बिलासपुर : अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के रिसर्च स्कॉलर निलेश ने कोरोना टेस्ट के लिए एक सिस्टम तैयार किया है, जिसमें सीटी स्कैन के जरिए आसानी से कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा. कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में हाहाकार मचाया हुआ है, जिसकी रोकथाम और बचाव के लिए कई शोध जारी हैं. हेड डॉक्टर एचएस होता के गाइडेंस में शोध कर रहे निलेश वर्मा ने डीप मशीन लर्निंग और ऐक्सप्लेनेबल एआई तकनीक का प्रयोग कर 'कोविस-हेल्थ' यानि कोरोना वायरस आइडेंटिफिकेशन सिस्टम फॉर हेल्थ नाम का सिस्टम तैयार किया है. जिसके जरिए सीटी स्कैन कर दो या तीन मिनट में कोरोना की जांच की जा सकेगी, ऐसा दावा निलेश वर्मा ने किया है.
निलेश ने बताया कि डीप मशीन लर्निंग और ऐक्सप्लेनेबल एआई तकनीक से फेफड़ों का सीटी स्कैन किया जाएगा, जिससे पता किया जा सकेगा कि फेफड़ा कितना संक्रमित है. वर्तमान में ब्लड की जांच की पद्धति में यह पता नहीं चल पाता है. शोध के लिए चीन के संक्रमित व्यक्ति के सीटी स्कैन इमेज का सहारा लिया गया है.
संक्रमण का अनुपात भी पता लगाया जा सकेगा
कम्प्यूटर साइंस विभाग के हेड डॉ एचएस होता ने जानकारी दी कि मशीन लर्निंग के साथ-साथ एक्सप्लेनेबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग इस शोध में किया गया है, जो नई तकनीक है. इन दोनों तकनीक का इस्तेमाल कर जब शोध किया गया, तो यह जानकारी सामने आई कि इससे ना सिर्फ कोरोना पीड़ित की पहचान हो सकेगी बल्कि यह भी बताया जा सकता है संक्रमण का अनुपात कितना है. यह सरल पद्धति है और कुछ ही घंटों में रिपोर्ट मिल जाती है.
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इंटरनेशनल जर्नल के लिए भेजने की तैयारी
फिलहाल ब्लड सैंपलिंग और रैपिड टेस्ट किट जैसी तकनीकों के माध्यम से कोरोना की जांच की जा रही है. ये तकनीक महंगी और टाइम टेकिंग भी है. निलेश अपनी इस रिसर्च से 99 फीसदी तक सटीक परिणाम का दावा कर रहे हैं और जल्द ही अपनी शोध को इंटरनेशनल जर्नल के लिए भेजने वाले हैं.