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Tree Cutting In Sanatorium : गौरेला के सेनेटोरियम परिसर में पेड़ की कटाई का विरोध, कटे हुए पेड़ को लोगों ने पहनाया कफन, जताया विरोध - पेड़ों को कफन ओढ़ाकर जताया अफसोस

Tree Cutting In Sanatorium Premises: गौरेला पेंड्रा मरवाही के सेनेटोरियम परिसर में पेड़ की कटाई का प्रकृति प्रेमियों ने विरोध जताया है. कटे हुए पेड़ों पर कफन पहनाकर सभी ने अफसोस जाहिर किया है. साथ ही अन्य पेड़ों की कटाई होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. लोगों ने रविवार को विरोध प्रदर्शन किया.

protest against tree cutting
पेड़ कटाई का विरोध
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Published : Jul 2, 2023, 9:39 PM IST

Updated : Jul 2, 2023, 11:20 PM IST

कटे हुए पेड़ को पहनाया कफन

गौरेला पेंड्रा मरवाही: गौरेला पेंड्रा मरवाही में कलेक्ट्रेट भवन और सरकारी इमारत बनाने के लिए पुराने पेड़ों की कटाई की जा रही है. जिला प्रशासन की ओर से गुरुकुल परिसर में कम्पोजिट बिल्डिंग और कलेक्ट्रेट भवन बनाने के लिए पेड़ों की कटाई का पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया है. प्रकृति प्रेमियों का ये विरोध अनोखा था.

इसलिए खास है ये परिसर: दरअसल, सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर से जुड़ी यादें हैं. यहां कविगुरु अपनी पत्नी के इलाज के लिए आए थे. इस दौरान कविगुरु ने यहां कुछ कविताएं भी लिखी है. जानकारों का कहना है कि यहां लंबे समय तक कविगुरु ठहरे थे.यहां सौ से डेढ़ सौ साल पुराने औषधीय वृक्ष हैं. इन्हीं वृक्षों को काटे जाने का सभी विरोध कर रहे हैं. इसी जगह पर कंपोजिट बिल्डिंग बनाया जाएगा.

पेड़ों को कफन ओढ़ाकर जताया अफसोस: पेड़ों की कटाई होने की जानकारी पाकर पर्यावरण प्रेमी मौके पर पहुंचे और कटे हुए पेड़ों पर कफन ओढ़ाकर अफसोस जताया. इसके साथ ही अन्य पेड़ों को काटने का विरोध किया. सभी ने आगे पेड़ों को बचाने के लिए हर तरह की लड़ाई लड़े जाने की बात कही है. इस दौरान प्रकृति प्रेमियों ने पेड़ को रक्षा सूत्र भी बांधा.

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पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश: यहां सालों पुराने साल के वृक्ष है. इसके अलावा अन्य औषधिय वृक्ष भी यहां है. इन पेड़ों के कटने से पर्यावरण के नुकसान के साथ ही कविगुरु से जुड़ी यादें भी खत्म हो जाएगी. इसी साल सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव की मूर्ति की भी स्थापना हुई है. ऐसे में अगर पेड़ों की कटाई हुई तो गुरुदेव की आत्मा पर क्या गुजरेगी?

"ये जगह हमारी धरोहर है. हम प्रकृति के पुजारी हैं. अगर सरकारी भवन बनाया जा रहा है तो हमें इससे आपत्ति नहीं है. लेकिन पेड़ों को नुकसान पहुंचाकर भवन न बनाया जाए. अगर ऐसा होगा तो हम उग्र विरोध प्रदर्शन करेंगे." - प्रकृति प्रेमी

जानिए क्या है सेनेटोरियम परिसर: गौरेला से पेंड्रा जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित विश्व प्रसिद्ध सेनेटोरियम अपने प्राकृतिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. यहां की औषधीय युक्त हवाओं और वातावरण को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश शासन में एशिया का प्रसिद्ध टीबी हॉस्पिटल बनाया गया था. साल सरई के वृक्षों के बीच यह इलाका उत्तम जलवायु के लिए ऑक्सीजोन कहलाता है. यह वही इलाका है, जहां राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर अपनी पत्नी का इलाज कराने सेनेटोरियम आए थे. मुख्य मार्ग पर दोनों ओर साल सरई के घने जंगल किसी का भी मन मोह ले.

कटे हुए पेड़ को पहनाया कफन

गौरेला पेंड्रा मरवाही: गौरेला पेंड्रा मरवाही में कलेक्ट्रेट भवन और सरकारी इमारत बनाने के लिए पुराने पेड़ों की कटाई की जा रही है. जिला प्रशासन की ओर से गुरुकुल परिसर में कम्पोजिट बिल्डिंग और कलेक्ट्रेट भवन बनाने के लिए पेड़ों की कटाई का पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया है. प्रकृति प्रेमियों का ये विरोध अनोखा था.

इसलिए खास है ये परिसर: दरअसल, सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर से जुड़ी यादें हैं. यहां कविगुरु अपनी पत्नी के इलाज के लिए आए थे. इस दौरान कविगुरु ने यहां कुछ कविताएं भी लिखी है. जानकारों का कहना है कि यहां लंबे समय तक कविगुरु ठहरे थे.यहां सौ से डेढ़ सौ साल पुराने औषधीय वृक्ष हैं. इन्हीं वृक्षों को काटे जाने का सभी विरोध कर रहे हैं. इसी जगह पर कंपोजिट बिल्डिंग बनाया जाएगा.

पेड़ों को कफन ओढ़ाकर जताया अफसोस: पेड़ों की कटाई होने की जानकारी पाकर पर्यावरण प्रेमी मौके पर पहुंचे और कटे हुए पेड़ों पर कफन ओढ़ाकर अफसोस जताया. इसके साथ ही अन्य पेड़ों को काटने का विरोध किया. सभी ने आगे पेड़ों को बचाने के लिए हर तरह की लड़ाई लड़े जाने की बात कही है. इस दौरान प्रकृति प्रेमियों ने पेड़ को रक्षा सूत्र भी बांधा.

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पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश: यहां सालों पुराने साल के वृक्ष है. इसके अलावा अन्य औषधिय वृक्ष भी यहां है. इन पेड़ों के कटने से पर्यावरण के नुकसान के साथ ही कविगुरु से जुड़ी यादें भी खत्म हो जाएगी. इसी साल सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव की मूर्ति की भी स्थापना हुई है. ऐसे में अगर पेड़ों की कटाई हुई तो गुरुदेव की आत्मा पर क्या गुजरेगी?

"ये जगह हमारी धरोहर है. हम प्रकृति के पुजारी हैं. अगर सरकारी भवन बनाया जा रहा है तो हमें इससे आपत्ति नहीं है. लेकिन पेड़ों को नुकसान पहुंचाकर भवन न बनाया जाए. अगर ऐसा होगा तो हम उग्र विरोध प्रदर्शन करेंगे." - प्रकृति प्रेमी

जानिए क्या है सेनेटोरियम परिसर: गौरेला से पेंड्रा जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित विश्व प्रसिद्ध सेनेटोरियम अपने प्राकृतिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. यहां की औषधीय युक्त हवाओं और वातावरण को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश शासन में एशिया का प्रसिद्ध टीबी हॉस्पिटल बनाया गया था. साल सरई के वृक्षों के बीच यह इलाका उत्तम जलवायु के लिए ऑक्सीजोन कहलाता है. यह वही इलाका है, जहां राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर अपनी पत्नी का इलाज कराने सेनेटोरियम आए थे. मुख्य मार्ग पर दोनों ओर साल सरई के घने जंगल किसी का भी मन मोह ले.

Last Updated : Jul 2, 2023, 11:20 PM IST
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