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सीप और रुद्राक्ष से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बना रहीं राखियां, देसी उत्पाद को मिल रहा बढ़ावा

गौरेला पेंड्रा मरवाही की ग्रामीण महिलाएं रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले धान, चावल, राई, मोती, कौड़ी, सीप, रुद्राक्ष जैसी चीजों से रंग-बिरंगी सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं. इस राखी की कीमत 5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक है.

स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रहीं राखियां
स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रहीं राखियां
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Published : Aug 20, 2021, 10:35 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही: भाइयों के हाथो में सजाने के लिए राखियां अब ग्रामीण स्तर पर तैयार हो रही हैं. पेंड्रा की ग्रामीण महिलाएं रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले धान, चावल, राई, मोती, कौड़ी, सीप, रुद्राक्ष जैसी चीजों से रंग-बिरंगी सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं. घरेलू काम से समय निकालकर स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं.

ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए शुरू किया गया स्वयं सहायता समूह अब उपयोगी साबित हो रहा है. महिलाओं के समूह ने जहां होली के त्योहार में हर्बल गुलाल तैयार किया था तो अब वही महिलाएं ने रक्षाबंधन के लिए राखियां तैयार कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की गई राखी रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली चीजों से तैयार हो रही है. जिसमें धान, रुद्राक्ष, मोती, सीप, राई आदि शामिल हैं. इन महिलाओं ने राखियां बनाने के लिए कहीं से प्रशिक्षण नहीं लिया है.

त्योहारी सीजन में बाजार में उमड़ रही भीड़, बस्तर में कोरोना विस्फोट का खतरा

वहीं ब्लाक कोर्डिनेटर की मदद से और youtube में वीडियो देखकर राखियां तैयार कर रही हैं. घर के काम निपटाने के बाद महिलाएं इसी तरह सामुदायिक भवन में बैठकर राखियां तैयार करती हैं. इन महिलाओं के द्वारा तैयार की गई राखी की कीमत 5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक है. इन रंग-बिरंगी सुंदर राखियों से न सिर्फ इन महिलाओं को रोजगार मिल रहा है बल्कि मेड इन चाइना राखियों से भी देश को मुक्ति मिल सकती है.

अब जरूरत है कि शासन-प्रशासन आगे आकर इन महिलाओं द्वारा तैयार राखियों के लिए बाजार उपलब्ध कराए ताकि इनके द्वारा तैयार की गई राखियों के अच्छे मूल्य मिले सके और वोकल फॉर लोकल को भी बल मिले.

गौरेला पेंड्रा मरवाही: भाइयों के हाथो में सजाने के लिए राखियां अब ग्रामीण स्तर पर तैयार हो रही हैं. पेंड्रा की ग्रामीण महिलाएं रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले धान, चावल, राई, मोती, कौड़ी, सीप, रुद्राक्ष जैसी चीजों से रंग-बिरंगी सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं. घरेलू काम से समय निकालकर स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं.

ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए शुरू किया गया स्वयं सहायता समूह अब उपयोगी साबित हो रहा है. महिलाओं के समूह ने जहां होली के त्योहार में हर्बल गुलाल तैयार किया था तो अब वही महिलाएं ने रक्षाबंधन के लिए राखियां तैयार कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की गई राखी रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली चीजों से तैयार हो रही है. जिसमें धान, रुद्राक्ष, मोती, सीप, राई आदि शामिल हैं. इन महिलाओं ने राखियां बनाने के लिए कहीं से प्रशिक्षण नहीं लिया है.

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वहीं ब्लाक कोर्डिनेटर की मदद से और youtube में वीडियो देखकर राखियां तैयार कर रही हैं. घर के काम निपटाने के बाद महिलाएं इसी तरह सामुदायिक भवन में बैठकर राखियां तैयार करती हैं. इन महिलाओं के द्वारा तैयार की गई राखी की कीमत 5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक है. इन रंग-बिरंगी सुंदर राखियों से न सिर्फ इन महिलाओं को रोजगार मिल रहा है बल्कि मेड इन चाइना राखियों से भी देश को मुक्ति मिल सकती है.

अब जरूरत है कि शासन-प्रशासन आगे आकर इन महिलाओं द्वारा तैयार राखियों के लिए बाजार उपलब्ध कराए ताकि इनके द्वारा तैयार की गई राखियों के अच्छे मूल्य मिले सके और वोकल फॉर लोकल को भी बल मिले.

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