बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तेंदुआ को संरक्षण देने के मामले में याचिका दायर हुई है. याचिका में कहा गया है कि पिंजरा लगाकर तेंदुआ को पकड़ लिया जाता है और ऐसी जगह पर छोड़ दिया जाता है, जहां के वातावरण से तेंदुआ अनजान होता है. ऐसे में भूख प्यास और अवसाद की वजह से तेंदुआ या तो मर जाता है, या फिर वह पालतू पशुओं और इंसानों पर हमला करने लगता है. ऐसे में तेंदुआ और मानव द्वंद बढ़ सकता है. इस मामले में शासन ने जवाब देने का समय मांगा था, जिस पर हाईकोर्ट ने 3 सप्ताह का समय दिया है.
किसने लगाई है याचिका : छत्तीसगढ़ में तेंदुआ के साथ हो रहे अत्याचार को रोकने को लेकर पर्यावरणविद नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इस जनहित याचिका की सुनवाई में चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस अरविंद चंदेल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की. पर्यावरणविद और वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने जनहित याचिका में तेंदुओं के संरक्षण का मुद्दा उठाया था. याचिका में बताया गया था कि वन विभाग के अधिकारी ही मानव तेंदुआ बढ़ा रहे हैं.
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तेंदुआ के साथ क्या आ रही समस्या : कोई भी तेंदुआ प्रॉब्लम एनिमल है या नहीं, इसे देखे बिना पिंजरा लगा देते हैं. उसे पकड़ते हैं और दूसरे स्थान पर छोड़ देते हैं. यह समस्या को बढ़ाने वाला है. नए जंगल में तेंदुआ अपने को अनजान जगह पाकर परेशान हो जाता है. अत्यधिक तनाव, भूख, सदमा और अवसाद में उसे समझ में नहीं आता कि वह क्या करें. ऐसे में नए स्थान पर वह पालतू पशुओं पर हमला करके खा सकता है. इसलिए मानव तेंदुआ बढ़ सकता है, लेकिन इस बात को ध्यान में रखें बिना वन विभाग उन्हें कहीं भी छोड़ देता है. जिससे मानव और तेंदुआ बढ़ रहा है.