बिलासपुर : बिलासपुर रेल मंडल इन दिनों अपनी "कबाड़ से जुगाड़" के (Jugaad office in Bilaspur ) लिए काफी चर्चा में है. सालों से जर्जर ट्रेन के एसी और स्लीपर कोच को यहां ऑफिस की तरह बनाया गया है. अब इसमें ऑफिस का संचालन हो रहा है. मतलब रेल मंडल ने जर्जर कोच में नया ऑफिस बना लिया है. इससे भवन निर्माण पर खर्च होने वाले लाखों रुपयों की बचत हुई है. वहीं जर्जर हो चुके कोच की उपयोगिता भी बरकरार है.
थोड़ा सा बदलाव और तैयार हो गया जुगाड़ू ऑफिस
कोचिन के इंजीनियरों की टीम ने इस कोच को ऑफिस के लिए अंदर से तैयार किया है. इसकी स्लीपर सीट निकालकर ऑफिस बनाया गया है. इसमें टेबल, कुर्सी, अलमारी और फाइल रखने की व्यवस्था की गई है. इस ऑफिस में 6 लोगों के बैठने के लिए दो-दो कंपार्टमेंट का एक-एक रूम तैयार किया गया है. महिलाओं के आराम करने के लिए दो कंपार्टमेंट का एक रूम भी तैयार किया गया है. खास बात ये है कि इसे आज भी स्लीपर कोच की ही तरह बरकार रखा गया है. इसमें टॉयलेट, वॉश बेसिन, लाइट और पंखे कोच के ही लगे हुए हैं. यहां तक कि कोच की खिड़कियों को भी रहने दिया गया है. बिलासपुर के कोच एरिया में यह ऑफिस संचालित है.
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कोच के भीतर क्या क्या है पहले से
कंडम कोच के पुराने स्वरूप में ज्यादा छेड़छाड़ नहीं किया गया है. कोच में लाइट, पंखे के साथ-साथ दरवाजे के किनारे की वॉश बेसिन, टॉयलेट और दरवाजे तक पुराने कोच के ही लगे हैं. इसे थोड़ा-बहुत रिपेयर कर उपयोग के लायक बना लिया गया है.
पटरी पर चल रहा ऑफिस
रेलवे ने जिस कंडम कोच को ऑफिस के रूप में तैयार किया है, उसे यार्ड में पटरी पर रखा गया है. ट्रेन के सामान्य कोच जैसे पटरी पर खड़े रहते हैं, उसी तरह इस कोच ऑफिस को भी पटरी पर ही रखा गया है. यह बाहर से सामान्य बोगी की तरह ही लगता है. इसका रंग-रोगन भी उसी तरह रखा गया है, जैसे ट्रेन की बोगी होती है. ऑफिस के भीतर जाने के लिए सीढ़ियां भी लोहे की रखी गई हैं.
दूसरे मंडल में चल रही तलाश
दक्षिण-पूर्व-मध्य-रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि जोन के दूसरे मंडलों में भी पुराने कंडम कोच की तलाश की जा रही है. जो कोच उपयोग के लायक नहीं होगा, उनका भी इसी तरह उपयोग कर ऑफिस तैयार किये जाने की योजना है. इससे भारी-भरकम बजट से तैयार कराए जाने वाले ऑफिस भवन के खर्चे से बचा जा सकेगा.