बिलासपुर : निजीकरण के विरोध में डाक कर्मचारियों रक्षाबंधन के एक दिन पहले हड़ताल कर दी. जिसके कारण डाकघरों में जमा राखी के लिफाफे नहीं बट (Rakhi did not reach the brothers due to the strike in the post office) पाएं.बहनों के राखियों के मिलने के इंतजार में भाइयों की कलाई भी सुनी रह गई. इधर डाक विभाग इस मामले में सफाई दे रहा है कि राखी पर्व वाले दिन सभी राखी लिफाफे बांट दिए गए थे.
किसने की थी हड़ताल : अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ द्वारा रक्षाबंधन के ठीक 1 दिन पहले निजीकरण के विरोध में हड़ताल किया (Strike in post offices of Bilaspur) गया. इस एक दिवसीय हड़ताल में कर्मचारियों के शामिल होने से दिन भर डाकघर का काम प्रभावित रहा. इस हड़ताल की वजह से शहर के अन्य डाकघरों में राखी पोस्ट करने लोग पहुंचे. लेकिन हड़ताल होने की वजह से तकरीबन 10 हजार राखियां पोस्ट नहीं हो पाई और ना ही घरों तक पहुंची. भाई बहनों के साल भर के त्यौहार में हर कोई राखी पोस्ट करने की गुहार लगाता रहा, लेकिन हड़ताल होने की वजह से डाकघरों में राखी जमा नहीं हो पाई.लिहाजा हजारों भाईयों की कलाई सूनी रह (Thousands of rakhis did not reach Bilaspur) गई.
क्या है डाकघर की सफाई : इस मामले में बिलासपुर मुख्य डाकघर (Bilaspur Head Post Office) के अधीक्षक एचआर साहू ने कहा कि '' हड़ताल की वजह से राखी वाले लिफाफे नहीं बट पाए थे. लेकिन उसकी पूर्ति राखी पर्व के दिन कर दी गई. राखी पर्व में बिना छुट्टी लिए कर्मचारी प्राप्त लिफाफे को उनके सही पते पर पहुंचा दिया गया और सभी को राखी मिल गई.''
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लेकिन हकीकत कुछ और : भले ही डाक विभाग के अधिकारी इस मामले में सभी राखियों के लिफाफे पहुंचाने की बात कह रहे हैं. लेकिन जिले में लगभग 10,000 लिफाफे लोगों तक नहीं पहुंच पाए. इसके अलावा विभाग जिन लिफाफों को उनके सही एड्रेस पर पहुंचाने की बात कह रहे हैं, उनमें केवल कुछ नामचीन लोगों को ही विभाग यह सुविधा दे पाया, लेकिन आम लोगों तक राखियां पहुंच ही नहीं पाई.