गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: जल संसाधन विभाग मरवाही के संभागीय कार्यालय का स्थानांतरण मरवाही से बोधघाट किए जाने का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. मंगलवार को स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों के अलावा जेसीसीजे के कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया. इसके साथ ही कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा.
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में स्थानीय लोगों ने कार्यालय को मरवाही में ही रखे जाने की मांग की है. हालांकि कलेक्टर ने फिलहाल इस मामले में सरकार की ओर से अब तक किसी भी तरह का लिखित आदेश नहीं मिलने की बात कही है. मरवाही जल संसाधन विभाग के संभागीय कार्यालय का स्थानांतरण बस्तर के बोधघाट में किया जा रहा है. स्थानांतरण के फैसले को लेकर लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. इस फैसले के खिलाफ स्थानीय लोगों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर इसका विरोध किया और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा.
अजीत जोगी ने की थी कार्यालय की स्थापना
छत्तीसगढ़ बनने के पहले मरवाही का कुल सिंचित रकबा 7 प्रतिशत ही था. जिसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मरवाही में अलग से जल संसाधन विभाग के संभागीय कार्यालय की स्थापना की थी. इसके करीब 20 साल बाद मरवाही का कुल सिंचित रकबा 32 प्रतिशत हो गया. जिले में अभी कई परियोजनाएं लंबित पड़ी है. ऐसे में अभी भी इस क्षेत्र में जल संसाधन विभाग के और भी कार्यालय की जरूरत महसूस की जा रही है.
![Water Resources Department office](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7646122_img.jpg)
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फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग
बोधघाट परियोजना शुरू होने के साथ शासन ने इस कार्यालय को बोधघाट (बस्तर) स्थानांतरित करने का फैसला लिया है. जिसका JCCJ के कार्यकर्ता और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. ज्ञापन देने पहुंचे लोगों ने बताया कि स्थानांतरण को रुकवाने के लिए उन्होंने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है. उम्मीद है कि सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करते हुए इस कार्यालय को यही रखेगी. ताकि क्षेत्र में होने वाले विकास कार्य सुचारु रुप से हो सके.
![Water Resources Department office](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7646122_img-1.jpg)
आंदोलन की चेतावनी
कार्यालय का स्थानांतरण नहीं रोके जाने की सूरत में स्थानीय लोगों ने आंदोलन की बात कही है. मामले पर कलेक्टर का कहना है कि फिलहाल इस संबंध में शासन की ओर से कोई भी लिखित आदेश नहीं मिला है.