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Railway New Technology:ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम से रुकेंगे रेल हादसे,जानिए कैसी होती है ये प्रणाली ? - ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम

भारत मेंं ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के लिए रेलवे बोर्ड कई उपाय अपना रहा है. इन उपायों में सबसे महत्वपूर्व और सुरक्षित सिस्टम है ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम, बोर्ड ट्रेनों की लगातार हो रही दुर्घटना को रोकने के लिए ऑटो सिग्नलिंग पर ज्यादा ध्यान दे रहा है. रेलवे ट्रेनों को कैंसिल करके ऑटो सिग्नलिंग के कार्य को अंजाम दे रहा है. क्या है ये ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम और कैसे काम करता है. ईटीवी भारत ने ये जानने की कोशिश की.

Rail accidents will stop with automatic block system
ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम से रुकेंगे रेल हादसे
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Published : Jun 16, 2023, 5:23 PM IST

Updated : Jun 17, 2023, 12:09 AM IST

ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम से रुकेंगे रेल हादसे

बिलासपुर : ट्रेनें सही समय पर चले और दुर्घटना ना हो इसके लिए अब रेलवे ने कमर कस ली है.इसके लिए रेलवे ऑटो सिग्नल पर फोकस कर रहा है.ताकि ट्रेनों के संचालन में कहीं किसी तरह की कोई परेशानी ना आए.ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम की मदद से एक ही ट्रैक पर चलने वाली कई गाड़ियों पर नजर रखी जा सकती है.ताकि कहीं कोई दुर्घटना ना हो.आने वाले दिनों में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और हादसों को रोकने में ऑटो सिग्नलिंग की बड़ी भूमिका होगी. रेल के अधिकारियों की माने तो दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के लगभग 300 किलोमीटर के एरिया को ऑटो सिग्नलिंग से जोड़ा जा चुका है.

क्या है ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन के मुताबिक '' ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम सिग्नल को ऑटो करता है. यानी ये सिस्टम ऐसे तैयार किया गया है कि, यह ट्रेनों के आने पर यदि ट्रैक खाली होगा तो उसे आगे जाने का ग्रीन लाइट का सिग्नल देगा.इसके बाद जैसे ही ट्रेन 120 मीटर से आगे बढ़ेगी सिग्नल रेड हो जाएगा.फिर दूसरे सिग्नल को संकेत भेजेगा. खंबो में लगे सिस्टम और पटरियों में लगे सेंसर दो ट्रेनों के बीच एक निश्चित दूरी बनाने का काम करेंगे.साथ ही साथ दोनों ट्रेनों को रेड,ग्रीन और यलो सिग्नल की मदद से कंट्रोल किया जाएगा."

एक ही ट्रैक पर दौड़ेंगी कई ट्रेनें : पहले इस सिस्टम के नहीं होने पर एक ट्रेन को एक ट्रैक पर चलाया जाता था, जैसे A स्टेशन निकली ट्रेन जब तक B स्टेशन तक नहीं पहुंच जाती थी. दूसरी ट्रेन को A स्टेशन से आगे बढ़ने का सिग्नल नहीं मिलता था. लेकिन अब ऑटो मैटिक ब्लॉक सिस्टम शुरू होने के बाद एक ही ट्रैक पर सुरक्षित रूप से कई ट्रेनों का परिचालन किया जा सकता है.इससे निश्चित दूरी पर ट्रेनें आसानी से चलेंगी.''

क्यों पड़ी सिस्टम की आवश्यकता : इंडियन रेलवे इस समय हादसों और ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या से जूझ रहा है. इसे लेकर रेलवे के सुरक्षा और पंक्चुएलिटी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कुछ दिन पहले दपुमरे के बिलासपुर रेल मंडल के सिंहपुर,पश्चिम रेलवे के ओडिशा के बालासोर में हुए हादसे और बिलासपुर सेक्शन में एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के आमने-सामने आने के वायरल वीडियो के बाद ये सिस्टम और भी महत्वपूर्ण हो गया है. ऐसे में इसे ठीक करने के लिए रेलवे का फोकस अब पूरी तरह ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम पर है. ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम के कारण एक ट्रैक में एक ही समय पर एक साथ एक से अधिक ट्रेनों का परिचालन हो रहा है.

इस सिस्टम का क्या है फायदा : ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगने से ट्रेनों को बेवजह कहीं भी खड़ा नहीं होना पड़ेगा, जैसे पहले किया जाता था. अभी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे रहेंगी. अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी और ट्रेन जहां रहेगी. वहीं रुक जाएंगी और उसे वहीं नियंत्रित किया जा सकेगा. ऑटो सिगनलिंग के तहत ट्रैक में लगे एक्सल अगले सिग्नल तक ट्रेनों की स्थिति डिलीवर करेगी. जिससे एक साथ एक समय और ट्रैक पर एक से अधिक ट्रेनें चल सकेंगी.

रेलवे ने शार्ट कट अपनाने वाले सिग्नल ऑपरेटर्स को लगाई लताड़
रेलवे ने सभी सिग्नल कक्ष को डबल लॉक करने का दिया आदेश
बिलासपुर रेल जोन की कई ट्रेनें हुई कैंसिल


किन स्टेशनों के बीच लगे ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के स्टेशन कलमना से दुर्ग 265 किमी, जयरामनगर-बिलासपुर-बिल्हा 32 किलोमीटर. और बिलासपुर-घुटकू के बीच 16 किलोमीटर सेक्शन में ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली शुरू किया जा चुका है. इस तरह करीब 3 सौ किमी से अधिक एरिया को रेलवे ने ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली से जोड़ लिया है. चांपा से गेवरारोड, जयरामनगर से अकलतरा और बिल्हा से निपनिया के बीच ऑटो सिग्नलिंग को विकसित करने की रेलवे की आगे की प्लानिंग है.

ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम से रुकेंगे रेल हादसे

बिलासपुर : ट्रेनें सही समय पर चले और दुर्घटना ना हो इसके लिए अब रेलवे ने कमर कस ली है.इसके लिए रेलवे ऑटो सिग्नल पर फोकस कर रहा है.ताकि ट्रेनों के संचालन में कहीं किसी तरह की कोई परेशानी ना आए.ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम की मदद से एक ही ट्रैक पर चलने वाली कई गाड़ियों पर नजर रखी जा सकती है.ताकि कहीं कोई दुर्घटना ना हो.आने वाले दिनों में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और हादसों को रोकने में ऑटो सिग्नलिंग की बड़ी भूमिका होगी. रेल के अधिकारियों की माने तो दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के लगभग 300 किलोमीटर के एरिया को ऑटो सिग्नलिंग से जोड़ा जा चुका है.

क्या है ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन के मुताबिक '' ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम सिग्नल को ऑटो करता है. यानी ये सिस्टम ऐसे तैयार किया गया है कि, यह ट्रेनों के आने पर यदि ट्रैक खाली होगा तो उसे आगे जाने का ग्रीन लाइट का सिग्नल देगा.इसके बाद जैसे ही ट्रेन 120 मीटर से आगे बढ़ेगी सिग्नल रेड हो जाएगा.फिर दूसरे सिग्नल को संकेत भेजेगा. खंबो में लगे सिस्टम और पटरियों में लगे सेंसर दो ट्रेनों के बीच एक निश्चित दूरी बनाने का काम करेंगे.साथ ही साथ दोनों ट्रेनों को रेड,ग्रीन और यलो सिग्नल की मदद से कंट्रोल किया जाएगा."

एक ही ट्रैक पर दौड़ेंगी कई ट्रेनें : पहले इस सिस्टम के नहीं होने पर एक ट्रेन को एक ट्रैक पर चलाया जाता था, जैसे A स्टेशन निकली ट्रेन जब तक B स्टेशन तक नहीं पहुंच जाती थी. दूसरी ट्रेन को A स्टेशन से आगे बढ़ने का सिग्नल नहीं मिलता था. लेकिन अब ऑटो मैटिक ब्लॉक सिस्टम शुरू होने के बाद एक ही ट्रैक पर सुरक्षित रूप से कई ट्रेनों का परिचालन किया जा सकता है.इससे निश्चित दूरी पर ट्रेनें आसानी से चलेंगी.''

क्यों पड़ी सिस्टम की आवश्यकता : इंडियन रेलवे इस समय हादसों और ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या से जूझ रहा है. इसे लेकर रेलवे के सुरक्षा और पंक्चुएलिटी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कुछ दिन पहले दपुमरे के बिलासपुर रेल मंडल के सिंहपुर,पश्चिम रेलवे के ओडिशा के बालासोर में हुए हादसे और बिलासपुर सेक्शन में एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के आमने-सामने आने के वायरल वीडियो के बाद ये सिस्टम और भी महत्वपूर्ण हो गया है. ऐसे में इसे ठीक करने के लिए रेलवे का फोकस अब पूरी तरह ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम पर है. ऑटो सिग्नलिंग सिस्टम के कारण एक ट्रैक में एक ही समय पर एक साथ एक से अधिक ट्रेनों का परिचालन हो रहा है.

इस सिस्टम का क्या है फायदा : ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगने से ट्रेनों को बेवजह कहीं भी खड़ा नहीं होना पड़ेगा, जैसे पहले किया जाता था. अभी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे रहेंगी. अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी और ट्रेन जहां रहेगी. वहीं रुक जाएंगी और उसे वहीं नियंत्रित किया जा सकेगा. ऑटो सिगनलिंग के तहत ट्रैक में लगे एक्सल अगले सिग्नल तक ट्रेनों की स्थिति डिलीवर करेगी. जिससे एक साथ एक समय और ट्रैक पर एक से अधिक ट्रेनें चल सकेंगी.

रेलवे ने शार्ट कट अपनाने वाले सिग्नल ऑपरेटर्स को लगाई लताड़
रेलवे ने सभी सिग्नल कक्ष को डबल लॉक करने का दिया आदेश
बिलासपुर रेल जोन की कई ट्रेनें हुई कैंसिल


किन स्टेशनों के बीच लगे ऑटोमैटिक ब्लॉक सिस्टम : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के स्टेशन कलमना से दुर्ग 265 किमी, जयरामनगर-बिलासपुर-बिल्हा 32 किलोमीटर. और बिलासपुर-घुटकू के बीच 16 किलोमीटर सेक्शन में ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली शुरू किया जा चुका है. इस तरह करीब 3 सौ किमी से अधिक एरिया को रेलवे ने ऑटो सिग्नलिंग प्रणाली से जोड़ लिया है. चांपा से गेवरारोड, जयरामनगर से अकलतरा और बिल्हा से निपनिया के बीच ऑटो सिग्नलिंग को विकसित करने की रेलवे की आगे की प्लानिंग है.

Last Updated : Jun 17, 2023, 12:09 AM IST
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