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GPM News : तेंदूपत्ता सग्राहकों के हक में मुंशियों का डाका, सरा वसूली का लगा आरोप

छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों की आय के प्रमुख साधनों में से एक तेंदूपत्ता संग्रहण ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. वर्षों से इस वनोपज का संग्रहण ग्रामीण करते रहे हैं. पहले ठेकेदारी प्रथा में तेंदूपत्ता की खरीदी की जाती थी.लेकिन अब वन विभाग और जिला लघु वनोपज संघ अपनी समितियों के माध्यम से इसकी खरीदी करता है. खरीदी का उद्देश्य ठेकेदारों के तेंदूपत्ता खरीदी में गड़बड़ी को दूर करना और ग्रामीणों को उसके सही दाम दिलाना है. लेकिन इतने साल बाद भी व्यवस्था जस की तस है. ठेकेदारी प्रथा जरूर बंद हुई. लेकिन ग्रामीणों के साथ ठगी जारी है.

Gaurella Pendra Marwahi
तेंदूपत्ता संग्राहकों की नहीं हुईं मुश्किलें कम
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Published : May 24, 2023, 2:13 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही : मरवाही वन मंडल में इस बार 22000 मानक बोर का लक्ष्य निर्धारित कर वन विभाग और लघु वनोपज संघ गांवों से तेंदूपत्ता खरीदी की जा रही है. लेकिन लघु वनोपज संघ के प्रभारी और मुंशियों पर बरसों से चली आ रही ग्रामीणों के शोषण का आरोप लग रहा है. समिति ग्रामीणों से 5% सरा के नाम पर प्रत्येक 20 बंडल में एक बंडल अतिरिक्त वसूल रही है. इस तरह 22000 मानक बोरे मे ग्रामीणों से अवैध वसूली के नाम पर 1050 बोरे अतिरिक्त्त खरीदी से ज्यादा तैयार होंगे. जबकि अधिकारी अतिरिक्त सरा वसूली को गैरकानूनी बता रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अतिरिक्त खरीदी के ये बोरे किसके पास जाएंगे.

तेंदूपत्ता संग्रहण में सरा वसूली :पेंड्रा के गावों में तेंदूपत्ता फड़ में हो रही खरीदी में फड़ मुंशी तेंदूपत्ता संग्राहकों से 5 परसेंट सरा वसूल रहे हैं. मतलब 100 गड्डी में पांच गड्डी फड़ मुंशी को ज्यादा देना है. तेंदूपत्ता संग्राहक बताते हैं कि सुबह दिन निकलने से पहले वे जंगलों में तेंदूपत्ता संग्रहण करने चले जाते हैं. इस दौरान जंगल में जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना रहता है. कड़ी धूप में संग्रह करने के बाद इन पत्तों को घर लाया जाता है. जहां परिवार मिलकर 5050 पत्तों की गड्डी तैयार करता है. परेशानी से बचने के लिए ग्रामीण हर गड्ढी में 50 से 12 पत्ते अधिक रखते हैं. वही इतने के बाद भी ग्रामीणों को ठगने और लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं. 100 गड्डी लाने पर पांच गड्डी हर मुंशी की होती है. जिसकी इंट्री नहीं की जाती.

हर साल देना होता है सरा : ग्रामीणों के मुताबिक ''हर साल 5 गड्डी सरा के रूप में हर मुंशी को देना होता है. पिछले साल की तुलना में इस साल तेंदूपत्ता भी बमुश्किल ही मिल रहा है. क्योंकि इस बार मौसम काफी खराब था. बरसात पानी और ओले ने तेंदूपत्ता की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. जिससे पहले की तरह पत्ते नहीं मिल रहे हैं. तेंदूपत्ता नकदी फसल है. जिसकी खरीदी भी कुछ समय के लिए ही होती है. इसे खुले बाजार में और कोई नहीं लेता. इसलिए ग्रामीणों की मजबूरी है कि इसे इन्हीं समितियों के माध्यम से बेचना होगा. जिसका मुंशी नाजायज फायदा उठाते हैं और पांच गड्डी सरा वसूलते हैं.''

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क्या है जिम्मेदारों का कहना : वहीं मुंशियों की माने तो उन्हें सरा ग्रामीण स्वेच्छा से देते हैं. मामले में वन विभाग के एसडीओ और वन उपज के प्रभारी का कहना है कि ''मुंशियों को साफ निर्देशित किया गया है कि किसी भी रूप में सरा की वसूली ना हो. ऐसा पाए जाने पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी.''लेकिन अब तक जो सरा वसूल हुआ है उसका क्या हिसाब किताब है.और वह किस के खाते में जमा होगा उसका पैसा कौन लेगा.इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही : मरवाही वन मंडल में इस बार 22000 मानक बोर का लक्ष्य निर्धारित कर वन विभाग और लघु वनोपज संघ गांवों से तेंदूपत्ता खरीदी की जा रही है. लेकिन लघु वनोपज संघ के प्रभारी और मुंशियों पर बरसों से चली आ रही ग्रामीणों के शोषण का आरोप लग रहा है. समिति ग्रामीणों से 5% सरा के नाम पर प्रत्येक 20 बंडल में एक बंडल अतिरिक्त वसूल रही है. इस तरह 22000 मानक बोरे मे ग्रामीणों से अवैध वसूली के नाम पर 1050 बोरे अतिरिक्त्त खरीदी से ज्यादा तैयार होंगे. जबकि अधिकारी अतिरिक्त सरा वसूली को गैरकानूनी बता रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अतिरिक्त खरीदी के ये बोरे किसके पास जाएंगे.

तेंदूपत्ता संग्रहण में सरा वसूली :पेंड्रा के गावों में तेंदूपत्ता फड़ में हो रही खरीदी में फड़ मुंशी तेंदूपत्ता संग्राहकों से 5 परसेंट सरा वसूल रहे हैं. मतलब 100 गड्डी में पांच गड्डी फड़ मुंशी को ज्यादा देना है. तेंदूपत्ता संग्राहक बताते हैं कि सुबह दिन निकलने से पहले वे जंगलों में तेंदूपत्ता संग्रहण करने चले जाते हैं. इस दौरान जंगल में जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना रहता है. कड़ी धूप में संग्रह करने के बाद इन पत्तों को घर लाया जाता है. जहां परिवार मिलकर 5050 पत्तों की गड्डी तैयार करता है. परेशानी से बचने के लिए ग्रामीण हर गड्ढी में 50 से 12 पत्ते अधिक रखते हैं. वही इतने के बाद भी ग्रामीणों को ठगने और लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं. 100 गड्डी लाने पर पांच गड्डी हर मुंशी की होती है. जिसकी इंट्री नहीं की जाती.

हर साल देना होता है सरा : ग्रामीणों के मुताबिक ''हर साल 5 गड्डी सरा के रूप में हर मुंशी को देना होता है. पिछले साल की तुलना में इस साल तेंदूपत्ता भी बमुश्किल ही मिल रहा है. क्योंकि इस बार मौसम काफी खराब था. बरसात पानी और ओले ने तेंदूपत्ता की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. जिससे पहले की तरह पत्ते नहीं मिल रहे हैं. तेंदूपत्ता नकदी फसल है. जिसकी खरीदी भी कुछ समय के लिए ही होती है. इसे खुले बाजार में और कोई नहीं लेता. इसलिए ग्रामीणों की मजबूरी है कि इसे इन्हीं समितियों के माध्यम से बेचना होगा. जिसका मुंशी नाजायज फायदा उठाते हैं और पांच गड्डी सरा वसूलते हैं.''

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क्या है जिम्मेदारों का कहना : वहीं मुंशियों की माने तो उन्हें सरा ग्रामीण स्वेच्छा से देते हैं. मामले में वन विभाग के एसडीओ और वन उपज के प्रभारी का कहना है कि ''मुंशियों को साफ निर्देशित किया गया है कि किसी भी रूप में सरा की वसूली ना हो. ऐसा पाए जाने पर कड़ी कार्यवाई की जाएगी.''लेकिन अब तक जो सरा वसूल हुआ है उसका क्या हिसाब किताब है.और वह किस के खाते में जमा होगा उसका पैसा कौन लेगा.इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

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