बिलासपुर: राहगीरों और आम नागरिकों के लिए स्वच्छ पानी मुहैया कराने की मंशा से शासन और नगर निगम ने शहर के मुख्य मार्गो पर आरओ वाटर प्लांट की स्थापना (Establishment of RO water plant) की थी. इस वाटर प्लांट में लाखों रुपए खर्च कर इसे तैयार किया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में प्लांट पूरी तरह खराब और जर्जर हो गया है. अब राह चलते राहगीरों को गले गीले नहीं होते. इसको लेकर निगम अधिकारियों का कहना है कि कंपनी को इसका मेंटेनेंस करना था, लेकिन अनुबंध समाप्त (Contract Terminated) होने की वजह से कंपनी मेंटेनेंस नहीं कर रही है.
2 साल पहले हुई योजना शुरू, अब बुरा हाल
2 साल पहले बिलासपुर शहर के चौराहों पर आम लोगों को स्वच्छ और ठंडा पानी पिलाने की मंशा से तत्कालीन नगर निगम आयुक्त ने प्रयास कर शासन से 10 आरो प्लांट की योजना पास कराई थी. इस योजना के तहत शासन स्तर पर टेंडर जारी किया गया था. दुर्ग की यूरो कंपनी ने शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर आरओ प्लांट लगाने का ठेका लिया था. शहर के 5 स्थानों में आरओ प्लांट स्थापित भी किया गया. इसके शुरुआती दौर में लोगों ने फायदा भी लिया.
इस योजना के तहत एक रुपए में 1 लीटर और 2 रुपये में साफ ठंडा पानी मिलता था. शुरुआती दौर पर तो लोगों ने इसका फायदा उठाया लेकिन बाद में लॉकडाउन के दौरान इसका उपयोग होना बंद हो गया. इसलिए ही आरओ वाटर प्लांट बंद हो गया. लोग इसका उपयोग नहीं किए. इस वजह से बंद पड़े मशीनों में खराबी आ गई. फिर दोबारा इसे शुरू नहीं किया गया.
लाखों रुपये खर्च के बाद वाटर प्लांट जर्जर
नगर निगम के अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने बताया कि शासन स्तर पर इसका टेंडर हुआ था और इसका बजट भी शासन के द्वारा मंजूर किया गया था. शहर में पांच जगहों पर आरओ प्लांट स्थापित हुई थी. 8 से 10 लाख रुपए का बजट एक प्लांट के लिए था. लगभग 5 प्लांट में 50 से 55 लाख रुपए खर्च भी हुए. इसके अलावा जिला अस्पताल में नगर निगम ने अलग-अलग मद के राशि से प्लांट स्थापित किया था. अब यह भी खराब और बंद है.
शासन स्तर पर यूरो कंपनी को जब ठेका दिया गया था. तब प्लांट के मेंटेनेंस के लिए 7 साल का अनुबंध भी किया गया था, लेकिन अनुबंध के दौरान ही ठेका कंपनी से ठेका शासन ने निरस्त कर दिया. शासन के ठेका निरस्त करने के बाद से कंपनी के कर्मचारी आरओ प्लांट का मेंटेनेंस करना बंद कर दिए. यही कारण है कि अब लाखों रुपए के आरओ प्लांट जर्जर और बेकार हो गए हैं. अब प्लांट न लोगों की प्यास बुझा रही है और ना इसका उद्देश्य सार्थक हो रहा है.
योजना क्यों हो गई बंद
जल विभाग के प्रभारी अजय श्रीवास्तव ने बताया कि शुरुआती दौर पर तो लोगों ने इसका लाभ लिया, फिर धीरे-धीरे लोग इसका लाभ लेना बंद कर दिए. कारण जो समझ में आया उसमें यह बात रही कि कंपनी ने सस्ते दर पर पानी उपलब्ध तो करा रही थी लेकिन पानी लेने के लिए कोई साधन या बॉटल नहीं होने की वजह से लोग पानी लेना बंद कर दिए, क्योंकि ना तो गिलास उपलब्ध था और ना ही बॉटल इसकी वजह से लोग रुचि लेना बंद कर दिए.