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बिलासपुर: जीवनयापन के लिए महुआ बीन रहे लोग, सोशल डिस्टेंसिंग का कर रहे पालन - Mahua liquor in bilaspur

लॉकडाउन के दौरान आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीण और मजदूर जीवनयापन के लिए महुआ बीनने का काम कर रहे हैं. इस दौरान ये ग्रामीण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए.

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महुआ बिनते हुए ग्रामीण
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Published : Apr 29, 2020, 12:53 PM IST

Updated : Apr 29, 2020, 7:13 PM IST

बिलासपुर: ग्रामीण अंचलों में लाॅकडाउन के चलते गांव-गांव में नाकेबंदी कर दी गई है. बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में आदिवासी ग्रामीण जंगलों में महुआ बीनने का काम कर रहे हैं.

महुआ बिन ग्रामीण कर रहे जीवनयापन

महुआ बीनने के दौरान गांववाले सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कर रहे हैं. कोटा विधानसभा क्षेत्र के गांव कर्रा के लोग जीवनयापन के लिए महुआ बीनने का काम कर रहे हैं. सुबह से ही ये ग्रामीण अपने परिवार के साथ खेतों और जंगलों में महुआ बीनने निकल जाते हैं.

इस सीजन महुआ कम देखा जा रहा है, इसलिए ग्रामीण समय बर्बाद किए बगैर काम में जुट गए हैं. बता दें कि महुआ से शराब बनाई जाती है. इसके अलावा आदिवासी संस्कृति में महुआ का विशेष महत्व है. इस समय महुआ की कीमत 30 रुपए प्रति किलोग्राम है.

गांव के किराना दुकानों में बेच रहे महुआ
रतनपुर क्षेत्र की किराना दुकानों में महुआ खरीदा जा रहा है. जहां पर व्यापारियों को आदिवासी महुआ बेचते हैं, उसके बाद महुआ बाजार में बेचा जाता है.

बिलासपुर: ग्रामीण अंचलों में लाॅकडाउन के चलते गांव-गांव में नाकेबंदी कर दी गई है. बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में आदिवासी ग्रामीण जंगलों में महुआ बीनने का काम कर रहे हैं.

महुआ बिन ग्रामीण कर रहे जीवनयापन

महुआ बीनने के दौरान गांववाले सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कर रहे हैं. कोटा विधानसभा क्षेत्र के गांव कर्रा के लोग जीवनयापन के लिए महुआ बीनने का काम कर रहे हैं. सुबह से ही ये ग्रामीण अपने परिवार के साथ खेतों और जंगलों में महुआ बीनने निकल जाते हैं.

इस सीजन महुआ कम देखा जा रहा है, इसलिए ग्रामीण समय बर्बाद किए बगैर काम में जुट गए हैं. बता दें कि महुआ से शराब बनाई जाती है. इसके अलावा आदिवासी संस्कृति में महुआ का विशेष महत्व है. इस समय महुआ की कीमत 30 रुपए प्रति किलोग्राम है.

गांव के किराना दुकानों में बेच रहे महुआ
रतनपुर क्षेत्र की किराना दुकानों में महुआ खरीदा जा रहा है. जहां पर व्यापारियों को आदिवासी महुआ बेचते हैं, उसके बाद महुआ बाजार में बेचा जाता है.

Last Updated : Apr 29, 2020, 7:13 PM IST
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