बिलासपुर: रिटायर्ड असिस्टेंट जेल सुपरिटेंडेंट के खिलाफ वसूली का आदेश उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया. यमुनानगर मंगला निवासी माधव राव भोसले केंद्रीय जेल बिलासपुर में सहायक जेल अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे. 30 जून 2019 को उनकी सेवा समाप्त होने के बाद उन्हें रिटायर्ड कर दिया गया. लेकिन रिटायरमेंट के तीन महीने बाद केंद्रीय जेल अधीक्षक बिलासपुर ने सेवाकाल के दौरान वेतन भुगतान में हुई गड़बड़ी को लेकर भोंसले के खिलाफ 1 लाख 57 हजार का वसूली आदेश जारी किया, जिसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ पंजाब के विरुद्ध रफीक मसीह के केस में फैसला दिया है कि रिटायर्ड या कर्मचारी से किसी भी प्रकार की वेतन की वसूली नहीं की जा सकती.
'याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं'
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को साल 1996 से 2019 तक वेतन का भुगतान गलत तरीके से किया गया था. उसमें याचिकाकर्ता की किसी प्रकार की कोई गलती नहीं है. अब उसकी सेवानिवृत्ति के 3 महीने बाद वेतन भुगतान में हुई गड़बड़ी को उसकी पेंशन की राशि से वसूल किया जाना सरासर गलत है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी है. लिहाजा इसे निरस्त किया जाए.
'राशि वापस करने के निर्देश'
जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ वसूली आदेश निरस्त करते हुए केंद्रीय जेल अधीक्षक बिलासपुर को वसूल की गई राशि को वापस करने का निर्देश दिया है.