बिलासपुर: जम्मू कश्मीर के कटरा में विराजी मां वैष्णो देवी के बारे में तो सभी जानते होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि बिलासपुर में भी मां वैष्णो विराजमान हैं. आइए शारदीय नवरात्र के मौके पर हम आपको बिलासपुर में विराजमान माता वैष्णों के बारे में बताते हैं.
जम्मू के तर्ज पर बना वैष्णो मां का दरबार: बिलासपुर जिला स्थित बैमा नगोई गांव में भी माता वैष्णो देवी पिंडी रूप में विराजमान हैं. बिलासपुर के शर्मा परिवार ने माता वैष्णो देवी का ये मंदिर बनवाया है. मंदिर के भीतर भी वैष्णों मंदिर के तर्ज पर गुफा बनाया गया है. यहां पिंडी रूप में माता विराजमान हैं. खास बात यह है कि ये पिंडी वैष्णो देवी से लाकर यहां स्थापित किया गया है. इसके साथ ही श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए यहां नवदुर्गा की मूर्तियां भी स्थापित की गई है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही आपको लगेगा कि आप वैष्णो माता के मंदिर में प्रवेश कर गईं हैं.
ऐसे आया मंदिर बनाने का विचार: मंदिर के पुजारी ने ईटीवी भारत को बताया कि, "शहर के कांग्रेसी नेता और शिक्षाविद बसंत शर्मा और उनके भाई संजय शर्मा ने इस मंदिर को बनाने की पहल की थी. दोनो भाई जब भी जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी दर्शन करने की मन में ठानते थे तो किसी न किसी कारण से यात्रा टल जाती थी. काफी प्रयास के बाद जब संयोग बना, तब वो देवी के दर्शन करने गए. इसके बाद से लगातार करीब तीस सालों से वो माता के दर्शन के लिए जाते थे. संजय शर्मा के मन में एक दिन विचार आया कि उनके तरह हजारों लोग ऐसे हैं, जिनकी इच्छा जम्मू-कश्मीर के माता वैष्णो देवी मंदिर जाने की होती है. हालांकि वो किसी कारणवश नहीं जा पाते. ऐसे में उन्होंने अपने शहर के आसपास हूबहू वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण कराने का सोचा. इसके बाद इस मंदिर का उन्होंने निर्माण कराया.
जम्मू के कटरा के कारीगरों ने तैयार किया मंदिर: बताया जा रहा है कि मंदिर निर्माण में करीब पांच साल लग गए. मंदिर निर्माण में लगने वाला सामान बिलासपुर में ही उपलब्ध हो गया था. हालांकि माता के गर्भगृह निर्माण की सामग्री वैष्णो देवी मंदिर कटरा से लाया गया. करीब 5 कारीगर कटरा से बुलाए गए. इन कारीगरों ने गुफा और पिंडी को मंदिर में वैष्णो देवी के तर्ज पर सेट किया.
2017 में शुरू हुआ था मंदिर का निर्माण का काम: बिलासपुर के अशोकनगर होते बैमा नगौई से पौसरा जाने वाले मार्ग में ये मंदिर स्थित है. यहां 2000 वर्ग फीट में माता का भव्य मंदिर बना हुआ है. मंदिर के निर्माण का काम साल 2017 में शुरू किया गया था. हालांकि किसी कारण ये काम रुका हुआ था. करीब 5 साल बाद अब ये मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ है. 23 जून को इसी साल मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा की गई. 26 जून से मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया. अब हर दिन सैंकड़ो श्रद्धालु यहां माता के दर्शन को पहुंचते हैं.
भले ही मंदिर निर्माण कुछ दिनों पहले ही हुई हो, लेकिन यहां के लोगों की इस मंदिर के प्रति श्रद्धा अटूट है. यही कारण है कि भक्त हर दिन माता के दरबार पर अर्जी लगाने पहुंच रहे हैं. नवरात्र के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ भी देखने को मिल रही है.