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बिलासपुर सीटः कास्ट फैक्टर है अहम, पढ़ें- बिलासपुर सीट का जातिगत समीकरण

प्रदेश में इस बार आम चुनाव में जातिगत मुद्दे हावी हैं. बात अगर हाइप्रोफाइल सीट बिलासपुर की करें तो बिलासपुर में जातिगत मुद्दों का कुछ ज्यादा ही जोर है.

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Published : Apr 16, 2019, 9:10 AM IST

Updated : Apr 16, 2019, 9:49 AM IST

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बिलासपुर: 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियां जातिगत मुद्दों के आधार पर वोटरों को साधने में लगी हैं. वैसे तो पूरे प्रदेश में इस बार आम चुनाव में जातिगत मुद्दे हावी हैं लेकिन बात हाइप्रोफाइल सीट बिलासपुर की करें तो बिलासपुर में जातिगत मुद्दों का कुछ ज्यादा ही जोर है.

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बिलासपुर लोकसभा में राजनीतिक दल लगातार जातिगत समीकरण के जरिए वोट साधने की कोशिश में लगे हैं. तो आइए जानते हैं बिलासपुर जिले के अलग-अलग 6 विधानसभा क्षेत्रों में क्या-क्या है जातिगत समीकरण.


मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र
मस्तूरी विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट पर बसपा, भाजपा और कांग्रेस का बराबर का जोर है. यहां बसपा के बेहतर प्रदर्शन के कारण बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा और जीत मिली थी. इससे पहले 2013 में यह सीट कांग्रेस के हाथ में आयी था. मतलब दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों के लिए मस्तूरी एक परंपरागत सीट के रूप में नहीं है. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल की कोशिश रहेगी कि इस बार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा के इस सीट पर अधिक से अधिक जातिगत वोट को अपने कब्जे में ले.


कोटा विधानसभा क्षेत्र
कोटा विधानसभा की बात करें तो कोटा विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से पहली बार बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है और यहां फिलहाल जेसीसीजे की रेणु जोगी विधायक हैं. यहां अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या अत्यधिक है साथ ही ओबीसी वोटर भी अच्छे खासे हैं. इस सीट पर भाजपा का परफॉर्मेंस लगातार खराब रहा है लिहाजा भाजपा ने इस सीट पर खास वर्ग के वोटरों को रिझाने के लिए उसी वर्ग के स्थानीय नेताओं को मैदान में उतरा है. वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि वो अपनी परंपरागत कोटा विधानसभा को अपने पक्ष में कर लें.

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र
बिलासपुर विधानसभा एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां जातिगत समीकरण खास मायने नहीं रखता. यहां स्थानीय मुद्दों के बेस पर दोनों बड़ी पार्टियां वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी. बिलासपुर विधानसभा सीट पर बीते दो दशक बाद कांग्रेस का कब्जा हुआ है. कांग्रेसियों की कोशिश रहेगी कि वो विधानसभा में उठाये स्थानीय मुद्दों के आधार पर ही वोटरों को अपने पक्ष में करें. वहीं भाजपा विधानसभा में खोए जनाधार को अपने हक में लाने की कोशिश करेगी.

बेलतरा विधानसभा क्षेत्र
सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित बेलतरा सीट पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा बना हुआ हैं. यह सीट ब्राह्मण के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग की बहुलता वाली सीट है. जहां भाजपा का अच्छा प्रभाव माना जाता है.


तखतपुर विधानसभा क्षेत्र
तखतपुर ओबीसी प्रभाववाला सीट माना जाता है. तखतपुर का कुछ हिस्सा बिलासपुर शहर से लगा हुआ है. यहां ओबीसी बहुलता के साथ-साथ अपर कास्ट का प्रभाव भी ठीक-ठाक है. तखतपुर को लंबे समय के बाद कांग्रेस ने अपने अधिकार में लिया है इसलिए बीजेपी की चाहत होगी कि इस बार वो विधानसभा में अपने खोए जनाधार को वापस अपनी ओर खींच ले तो वहीं कांग्रेस की रणनीति होगी कि वो विधानसभा में मिले निर्णायक जनाधार को लोकसभा में भी बरकरार रखे.


बिल्हा विधानसभा क्षेत्र
बिल्हा विधानसभा क्षेत्र प्रमुख रूप से ओबीसी की बहुलतावाली सीट है. यहां जातिगत समीकरण अत्यधिक हावी है. इस सीट पर फिलहाल भाजपा ने कब्जा जमाया हुआ है. लेकिन यह सीट कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की सीट के रूप में जानी जाती है. बिल्हा के मतदाता किसी एक दल विशेष के परंपरागत वोटर नहीं हैं. इसलिए दोनों ही प्रमुख दल की इस बार चाहत होगी कि वो अधिकाधिक ओबीसी वोटर को अपनी ओर खींचे ताकि लोकसभा को साधने में बिल्हा एक बेहतरीन रोल अदा करें.

बिलासपुर: 23 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियां जातिगत मुद्दों के आधार पर वोटरों को साधने में लगी हैं. वैसे तो पूरे प्रदेश में इस बार आम चुनाव में जातिगत मुद्दे हावी हैं लेकिन बात हाइप्रोफाइल सीट बिलासपुर की करें तो बिलासपुर में जातिगत मुद्दों का कुछ ज्यादा ही जोर है.

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बिलासपुर लोकसभा में राजनीतिक दल लगातार जातिगत समीकरण के जरिए वोट साधने की कोशिश में लगे हैं. तो आइए जानते हैं बिलासपुर जिले के अलग-अलग 6 विधानसभा क्षेत्रों में क्या-क्या है जातिगत समीकरण.


मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र
मस्तूरी विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट पर बसपा, भाजपा और कांग्रेस का बराबर का जोर है. यहां बसपा के बेहतर प्रदर्शन के कारण बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा और जीत मिली थी. इससे पहले 2013 में यह सीट कांग्रेस के हाथ में आयी था. मतलब दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों के लिए मस्तूरी एक परंपरागत सीट के रूप में नहीं है. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल की कोशिश रहेगी कि इस बार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा के इस सीट पर अधिक से अधिक जातिगत वोट को अपने कब्जे में ले.


कोटा विधानसभा क्षेत्र
कोटा विधानसभा की बात करें तो कोटा विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से पहली बार बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है और यहां फिलहाल जेसीसीजे की रेणु जोगी विधायक हैं. यहां अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या अत्यधिक है साथ ही ओबीसी वोटर भी अच्छे खासे हैं. इस सीट पर भाजपा का परफॉर्मेंस लगातार खराब रहा है लिहाजा भाजपा ने इस सीट पर खास वर्ग के वोटरों को रिझाने के लिए उसी वर्ग के स्थानीय नेताओं को मैदान में उतरा है. वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि वो अपनी परंपरागत कोटा विधानसभा को अपने पक्ष में कर लें.

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र
बिलासपुर विधानसभा एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां जातिगत समीकरण खास मायने नहीं रखता. यहां स्थानीय मुद्दों के बेस पर दोनों बड़ी पार्टियां वोटरों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी. बिलासपुर विधानसभा सीट पर बीते दो दशक बाद कांग्रेस का कब्जा हुआ है. कांग्रेसियों की कोशिश रहेगी कि वो विधानसभा में उठाये स्थानीय मुद्दों के आधार पर ही वोटरों को अपने पक्ष में करें. वहीं भाजपा विधानसभा में खोए जनाधार को अपने हक में लाने की कोशिश करेगी.

बेलतरा विधानसभा क्षेत्र
सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित बेलतरा सीट पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा बना हुआ हैं. यह सीट ब्राह्मण के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग की बहुलता वाली सीट है. जहां भाजपा का अच्छा प्रभाव माना जाता है.


तखतपुर विधानसभा क्षेत्र
तखतपुर ओबीसी प्रभाववाला सीट माना जाता है. तखतपुर का कुछ हिस्सा बिलासपुर शहर से लगा हुआ है. यहां ओबीसी बहुलता के साथ-साथ अपर कास्ट का प्रभाव भी ठीक-ठाक है. तखतपुर को लंबे समय के बाद कांग्रेस ने अपने अधिकार में लिया है इसलिए बीजेपी की चाहत होगी कि इस बार वो विधानसभा में अपने खोए जनाधार को वापस अपनी ओर खींच ले तो वहीं कांग्रेस की रणनीति होगी कि वो विधानसभा में मिले निर्णायक जनाधार को लोकसभा में भी बरकरार रखे.


बिल्हा विधानसभा क्षेत्र
बिल्हा विधानसभा क्षेत्र प्रमुख रूप से ओबीसी की बहुलतावाली सीट है. यहां जातिगत समीकरण अत्यधिक हावी है. इस सीट पर फिलहाल भाजपा ने कब्जा जमाया हुआ है. लेकिन यह सीट कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की सीट के रूप में जानी जाती है. बिल्हा के मतदाता किसी एक दल विशेष के परंपरागत वोटर नहीं हैं. इसलिए दोनों ही प्रमुख दल की इस बार चाहत होगी कि वो अधिकाधिक ओबीसी वोटर को अपनी ओर खींचे ताकि लोकसभा को साधने में बिल्हा एक बेहतरीन रोल अदा करें.

Intro:वैसे तो पूरे प्रदेश में इसबार आम चुनाव में जातिगत मुद्दे हावी हैं लेकिन बात हाइप्रोफाइल सीट बिलासपुर की करें तो बिलासपुर में कुछ ज्यादा ही जातिगत मुद्दों का जोर है । बिलासपुर लोस क्षेत्र के आठों विधानसभा में इन दिनों तमाम राजनीतिक दल जातिगत वोट को साधने की कोशिश में लगे हैं । तो आइए हम जानते हैं बिलासपुर जिले के अलग-अलग 6 विधानसभा क्षेत्रों में क्या-क्या है जातिगत समीकरण ।


Body:मस्तूरी....
मस्तूरी विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है । इस सीट पर बसपा और भजपा और कांग्रेस का बराबर का जोर है । यहां बसपा के बेहतर प्रदर्शन के कारण बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा मिला और बीजेपी को जीत मिली थी । इससे पहले 2013 में यह सीट कांग्रेस के हाथ में आया था । मतलब दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों के लिए मस्तूरी एक परंपरागत सीट के रूप में नहीं है । लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल की कोशिश रहेगी कि इस बार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा के इस सीट पर अधिक से अधिक जातिगत वोट को अपने कब्जे में ले ।

कोटा विधानसभा...

कोटा विधानसभा की बात करें तो कोटा विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से पहली बार बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है और यहां फिलहाल जेसीसीजे की रेणु जोगी विधायक हैं। यहां अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या अत्यधिक है साथ ही ओबीसी वोटर भी अच्छी खासी है । इस सीट विशेष पर भाजपा का परफॉर्मेंस लगातार खराब है लिहाजा भाजपा इस सीट पर खास वर्ग के वोटरों को रिझाने के लिए उसी वर्ग के स्थानीय नेताओं को मैदान में उतरी है । तो वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि वो अपनी परंपरागत कोटा विधानसभा को अपने पक्ष में कर ले ।

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र....

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र वो एकमात्र क्षेत्र है जहाँ जातिगत समीकरण खास मायने नहीं रखता और स्थानीय मुद्दों के बेस पर दोनों बड़ी पार्टियां वोटरों को अपने पक्ष में करना चाहेगी । बिलासपुर विधानसभा सीट पर बीते दो दशक बाद कांग्रेस का कब्जा हुआ है । कांग्रेसियों की कोशिश रहेगी कि वो विधानसभा में उठाये स्थानीय मुद्दों के आधार पर ही वोटरों को अपने पक्ष में करे । वहीं भाजपा विधानसभा में खोए जनाधार को अपने हक़ में लाने की कोशिश करेगी ।

बेलतरा विधानसभा क्षेत्र....

सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित बेलतरा सीट पर भाजपा का लम्बे समय से कब्जा बना हुआ है । यह सीट ब्राह्मण के साथ साथ अनुसूचित जाति वर्ग की बहुलता वाली सीट है । यह बिलासपुर शहर से लगा हुआ विधानसभा है जहाँ भाजपा का अच्छा प्रभाव माना जाता है । इस सीट के पर कांग्रेस के लिए सामान्य व अनुसूचित जाति के वोट को अपने पक्ष में करना है ।

तखतपुर विधानसभा क्षेत्र...

तखतपुर ओबीसी प्रभाववाला सीट माना जाता है । तखतपुर का कुछ हिस्सा बिलासपुर शहर से लगा हुआ भी है । यहां ओबीसी बहुलता के साथ साथ अपर कास्ट का प्रभाव भी ठीक ठाक है । तखतपुर को लंबे समय के बाद कांग्रेस ने अपने अधिकार में ले लिया । इसलिए बीजेपी की चाहत होगी कि इसबार वो विधानसभा में अपने खोए जनाधार को वापस अपनी ओर खींच ले तो वहीं कांग्रेस की रणनीति होगी कि वो विधानसभा में मिले निर्णायक जनाधार को लोकसभा में भी बरकरार रखे ।

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र...

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र प्रमुख रूप से ओबीसी की बहुलतावाली सीट है । यहां जातिगत समीकरण अत्यधिक हावी है । इस सीट पर फिलहाल भाजपा ने कब्जा जमाया है । लेकिन यह सीट कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की सीट के रूप में जानी जाती है । मतलब बिल्हा के मतदाता किसी एक दल विशेष के परंपरागत वोटर नहीं हैं । इसलिए दोनों ही प्रमुख दल की इस बार चाहत होगी कि वो अधिकाधिक ओबीसी वोटर को अपनी ओर खींचे ताकि लोकसभा को साधने में बिल्हा एक बेहतरीन रोल अदा करे ।
विशाल झा.......बिलासपुर

















Conclusion:
Last Updated : Apr 16, 2019, 9:49 AM IST
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