बिलासपुर: कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया है, जिसके बाद सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है. वहीं निजी स्कूलों ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराई है, लेकिन निजी स्कूलों की ओर से छात्रों के परिजनों से ट्यूशन फीस लिया जा रहा है. जिसपर रायपुर की पूर्व बैंकर प्रीति उपाध्याय ने निजी स्कूलों की ओर से ट्यूशन फीस के नाम पर की जा रही वसूली के खिलाफ बिलासपुर उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है.
बता दें, हालही में बिलासपुर उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को राहत देते हुए फैसला दिया था कि निजी स्कूल ट्यूशन फीस ले सकते हैं. इसी आदेश की आड़ में निजी स्कूलों ने उच्च न्यायालय के आदेश पर अभिभावकों से फीस लेना शुरू कर दिया है. निजी स्कूलों की फीस को परिभाषित करने के लिए ही यह याचिका लगाई गई है. दो बच्चों के आभिभावक प्रीति उपाध्याय का कहना है कि, 8 घंटे के स्कूल समय को मोबाइल पर डेढ़ घंठे में निपटाया जा रहा है. असेंबली, कम्प्यूटर क्लास, लेबोरेट्री, स्पोर्ट्स जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं का लाभ जब छात्र स्कूलों से नहीं ले पा रहे हैं, तो किस बुनियाद पर स्कूल प्रबंधन 100 प्रतिशत फीस वसूल सकता है ?
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'न्याय अभिभावकों के पक्ष में ही आएगा'
याचिकाकर्ता प्रीति का कहना है कि, कोरोना काल में सिर्फ स्कूल ही संकट में नहीं है, सभी पालक भी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, लेकिन स्कूल जो कि, नो प्रॉफिट नो लॉस के संस्थान हैं वो एक लाभदायी उद्योग की तरह का व्यवहार कर रहा है. प्रीति उपाध्याय ने उम्मीद जताई है कि न्याय अभिभावकों के पक्ष में ही आएगा और स्कूल ट्यूशन फीस के नाम पर मनमानी नहीं कर पाएंगे.