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बिलासपुर: घर नहीं 'खंडहर' में रहने को मजबूर हैं शहर के रखवाले

कई बार बिना छुट्टी 24 घंटे काम करने वाले पुलिस के जवान किन परिस्थितियों में सुरक्षा में तैनात रहते हैं, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. अगर आपके दिमाग में भी यही तस्वीर है, तो चलिए बिलासपुर और देखिए ये रिपोर्ट...।

Policeman are living in shabby houses
'खंडहर' में रहने को मजबूर शहर के रखवाले
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Published : Feb 2, 2021, 11:28 PM IST

Updated : Feb 3, 2021, 9:27 AM IST

बिलासपुर: पुलिस, जिनके दो चेहरे हमारे सामने आते रहते हैं. कभी सख्त तो कभी ईमानदारी और कर्तव्य के लिए जान देने वाले. कई बार बिना छुट्टी 24 घंटे काम करने वाले पुलिस के जवान किन परिस्थितियों में सुरक्षा में तैनात रहते हैं, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. अगर आपके दिमाग में भी यही तस्वीर है, तो चलिए बिलासपुर. यहां पुलिस के जवानों का ठिकाना देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. आपके मन में भी सवाल आएगा कि जिसके भरोसे पूरा शहर है, उसे एक सुरक्षित घर भी नसीब नहीं.

'खंडहर' में रहने को मजबूर शहर के रखवाले

कोतवाली थाना परिसर में टूटे-फूटे और खंडहर के जैसे मकान पुलिसकर्मियों का ठिकाना हैं. वर्षों पुराने बने मकानों में रहने के लिए पुलिसकर्मी मजबूर हैं. सीमित आमदनी में परिवार चलाने वाले पुलिसकर्मी किराये के मकान में भी नहीं रह सकते हैं. मजबूरन इन्हें ऐसे मकानों में रहना पड़ रहा है. हालत ऐसी है कि दीवार या छत गिरने का डर बना रहता है. ETV भारत की टीम जब पुलिसकर्मियों के घर पहुंची, तो उनका दर्द छलक पड़ा.

पढ़ें-कोरोना से जंग में कर्मवीर बन पुलिसकर्मियों ने निभाया अपना फर्ज

पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों का कहना है कि वे सालों से खंडहरनुमा घर में रहने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. मुख्य सड़क से बहुत नीचे होने के कारण यहां के लोगों को बरसात के दिनों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. घरों में पानी भर जाता है. पुलिसकर्मियों की मानें तो वो कई बार उच्चाधिकारियों के पास अपनी मांग को रख चुके हैं, लेकिन बदले में उनके हाथ खाली ही रहे हैं.

Policeman are living in shabby houses
जर्जर मकान

'ये जगह मच्छरों का हेडक्वार्टर'

पुलिसकर्मियों ने बताया कि कई बार उनसे यह भी कह दिया जाता है कि नहीं रहना है तो क्वॉटर छोड़कर चले जाओ. जिम्मेदारों से मिले ऐसे जवाब के बाद वे दुबारा फिर किसी से गुहार नहीं लगाते. परिसर में कुछ क्वार्टर ऐसे दिखे जहां ढंग का गेट तक नहीं है. बरसात में छत से पानी टपकता है, इसलिए ऊपर प्लास्टिक का जुगाड़ सिस्टम बना हुआ है. पुलिसकर्मी दिन में भी मच्छरदानी लगाकर आराम करते हैं.

पढे़ं-'मुख्य सचिव जी थोड़ा गृह विभाग के लिए बजट बढ़ाइए'

समय बीता और बात खत्म

ईटीवी भारत की टीम उस मेस के पास पहुंची जहां पुलिसकर्मियों का सामूहिक भोजन बनता है. जर्जर किचन और चारों ओर गंदगी का अंबार, वहां एक पल भी रुकना मुमकिन न था. पीने के पानी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है. अच्छी बात यह है कि शहर के जनप्रतिनिधि इस समस्या को स्वीकारते नजर आए. चंद महीने पहले ही पुलिस के ठिकानों पर स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय ने दौरा भी किया था. सबकुछ ठीक करने के वादे भी किए गए, लेकिन समय बीता और बात खत्म.

Policeman are living in shabby houses
मजबूरी की तस्वीर

पुलिसकर्मियों की परेशानी नहीं हुई कम

पुलिसकर्मियों का दर्द न कम हुआ और न होता दिख रहा है. ETV भारत की टीम ने पुलिस आलाधिकारियों से संपर्क साधने की भी कोशिश की, लेकिन उनसे हमारा संपर्क नहीं हो पाया. अब देखना होगा कि मजबूरी और बदहाली की यह तस्वीरें जिम्मेदारों को उनकी जिम्मेदारी का आभास दिला पाती है या नहीं. रखवालों को सिर पर सुरक्षित छत नसीब होती है या नहीं.

बिलासपुर: पुलिस, जिनके दो चेहरे हमारे सामने आते रहते हैं. कभी सख्त तो कभी ईमानदारी और कर्तव्य के लिए जान देने वाले. कई बार बिना छुट्टी 24 घंटे काम करने वाले पुलिस के जवान किन परिस्थितियों में सुरक्षा में तैनात रहते हैं, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. अगर आपके दिमाग में भी यही तस्वीर है, तो चलिए बिलासपुर. यहां पुलिस के जवानों का ठिकाना देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. आपके मन में भी सवाल आएगा कि जिसके भरोसे पूरा शहर है, उसे एक सुरक्षित घर भी नसीब नहीं.

'खंडहर' में रहने को मजबूर शहर के रखवाले

कोतवाली थाना परिसर में टूटे-फूटे और खंडहर के जैसे मकान पुलिसकर्मियों का ठिकाना हैं. वर्षों पुराने बने मकानों में रहने के लिए पुलिसकर्मी मजबूर हैं. सीमित आमदनी में परिवार चलाने वाले पुलिसकर्मी किराये के मकान में भी नहीं रह सकते हैं. मजबूरन इन्हें ऐसे मकानों में रहना पड़ रहा है. हालत ऐसी है कि दीवार या छत गिरने का डर बना रहता है. ETV भारत की टीम जब पुलिसकर्मियों के घर पहुंची, तो उनका दर्द छलक पड़ा.

पढ़ें-कोरोना से जंग में कर्मवीर बन पुलिसकर्मियों ने निभाया अपना फर्ज

पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों का कहना है कि वे सालों से खंडहरनुमा घर में रहने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. मुख्य सड़क से बहुत नीचे होने के कारण यहां के लोगों को बरसात के दिनों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. घरों में पानी भर जाता है. पुलिसकर्मियों की मानें तो वो कई बार उच्चाधिकारियों के पास अपनी मांग को रख चुके हैं, लेकिन बदले में उनके हाथ खाली ही रहे हैं.

Policeman are living in shabby houses
जर्जर मकान

'ये जगह मच्छरों का हेडक्वार्टर'

पुलिसकर्मियों ने बताया कि कई बार उनसे यह भी कह दिया जाता है कि नहीं रहना है तो क्वॉटर छोड़कर चले जाओ. जिम्मेदारों से मिले ऐसे जवाब के बाद वे दुबारा फिर किसी से गुहार नहीं लगाते. परिसर में कुछ क्वार्टर ऐसे दिखे जहां ढंग का गेट तक नहीं है. बरसात में छत से पानी टपकता है, इसलिए ऊपर प्लास्टिक का जुगाड़ सिस्टम बना हुआ है. पुलिसकर्मी दिन में भी मच्छरदानी लगाकर आराम करते हैं.

पढे़ं-'मुख्य सचिव जी थोड़ा गृह विभाग के लिए बजट बढ़ाइए'

समय बीता और बात खत्म

ईटीवी भारत की टीम उस मेस के पास पहुंची जहां पुलिसकर्मियों का सामूहिक भोजन बनता है. जर्जर किचन और चारों ओर गंदगी का अंबार, वहां एक पल भी रुकना मुमकिन न था. पीने के पानी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है. अच्छी बात यह है कि शहर के जनप्रतिनिधि इस समस्या को स्वीकारते नजर आए. चंद महीने पहले ही पुलिस के ठिकानों पर स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय ने दौरा भी किया था. सबकुछ ठीक करने के वादे भी किए गए, लेकिन समय बीता और बात खत्म.

Policeman are living in shabby houses
मजबूरी की तस्वीर

पुलिसकर्मियों की परेशानी नहीं हुई कम

पुलिसकर्मियों का दर्द न कम हुआ और न होता दिख रहा है. ETV भारत की टीम ने पुलिस आलाधिकारियों से संपर्क साधने की भी कोशिश की, लेकिन उनसे हमारा संपर्क नहीं हो पाया. अब देखना होगा कि मजबूरी और बदहाली की यह तस्वीरें जिम्मेदारों को उनकी जिम्मेदारी का आभास दिला पाती है या नहीं. रखवालों को सिर पर सुरक्षित छत नसीब होती है या नहीं.

Last Updated : Feb 3, 2021, 9:27 AM IST
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