बिलासपुर: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने लेमरू एलिफेंट रिजर्व की घोषणा की. विशेषज्ञ इस पहल की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन एलिफेंट रिजर्व के कम दायरे को लेकर सवालिया निशान भी लगाया जा रहा है. इस विषय पर ETV भारत ने बिलासपुर के प्राणी शास्त्र विशेषज्ञ प्राण चड्ढा से बातचीत की.
'लेमरू रिजर्व का हम स्वागत करते हैं'
विशेषज्ञ प्राण चड्ढा ने ETV भारत से बातचीत करते हुए कहा कि 'हाथियों के संरक्षण के दिशा में सरकार की यह पहल अच्छी है. लेकिन महज 450 वर्ग किमी का दायरा प्रदेशभर के 250 से अधिक हाथियों के कम है'. हर साल हाथी के कारण औसतन 100 से अधिक लोगों की मौत हो रही जो चिंता का विषय है, इसलिए लेमरू रिजर्व का हम स्वागत करते हैं'.
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'विशेषज्ञों से लेनी चाहिए थी राय'
उन्होंने कहा कि '450 वर्ग किमी का दायरा 25 से 30 हाथियों के लिए ही उपयुक्त है. लिहाजा रिजर्व एरिया का दायरा और ज्यादा विकसित करने पर ही योजना सफल हो सकती है. हाथी स्वभाव से जंगलों में विचरण करने वाले प्राणी होते हैं, उन्हें बांधना मुश्किल काम है, इसलिए लेमरू का दायरा बढ़ाने का प्रयास करना होगा. सरकार को इस महत्वपूर्ण निर्णय से पहले विशेषज्ञों से राय लेनी चाहिए थी'.