गौरेला पेंड्रा मरवाही : जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों 10वीं और 12वीं पास कथित हकीमों की बाढ़ आ गई है.जिन्हें पेशेंट केयर असिस्टेंट का नाम दिया गया है. बिलासपुर की एक संस्था ने नवयुवक और युवतियों को डॉक्टर बनाने का सपना दिखाकर सभी से मोटी फीस वसूली और बदले में दवाईयों का झोला और एप्रन पहनाकर ग्रामीण इलाकों में भेज दिया. जहां ये सभी युवक युवतियां भोले-भाले ग्रामीणों पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं.
कहां से आए पेशेंट केयर असिस्टेंट : गांवों में ई-क्लिनिक खोलकर युवक युवतियां न सिर्फ एमबीबीएस और बीएएमएस डॉक्टरों जैसे ही दवाईयां देकर इलाज कर रहे हैं.बल्कि मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रेफर भी कर रहे हैं.हैरानी की बात ये है कि प्रशासनिक अफसरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को इनके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. बिलासपुर की नरेश हेल्थ केयर नाम की संस्था ने ट्रेनिंग देकर ग्रामीण क्षेत्र के युवक युवतियों को पेशेंट केयर असिस्टेंट बनाया है. जो ग्रामीण इलाकों में मलेरिया, टाइफाइड, सिर दर्द, बदन दर्द, बुखार, स्त्री रोग जैसी कई बीमारियों का परीक्षण के साथ मरीजों का प्राथमिक उपचार भी कर रहे हैं.
झोले में दवाईयों की पोटली : इन कथित पेशेंट केयर असिस्टेंट के पास एक झोला है. जिसमें 50 से अधिक किस्म की दवाईयां हैं. इनमें से कुछ दवाईयां ऐसी हैं जिन्हें बिना डॉक्टर के नहीं दिया जा सकता है.बावजूद इसके बड़ी ही आसानी से बिना डिग्री धारी ये पेशेंट केयर असिस्टेंट मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
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सीएमएचओ को नहीं है जानकारी : ईटीवी भारत ने जब इस बारे में प्रशासनिक अफसरों से बात की तो सभी हैरान रह गए. क्योंकि किसी को भी इस तरह की मेडिकल प्रैक्टिस की जानकारी नहीं थी.वहीं सीएमएचओ जिले से बाहर होने की वजह से सामने तो नहीं आ सके.लेकिन फोन पर उन्होंने जानकारी दी कि यदि ऐसा हो रहा है तो ये गैराकानूनी है. आदिवासी इलाके के ग्रामीणों के भोलेपन और अज्ञानता का फायदा उठाकर नरेश हेल्थ केयर कंपनी ने मोटी रकम लेकर इन्हें नौकरी देने के नाम पर जिस तरह की ट्रेनिंग दी है.उसे देखकर ऐसा लग रहा मानो झोलाछाप डॉक्टर्स की बड़ी फौज तैयार हो चुकी है.जो ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर कई जिंदगियों से खिलवाड़ कर रही है.