छोटे उम्र में मिली बड़ी सफलता: नन्ही खिलाड़ी श्रेयांशी ने 7 साल के उम्र में अपने कॅरियर की शुरुवात की. दो साल में ही उसने 2 इंटरनेशनल टूर्नामेंट, 6 नेशनल, 2 ओपन नेशनल चैंपियनशिप खेला. हर हर बार उसने मेडल हासिल किया. श्रेयांशी अब तक 9 गोल्ड मेडल, 4 सिल्वर मेडल और 3 ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर चुकी हैं. इसके अलावा श्रेयांशी को बिलासपुर नगर निगम की ओर से मेजर ध्यान चंद अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है. कांग्रेस स्पोर्ट्स टैलेंट अवार्ड और तिरंगा अवार्ड के लिए भी नॉमिनेट किया गया.

मार्शल आर्ट ने खींचा ध्यान: श्रेयांशी की कोच किरण साहू ने बताया कि "श्रेयांशी बैडमिंटन खेलने जिला खेल परिसर आती थी. मगर मार्शल आर्ट में उसका इंटरेस्ट था और वह मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करने लगी. ट्रेनिंग के दौरान उसे अपने से बडे़ बडे़ बच्चों के साथ फाइट करने में काफी डर महसूस हुआ करता था. इसलिए उसे पहले कराते के लिए ट्रेनिंग दिया गया, जिसके बाद उसे फाइट इवेंट के लिए तैयार किया गया. श्रेयांशी अपनी आर्ट में इतनी माहिर हो गई है कि वह अपने वजन के किसी भी प्लेयर को टक्कर दे सकती है."

यह भी पढ़ें: Railway Jobs : रेलवे में निकली बंपर वैकेंसी, जानिए कैसे करना है अप्लाई

ओलंपिक में जाना चाहती हैं श्रेयांशी: श्रेयांशी अब अपने खेल को लेकर काफी आगे बढ़ती जा रही हैं. उनके अंदर के जुनून और कड़ी मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि श्रेयांशी आने वाले दिनों में बिलासपुर, छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन करेंगी. श्रेयांशी ओलंपिक में जाने की इच्छा रखती हैं और उनका का मानना है कि वह अपने खेल को और बेहतर बना सकती हैं. ओलंपिक में जाकर देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आएंगी.

Last Updated : May 4, 2023, 6:39 PM IST
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