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अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का मामला, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में सुनाया फैसला - अधिग्रहित की हुई जमीन का मुआवजा

भूमि अधिग्रहण के मामले में मुआवजा राशि नहीं मिलने को लेकर लगी याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में सुनाया है.

Order to give compensation of the acquired land within 90 days in bilaspur
अधिग्रहित की हुई जमीन का मुआवजा देने का हाईकोर्ट का आदेश
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Published : Jan 28, 2020, 9:16 PM IST

बिलासपुर: नेशनल हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण किए जाने पर तय की गई मुआवजा राशि का भुगतान नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 90 दिनों के अंदर मामले का निराकरण करते हुए मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश राजस्व अधिकारी और भू-अर्जन अधिकारी को दिया है.

बता दें कि धमतरी निवासी प्रभु लाल और अन्य के नाम से कृषि भूमि का अधिग्रहण 2015 में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए किया गया था. शासकीय अधिकारियों की ओर से अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा 11 लाख साढ़े 19 हजार तय किया गया था, लेकिन 2 साल बाद मुआवजा राशि 6 लाख 84 हजार रुपय कर दी गई.

पढ़ें- हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से मांगी छत्तीसगढ़ के स्पीड ब्रेकर्स से जुड़ी जानकारी

मामले को लेकर प्रभु लाल ने शासन के समक्ष कई बार आवेदन भी प्रस्तुत किया, लेकिन कोई भी जवाब शासन की ओर से नहीं दिया गया. इसके साथ ही 2015 में अधिग्रहित की हुई जमीन के मुआवजे का कोई भी भुगतान नहीं किया गया. इसको लेकर प्रभु लाल ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी. इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सेम कोशी की सिंगल बेंच की ओर से की गई.

बिलासपुर: नेशनल हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण किए जाने पर तय की गई मुआवजा राशि का भुगतान नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 90 दिनों के अंदर मामले का निराकरण करते हुए मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश राजस्व अधिकारी और भू-अर्जन अधिकारी को दिया है.

बता दें कि धमतरी निवासी प्रभु लाल और अन्य के नाम से कृषि भूमि का अधिग्रहण 2015 में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए किया गया था. शासकीय अधिकारियों की ओर से अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा 11 लाख साढ़े 19 हजार तय किया गया था, लेकिन 2 साल बाद मुआवजा राशि 6 लाख 84 हजार रुपय कर दी गई.

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मामले को लेकर प्रभु लाल ने शासन के समक्ष कई बार आवेदन भी प्रस्तुत किया, लेकिन कोई भी जवाब शासन की ओर से नहीं दिया गया. इसके साथ ही 2015 में अधिग्रहित की हुई जमीन के मुआवजे का कोई भी भुगतान नहीं किया गया. इसको लेकर प्रभु लाल ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी. इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सेम कोशी की सिंगल बेंच की ओर से की गई.

Intro:नेशनल हाईवे के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण का मामला। अधिग्रहण किए जाने के समय तय की गई मुआवजा राशि के भुगतान ना होने पर दायर की गई याचिका। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 90 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करते हुए मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश राजस्व अधिकारी व भू अर्जन अधिकारी धमतरी को दिया है। Body:बता दें कि धमतरी निवासी प्रभु लाल व अन्य के नाम से कृषि भूमि का अधिग्रहण 2015 में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए किया गया था। शासकीय अधिकारियों द्वारा अधिग्रहण किए गए जमीन का मुआवजा 11 लाख साढ़े 19 हजार तय किया गया था। लेकिन 2 वर्ष बाद मुआवजा राशि ₹ 6 लाख 84 हजार कर दिया गया। मामले को लेकर प्रभु लाल ने शासन के समक्ष कई बार आवेदन भी प्रस्तुत किया लेकिन कोई भी जवाब शासन की ओर से नहीं दिया गया। इसके साथ ही 2015 में अधिग्रहण की हुई जमीन के मुआवजे का कोई भी भुगतान नहीं किया गया। किस को लेकर प्रभु लाल ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी।Conclusion:पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी .सेम कोशी की सिंगल बेंच द्वारा की गई।
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