बिलासपुर: कुछ दिनों से बिलासपुर में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की मृत्यु होने पर, उनका अंतिम संस्कार लगातार लिंगीयाडीह के श्मशान घाट में किया जा रहा है. जिसका स्थानीय लोग जमकर विरोध कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने अंतिम संस्कार के लिए तीन संक्रमित शव लेकर पहुंचे कर्मचारियों और अधिकारियों का का रास्ता रोक दिया. लोगों ने उन्हें श्मशानघाट तक नहीं जाने दिया.
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स्थानीय लोगों का विरोध
मामले की जानकारी मिलते ही जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी मौके पर पहुंचे. उन्होंने पहले ग्रामीणों से और फिर शव लेकर पहुंचे प्रशासन के अधिकारियों से बात की. ग्रामीणों का कहना था कि एक के बाद एक लगातार उनके गांव के श्मशान घाट में कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इससे पूरा गांव संक्रमण की चपेट में आ सकता है. उनका कहना था कि प्रशासन ने एक तरह से लिंगियाडीह के श्मशान घाट को ही कोविड संक्रमित लाशों के दाह संस्कार का केंद्र बना दिया है. ऐसा करने से इस श्मशान घाट के आसपास झोपड़पट्टी में रहने वाले सैकड़ों गरीबों के बच्चे और उनका परिवार संक्रमित हो सकता है.
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धमतरी: कोरोना मृतकों के लिए अस्थाई मुक्तिधाम बनाने की उठी मांग
ग्रामीणों को दी गई समझाइश
माहौल तनावपूर्ण होता देख जिला कांग्रेस अध्यक्ष और वार्ड पार्षद विजय केशरवानी ने स्थानीय लोगों को किसी तरह समझाया. जिसके बाद उन्होंने वहां मौजूद एडिशनल एसपी उमेश कश्यप, डीएसपी निमिषा पांडेय, नायब तहसीलदार गृभेल सहित जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों चर्चा की. अधिकारियों से चर्चा करने के बाद केशरवानी ने कलेक्टर सारांश मित्तर से फोन पर बात की और कहा कि किसी एक ही स्मशान घाट में सारे संक्रमित शवों को जलाने से संक्रमण सहित कई तरह की परेशानियां वहां हो सकती हैं. इसलिए बिलासपुर में संक्रमित मृतक शहर के निगम क्षेत्र के जिस जोन का हो, उसी जोन के श्मशान घाट में उसके दाह संस्कार की व्यवस्था की जानी चाहिए. केशरवानी के मुताबिक कलेक्टर ने उनके सुझाव को गंभीरता से लिया और कहा कि उनके सुझाव पर प्रशासन विचार करेगा.